राज्य अलंकरण श्रेणी में दिये जाएंगे तीन नए पुरस्कार | छत्तीसगढ़ | 06 Oct 2022
चर्चा में क्यों?
5 अक्टूबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में लोक कला साधकों के सम्मान को लेकर बड़ा निर्णय लेते हुए छत्तीसगढ़ में राज्य स्थापना पर दिये जाने वाले राज्य अलंकरण श्रेणी में तीन नए पुरस्कार देने की घोषणा की। यह पुरस्कार लोक कलाकार स्व. लक्ष्मण मस्तुरिया और स्व. खुमान साव तथा भगवान राम की माता कौशल्या को समर्पित होंगे।
प्रमुख बिंदु
- इस संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ अपनी प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं जीवंत संस्कृति के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ के लयबद्ध संगीत, लोकगीत एवं लोक नाट्य अद्भुत आनंद की अनुभूति कराते हैं।
- प्रदेश की लोकगीत व लोक संगीत की महान विरासत के संरक्षण एवं संवर्द्धन और इस क्षेत्र में काम कर रहे नए कलाकारों को प्रेरित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा राज्य अलंकरण के रूप में अन्य पुरस्कारों के साथ तीन नए पुरस्कार भी दिये जाएंगे।
- इसमें लोकगीत के क्षेत्र में ‘लक्ष्मण मस्तुरिया पुरस्कार’दिया जाएगा। वहीं लोक संगीत के क्षेत्र में योगदान देने वाले कला साधकों को ‘खुमान साव पुरस्कार’से सम्मानित किया जाएगा। इसी तरह माता कौशल्या के मायके और भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में श्रेष्ठ रामायण (मानस) मंडली को ‘माता कौशल्या सम्मान’से अलंकृत किया जाएगा।
- राज्य अलंकरण की भाँति ही इन श्रेणियों के पुरस्कार भी राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले राज्योत्सव कार्यक्रम के दौरान प्रदान किये जाएंगे।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की संस्कृति के ध्वज वाहकों के प्रति कृतज्ञता व्यत्त करने और उनके नाम पर पुरस्कार संस्थित किये जाने से उन महान कलाकारों के योगदान की जानकारी भी भावी पीढ़ी को होगी। इसके अलावा लोकगीत व लोक संगीत के प्रति रुचि भी बढ़ेगी।
छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोज़गारी | छत्तीसगढ़ | 06 Oct 2022
चर्चा में क्यों?
4 अक्टूबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में सितंबर में बेरोज़गारी दर अब तक अपने न्यूनतम स्तर 1 प्रतिशत है। देश में सबसे कम बेरोजगारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है।
प्रमुख बिंदु
- जनसंपर्क विभाग ने बताया कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी ताजा आँकड़ों के अनुसार राज्य के 90 फीसद लोग किसी न किसी रोज़गार से जुड़कर आजीविका हासिल कर रहे हैं।
- सीएमआईई द्वारा जारी ताजा आँकड़ों के अनुसार सितंबर माह में छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर 1 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि सितंबर माह में देश में बेरोजगारी दर का यह आँकड़ा 6.43 फीसदी रहा है। देश के शहरी क्षेत्रों में 7.70 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में सितंबर माह में बेरोज़गारी का आँकड़ा 5.84 फीसद रहा।
- सीएमआईई द्वारा 1 अक्टूबर, 2022 को बेरोज़गारी दर के संबंध में जारी रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2022 में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में 1 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है। वहीं इसी अवधि में 0.4 फीसदी के साथ असम दूसरे स्थान पर तथा उत्तराखंड 0.5 फीसदी बेरोज़गारी दर के साथ तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में यह आँकड़ा 0.9 प्रतिशत और गुजरात में यह आँकड़ा 1.6 प्रतिशत रहा है।
- दूसरी ओर सितंबर 2022 में सर्वाधिक बेरोज़गारी दर के मामले में राजस्थान शीर्ष पर है, जहाँ 8 फीसदी बेरोज़गारी दर दर्ज की गई है। जम्मू एवं कश्मीर में 23.2 फीसदी, हरियाणा में 22.9 फीसदी, त्रिपुरा में 17.0 फीसदी और झारखंड में 12.2 फीसदी बेरोज़गारी दर दर्ज की गई है।
- न्यूनतम बेरोज़गारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य को मिली इस उपलब्धि के पीछे वजह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में रोज़गार के नए अवसरों के सृजन के लिये बनाई गई योजना और नीतियां रही हैं। छत्तीसगढ़ में बीते पौने चार साल के भीतर अनेक ऐसे नवाचार हुए हैं, जिनसे शहर से लेकर गाँव तक हर हाथ को काम मिला है।
- छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ काम करना शुरू किया। महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के साथ गाँवों की आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में नवाचार किये गए। इसमें ‘सुराजी गाँव योजना’ के अंतर्गत ‘नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी’ कार्यक्रम ने महती भूमिका निभाई तो दूसरी ओर ‘गोधन न्याय योजना’ के साथ गौठानों को रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के तौर पर विकसित किया गया, जिससे गोबर बेचने से लेकर गोबर के उत्पाद बनाकर ग्रामीणों को रोजगार मिला। रोज़गार के नए अवसर सृजित हुए।
- 7 से बढ़ाकर 65 प्रकार के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इन लघु वनोपजों के प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन किया गया। इससे वनांचल में भी लोगों को रोज़गार मिला।
- ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ से किसानों की आर्थिक समृद्धि की दिशा में प्रयास हुए तो वहीं इस योजना के बाद उत्साहित किसानों की दिलचस्पी कृषि की ओर बढ़ी। राज्य में खेती का रकबा और उत्पादन बढ़ा।
- ‘राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मजदूर योजना’ के तहत ‘पौनी-पसारी’ व्यवस्था से जुड़े लोगों को आर्थिक सहायता मिली। राज्य में नई उद्योग नीति लागू की गई, जिसमें अनेक वर्गों और विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी के प्रावधान किए गए। इससे उद्यमिता विकास को गति मिली।