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तीन चरणों में होंगे पंचायत चुनाव
चर्चा में क्यों?
4 दिसंबर, 2021 को राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने त्रि-स्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन वर्ष 2021-22 के लिये निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- आयुक्त ने बताया कि निर्वाचन की घोषणा होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में आदर्श आचरण संहिता प्रभावशील हो गई है, जो कि परिणाम घोषित होने तक प्रभावशील रहेगी।
- आदर्श आचरण संहिता के प्रावधान राजनीतिक दलों, अभ्यर्थियों, शासकीय विभागों एवं कर्मियों तथा त्रि-स्तरीय पंचायतों के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों पर लागू होगी।
- यद्यपि पंचायत निर्वाचन गैर-दलीय आधार पर हो रहे हैं, परंतु आचार संहिता के प्रावधान राजनीतिक दलों पर सामान्य रूप से लागू होंगे।
- मतदान तीन चरणों में 6 जनवरी, 28 जनवरी और 16 फरवरी, 2022 को होंगे।
- मतदान (यदि आवश्यक हो) प्रथम चरण के लिये 6 जनवरी, 2022, द्वितीय चरण के लिये 28 जनवरी, 2022 और तृतीय चरण के लिये 16 फरवरी, 2022 को सुबह 7 बजे से अपराह्न 3 बजे तक होगा।
- मतदान केंद्र पर पंच और सरपंच पद के लिये मतगणना मतदान समाप्ति के तुरंत बाद की जाएगी।
- जनपद पंचायत सदस्य एवं ज़िला पंचायत सदस्य की विकासखंड मुख्यालय पर ईवीएम से मतगणना प्रथम चरण के लिये 10 जनवरी, 2022 द्वितीय चरण के लिये 1 फरवरी, 2022 और तृतीय चरण के लिये 20 फरवरी, 2022 को सुबह 8 बजे से की जाएगी।
- पंच और सरपंच पद के निर्वाचन परिणाम की घोषणा प्रथम चरण के लिये 11 जनवरी, 2022, द्वितीय चरण के लिये 2 फरवरी, 2022 और तृतीय चरण के लिये 21 फरवरी, 20222 को सुबह 10:30 बजे से की जाएगी।
- जनपद पंचायत सदस्य के लिये निर्वाचन परिणाम की घोषणा प्रथम, द्वितीय और तृतीय चरण के लिये 22 फरवरी, 2022 को और ज़िला पंचायत सदस्यों के लिये 23 फरवरी, 2022 को सुबह 10:30 बजे से की जाएगी।
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टंट्या भील बलिदान दिवस
चर्चा में क्यों?
4 दिसंबर, 2021 को राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पातालपानी में क्रांतिसूर्य जननायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर अष्टधातु से निर्मित जननायक टंट्या मामा की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।
प्रमुख बिंदु
- राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री चौहान ने जननायक टंट्या मामा के वंशजों और परिजन हीरालाल सिरसाठे, ललिता बाई, दरियाव एवं रेशम बाई वासुदेव, छोगालाल सिरसाठे, रेखा बाई सिरसाठे, राधूलाल और सुंदर बाई का शॉल, श्रीफल और मोतियों की माला पहनाकर सम्मान किया।
- पातालपानी में 4 करोड़ 55 लाख रुपए की लागत से नवतीर्थस्थल बनाया जाएगा। यहाँ ध्यान केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहाँ वीरता की उपासना की जाएगी, जो आने वाली पीढ़ियों को देश-भक्ति की प्रेरणा देगा।
- नवतीर्थस्थल में लाइब्रेरी, व्यू पॉइंट, पाथ-वे के साथ जनजातीय म्यूज़ियम और जननायक टंट्या मामा वाटिका भी बनेगी। साथ ही अब से पातालपानी में हर वर्ष 4 दिसंबर, 2021 को जननायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर मेला आयोजित होगा।
- टंट्या भील का जन्म सन् 1840 में तत्कालीन मध्य प्रांत के पूर्वी निमाड़ (खंडवा ज़िले) की पंधाना तहसील के बड़दाअहीर गांव में भाऊसिंह भील के घर पर हुआ था। कहीं-कहीं पर सन् 1842 में इनके जन्म का उल्लेख भी मिलता है।
- टंट्या भील का वास्तविक नाम तॉतिया था। उन्हें प्यार से टंट्या मामा के नाम से भी बुलाया जाता था। उन्हें सभी आयु वर्ग के लोगों द्वारा आदरपूर्वक ‘मामा’ कहा जाता था।
- टंट्या भील को कुछ विश्वस्त लोगों के विश्वासघात के कारण अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें इंदौर में ब्रिटिश रेजीडेंसी क्षेत्र में सेंट्रल इंडिया एजेंसी जेल में रखा गया था। बाद में जबलपुर जेल में रखा गया। सत्र न्यायालय जबलपुर ने उन्हें 19 अक्टूबर, 1889 को फाँसी की सजा सुनाई और फिर 4 दिसंबर, 1889 को फाँसी दी गई।
- फाँसी के पश्चात् इंदौर के पास खंडवा रेल मार्ग पर पातालपानी रेलवे स्टेशन के नजदीक आसपास के गांवों में विद्रोह भड़कने के डर से चुपचाप रात में उनके शव को उस स्थान, जहाँ पर उनके लकड़ी के पुतले रखे थे, फेंककर अर्थात् रखकर चले गए।
- इस स्थान अर्थात् पातालपानी को आज ‘टंट्या भील की समाधि स्थल’ के नाम से जाना जाता है।
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राज्यों के परिवहन मंत्रियों की कार्यशाला गोवा में संपन्न
चर्चा में क्यों?
5 दिसंबर, 2021 को भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा नीति आयोग के सहयोग से हरित मोबिलिटी को बढ़ावा देने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2030 तक एक बिलियन कार्बन उत्सर्जन को कम करने की प्रतिबद्धता के चलते राज्यों के परिवहन मंत्रियों की कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें मध्य प्रदेश के परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भी भाग लिया।
प्रमुख बिंदु
- इस कार्यशाला में मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री ने कहा कि परिवहन क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने एवं पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये यातायात के साधनों में डीजल एवं पेट्रोल के स्थान पर अधिक-से-अधिक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के विकल्पों को अपनाया जाएगा। पर्यावरण के संरक्षण के लिये अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के उपयोग एवं निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्रभावी कार्ययोजना बनाकर इस योजना को प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा। 2030 तक वाहनों की कुल बिक्री में कम-से-कम 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों का लक्ष्य रखा गया है।
- मध्य प्रदेश सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिये वाहनों के क्रय पर मोटर यान कर एवं पंजीयन शुल्क में छूट दे चुकी है। प्रदेश में विभिन्न वर्गों के 34 हज़ार 500 इलेक्ट्रिक वाहनों पर ‘प्रथम आओ प्रथम पाओ’ के तहत लाइफटाइम टैक्स एक फीसदी की न्यूनतम दर से लिया जा रहा है।
- इस कार्यशाला में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडे, केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल सिंह, नीति आयोग के सचिव अभिताभ कांत, केंद्रीय उद्योग सचिव अभय गोयल सहित सभी राज्यों के परिवहन मंत्री उपस्थित थे।
- मध्य प्रदेश परिवहन एवं राजस्व मंत्री ने कार्यशाला में बताया कि मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश के प्रमुख नगरों में 200 से 300 किमी. के मध्य सावर्जनिक परिवहन के रूप में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन संबंधी योजना बनाने जा रही है। इसके साथ ही ई-वाहन के उपयोग को सुगम बनाने के लिये यात्रा के दौरान भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर जैसे संभागीय स्थानों पर 250 ई-ह्वीकल चार्ज़िग स्टेशन बनाए जाने की योजना है।
- ई-वाहन खरीदने के लिये आम जनता को फेम 2 योजना में सब्सिडी प्रदान करना चाहिये ताकि इनकी कीमत पेट्रोल-डीजल से चलित वाहनों की तुलना में अधिक न हो और उनसे प्रतिस्पर्द्धात्मक हो जाए।
- ई-वाहनों के चार्ज़िग स्टेशन की उपलब्धता के लिये 25 प्रतिशत पेट्रोल पंपों को चिह्नित कर चार्ज़िग स्टेशन की स्थापना अनिवार्य करना चाहिये। इसके साथ ही ई-वाहन निर्माण के क्षेत्र में रोज़गार की भी प्रबल संभावनाएँ हैं, जिससे प्रदूषण के साथ प्रदेश के युवाओं को रोज़गार भी मिल सकेगा।
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नवीन आदर्श ग्राम योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने जनजातीय ग्रामों के एकीकृत विकास के लिये मध्य प्रदेश के लिये नवीन आदर्श ग्राम योजना स्वीकृत की है।
प्रमुख बिंदु
- इसमें अधोसंरचना, सामाजिक-आर्थिक सूचकांकों में सुधार, जनजातीय वर्ग के कल्याण और जनप्रतिनिधियों के क्षमता विकास के कार्य होंगे।
- मध्य प्रदेश में इस योजना को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के अभिसरण (कन्वर्जेंस) के माध्यम से लागू किया जाएगा।
- योजना में ऐसे ग्राम, जिनकी कम-से-कम 50 प्रतिशत जनसंख्या जनजातीय वर्ग की है और ऐसी जनसंख्या कम-से-कम 500 है, का चयन कर विभिन्न कार्य किये जाएंगे। कुल 7307 ग्रामों का चयन किया गया है।
- इसमें केंद्र से शत-प्रतिशत अनुदान सहायता मिलेगी। प्रथम चरण में 1204 ग्रामों में कार्य होंगे। इन ग्रामों में से प्रदेश में श्रेष्ठ कार्यों के लिये तीन ग्राम चयनित कर 5-5 लाख रुपए के पुरस्कार भी दिये जाएंगे।
- राष्ट्रीय स्तर पर भी सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिये तीन ग्रामों का चयन होगा, जिन्हें 10-10 लाख रुपए के पुरस्कार दिये जाएंगे।
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