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झारखंड के इतिहास में पहली बार एक महिला बनी प्रशासनिक सेवा संघ की अध्यक्ष
चर्चा में क्यों?
4 दिसंबर, 2022 को राजधानी राँची के मोरहाबादी स्थित राँची कॉलेज के आर्यभट्ट सभागार में झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ की आम सभा सह निर्वाचन प्रक्रिया में सर्वसम्मति से रंजीता हेम्ब्रम को अध्यक्ष चुना गया। झारखंड के 22 साल के इतिहास में पहली बार एक महिला प्रशासनिक सेवा संघ की अध्यक्ष चुनी गई हैं।
प्रमुख बिंदु
- रंजीता हेम्ब्रम के अलावा सरायकेला-खरसावां के डीडीसी प्रवीण गगराई ने भी इस पद के लिये नॉमिनेशन किया था। बाद में प्रवीण ने अपना नाम वापस ले लिया और सर्वसम्मति से रंजीत हेम्ब्रम को झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ का अध्यक्ष चुन लिया गया। रंजीता हेम्ब्रम के अध्यक्ष चुने जाने से पहले राम कुमार सिन्हा इस संघ के अध्यक्ष थे।
- बिहार प्रशासनिक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा पास करने के बाद रंजीता हेम्ब्रम प्रशासनिक सेवा में आई थीं। संयुक्त बिहार में आयोजित परीक्षा में वह महिला टॉपर थीं। पूरे बिहार में उनका ओवरऑल सातवाँ रैंक था। 41वें बीपीएससी 1998 बैच की अधिकारी रंजीता हेम्ब्रम राँची ज़िला के रातू प्रखंड की प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) रह चुकी हैं।
- रंजीता हेम्ब्रम वर्तमान में झारखंड संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद की संयुक्त सचिव हैं। वह झारखंड कम्बाइंड इंट्रेंस कंपटीटिव एग्जामिनेशन बोर्ड (JCECEB) की डिप्टी कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन भी हैं।
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झारखंड के साहिबगंज समेत 9 ज़िलों के किसानों को प्राकृतिक खेती की मिलेगी ट्रेनिंग
चर्चा में क्यों?
3 दिसंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में प्राकृतिक खेती के लिये आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अमृत कुमार झा ने बताया कि झारखंड के साहिबगंज समेत नौ ज़िलों में जल्द ही किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दी जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि देशभर के 425 जिलों में प्राकृतिक खेती करने के लिये कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें झारखंड के साहिबगंज समेत नौ जिलों का भी चयन किया गया है।
- इसके तहत किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीके बताए जाएंगे। किसानों को रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना छोड़ प्राकृतिक खेती करने के लिये बढ़ावा को लेकर जागरूक किया जाएगा।
- प्राकृतिक खेती करने के लिये किसानों को प्रशिक्षण देकर जागरूक किया जाएगा, ताकि मिटेी की उर्वरा शत्ति बनी रहे। रासायनिक खाद का उपयोग खेतों में नहीं करने, खेतों में ज्यादा से ज्यादा गोबर, खाद और गौ मूत्र का उपयोग करके किसान प्राकृतिक खेती करें, ताकि खेतों में केंचुआ की संख्या में वृद्धि हो सके। रासायनिक खाद के उपयोग से खेत में केंचुए की संख्या में कमी आ रही है, जिससे खेतों की उर्वरा शत्ति में कमी आ रही है।
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