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लोयोला स्कूल देश के टॉप 100 में
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रमुख शिक्षा समाचार पत्रिका द्वारा किये गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में, एजुकेशन वर्ल्ड इंडिया, लोयोला स्कूल, जमशेदपुर को देश के शीर्ष 100 स्कूलों में स्थान दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- सर्वेक्षण वार्षिक एजुकेशन वर्ल्ड इंडिया स्कूल रैंकिंग (EWISR) 2021-22 के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था। टॉप 100 की लिस्ट में लोयोला ने 87वां रैंक हासिल किया है।
- सर्वेक्षण विभिन्न मानकों पर किया गया, जिसमें अकादमिक प्रतिष्ठा, सह-पाठ्यचर्या शिक्षा, खेल शिक्षा, शिक्षकों की गुणवत्ता, शिक्षक-छात्र अनुपात, नेतृत्व की गुणवत्ता, माता-पिता की भागीदारी, बुनियादी ढाँचा, पूर्व छात्रों की गुणवत्ता, अखंडता और चयन के लिये प्रतिष्ठा प्रवेश आसानी और पारदर्शिता शामिल है।
- 1947 में केवल 34 लड़कों के साथ शुरू हुआ लोयोला स्कूल, इस साल अपनी प्लेटिनम जुबली मना रहा है। स्कूल की स्थापना जनवरी 1947 में कोलकाता के दो जेसुइट्स, फादर सेसिल लीमिंग और फादर रॉबर्ट ड्रगमैन द्वारा की गई थी।
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सीसीएल और झारखंड चिड़ियाघर प्राधिकरण के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
चर्चा में क्यों?
4 दिसंबर, 2021 को झारखंड की राजधानी में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) और झारखंड चिड़ियाघर प्राधिकरण के बीच 36 लाख रुपए के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- एमओयू की शर्तों के तहत सीसीएल कंपनी की सीएसआर पहल के एक हिस्से के रूप में रांची के भगवान बिरसा बायोलॉजिकल पार्क में तीन साल के लिये शेरों और बाघों की एक जोड़ी को गोद लेगा। सीसीएल तीन साल तक पशुओं के रख-रखाव, भोजन और स्वास्थ्य से संबंधित सभी खर्चों को वहन करेगी।
- जीएम (सीएसआर), सीसीएल, बाला कृष्णा लाडी और प्रधान मुख्य वन संरक्षक और निदेशक भगवान बिरसा जैविक उद्यान, जब्बर सिंह ने दोनों संगठनों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- इस अवसर पर सीसीएल के सीएमडी, पीएम प्रसाद ने कहा कि कंपनी टिकाऊ खनन के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के विजन को पूरा करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- वन्यजीव संरक्षण पर्यावरण संरक्षण का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। जानवरों को गोद लेने से जानवरों के संरक्षण के महत्त्व के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने में मदद मिलेगी।
- सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड का मुख्यालय दरभंगा हाउस, रांची में है, जो महारत्न कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनियों में से एक है। झारखंड के आठ ज़िलों में इसकी परिचालन खदानें हैं। सीसीएल ने पर्यावरण संरक्षण और हितधारकों के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न पहल की हैं।
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