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स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Oct 2021
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बिहार Switch to English

गांगेय डॉल्फिन की गणना

चर्चा में क्यों?

5 अक्टूबर, 2021 को भागलपुर वन प्रमंडल द्वारा गांगेय डॉल्फिन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने गांगेय डॉल्फिन गणना करने की घोषणा की।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विक्रमशिला गांगेय डॉल्फिन अभयारण्य को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा तथा डॉल्फिन के संरक्षण एवं संवर्द्धन कार्य को संपादित करने के लिये डॉल्फिन संरक्षण बल का गठन किया जाएगा।
  • ध्यातव्य है कि सुल्तानगंज से लेकर कहलगाँव तक के करीब 60 किमी. क्षेत्र को ‘गंगैटिक रिवर डॉल्फिन संरक्षित क्षेत्र’ घोषित किया गया है।
  • डॉल्फिन की गणना वैज्ञानिकों, वन विभागों, गैर-सरकारी संगठनों के विशेषज्ञों तथा स्थानीय लोगों की भागीदारी से की जाएगी।
  • विदित है कि गांगेय डॉल्फिन को भारत सरकार ने वर्ष 2009 में ‘राष्ट्रीय जलीय जीव’ घोषित किया था तथा आईयूसीएन की रेड लिस्ट में इसे लुप्तप्राय (Endangered) श्रेणी में रखा गया है।

उत्तर प्रदेश Switch to English

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी

चर्चा में क्यों?

5 अक्टूबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में आज़ादी के तीनदिवसीय अमृत महोत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए राज्य के 75 ज़िलों में प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के 75,000 लाभार्थियों को डिजिटल माध्यम से चाबियाँ सौंपीं।

प्रमुख बिंदु

  • इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने प्रदेश के 10 स्मार्ट शहरों की 75 सफल परियोजनाओं की कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन किया तथा बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में अटल बिहारी वाजपेयी चेयर का डिजिटल उद्घाटन किया।
  • इससे पहले, प्रधानमंत्री ने न्यू अर्बन कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया और न्यू अर्बन इंडिया की थीम पर प्रदर्शित 75 हाउसिंग टेक्नोलॉजी प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
  • उन्होंने राज्य के सात शहरों के लिये 75 इलेक्ट्रिक बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
  • कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने 4,737 करोड़ रुपए की लागत वाली 75 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उन्होंने 1,537.02 करोड़ रुपए की 15 विकास परियोजनाओं तथा प्रधानमंत्री अमृत मिशन के तहत 502.24 करोड़ रुपए की 17 पेयजल परियोजनाओं को लोगों को समर्पित किया और 1,256.22 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली 30 विकास परियोजनाओं एवं 1,441.70 करोड़ रुपए की 13 परियोजनाओं की आधारशिला रखी।

राजस्थान Switch to English

प्रदेश की 30 पेयजल जाँच प्रयोगशालाओं को मिला ‘एनएबीएल एक्रीडिशन’

चर्चा में क्यों?

5 अक्टूबर, 2021 को प्रदेश के जलदाय मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने बताया कि राज्य के 30 ज़िलों के ज़िलास्तरीय पेयजल गुणवत्ता जाँच प्रयोगशालाओं को ‘एनएबीएल एक्रीडिशन’ (नेशनल एक्रीडिशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेट्रीज) मिला है, जबकि तीन ज़िलों को एक्रीडिशन मिलना शेष है।

प्रमुख बिंदु

  • इन 30 ज़िलों में- अजमेर, अलवर, बाँसवाड़ा, बारां, बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चूरू, दौसा, धौलपुर, डूँगरपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, करौली, कोटा, नागौर, पाली राजसमंद, सीकर, सिरोही, टोंक एवं उदयपुर शामिल हैं। वहीं चित्तौड़गढ़, सवाईमाधोपुर एवं प्रतापगढ़ की प्रयोगशालाओं को एक्रीडिशन मिलना  शेष है।
  • जलदाय मंत्री ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की स्वीकृत परियोजनाओं में ‘हर घर नल कनेक्शन’ के माध्यम से स्वच्छ एवं गुणवत्तापूर्ण पेयजल आपूर्ति की मॉनीटरिंग के लिये प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों के लिये ‘फील्ड टेस्टिंग किट’ उपलब्ध कराई गई है। 
  • उन्होंने बताया कि प्रदेश में वाटर क्वालिटी मॉनीटरिंग एंड सर्विलियंस (डब्ल्यूक्यूएमएस) के तहत वर्ष 2020-21 की वार्षिक योजना में 67 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है। इसके तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य के 353 पंचायत समिति मुख्यालयों में से 102 में ब्लॉकस्तरीय पेयजल गुणवत्ता जाँच प्रयोगशालाएँ स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।
  • राज्य सरकार द्वारा जयपुर में मोबाइल जाँच प्रयोगशाला संचालित है, जिसके एनएबीएल ‘रिकग्निशन’ की कार्यवाही चल रही है। साथ ही जयपुर, कोटा, अजमेर और उदयपुर संभाग के 20 अन्य ज़िलों में भी आउटसोर्स़िग के माध्यम से पेयजल गुणवत्ता जाँच के लिये संचालित मोबाइल प्रयोगशालाओं के एनएबीएल ‘रिकग्निशन’ की कार्यवाही भी प्रगति पर है। 
  • जलदाय मंत्री ने बताया कि जन-स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) के तहत जयपुर में राज्यस्तरीय प्रयोगशाला का नया भवन पानीपेच में बनाया जाएगा। 
  • उल्लेखनीय है कि देश में एनएबीएल जाँच प्रयोगशालाओं के प्रमाणीकरण के लिये राष्ट्रीय स्तर की एक स्वतंत्र संस्था है। इसके द्वारा आईएसओ/आईईसी 17025 के तहत परीक्षण प्रयोगशालाओं को एनएबीएल प्रमाणीकरण दिया जाता है। यह संस्था भारत सरकार में ‘क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया’ के तहत स्थापित है, जो लेबोरेट्रीज के ‘एनएबीएल एक्रीडिशन’ के लिये ‘परफॉर्मेंस ऑडिट’ के बाद प्रमाणीकरण करती है।

मध्य प्रदेश Switch to English

प्रदेश के ऐश्वर्य प्रताप ने विश्व रिकॉर्ड के साथ विश्व चैंपियनशिप में जीता स्वर्ण पदक

चर्चा में क्यों?

5 अक्टूबर, 2021 को मध्य प्रदेश राज्य शूटिंग अकादमी के ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर ने लीमा (पेरू) में आयोजित आईएसएसएफ जूनियर विश्व चैंपियनशिप के 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन (पुरुष) वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए देश को स्वर्ण पदक दिलाया। उन्होंने  फाइनल में 463.4 अंकों के साथ यह उपलब्धि हासिल की। 

प्रमुख बिंदु

  • इसके साथ ही ऐश्वर्य ने जूनियर लेवल पर नया विश्व रिकॉर्ड भी स्थापित कर दिया। इससे पहले यह विश्व रिकॉर्ड चेक गणराज्य के फिलिप नेपेजशल के नाम था, जो उन्होंने 19 नवंबर, 2019 को 462.9 अंकों के साथ चीन में बनाया था।
  • फ्राँस के लुकास बर्नार्ड डेनिस क्रीज्स 456.5 अंकों के साथ दूसरे, जबकि अमेरिका के गेविन रेमंड ली बार्निक 446.6 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। 
  • टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके ऐश्वर्य ने क्वालीफिकेशन राउंड में विश्व रिकॉर्ड की बराबरी कर 1185 अंकों के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया था। 
  • ऐश्वर्य ने नीलिंग में 397, प्रोन में 398 और स्टेंडिंग में 390 अंकों के साथ कुल 1185 अंकों से विश्व कीर्तिमान की बराबरी की। 
  • उन्होंने विश्व चैंपियनशिप की इस स्पर्धा में दूसरी बार विश्व रिकॉर्ड बनाया है। इससे पहले उन्होंने जर्मनी के सुहल में 2019 में खेले गए आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप में 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में 459.3 अंक हासिल कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
  • उल्लेखनीय है कि खरगौन ज़िले की झिरनिया तहसील के गाँव रतनपुर में 3 फरवरी, 2001 को किसान परिवार में जन्मे ऐश्वर्य प्रताप सिंह वर्ष 2015 से मध्य प्रदेश राज्य शूटिंग अकादमी में प्रशिक्षणरत् है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अब तक तीन स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक देश को दिलाए हैं। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में ऐश्वर्य प्रताप ने 11 स्वर्ण, 4 रजत और 3 कांस्य पदक अर्जित किये हैं।

मध्य प्रदेश Switch to English

एन.सी.पी.सी.आर. द्वारा ‘बच्चों के लिये समर्पण’ कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा ‘बच्चों के लिये समर्पण’ कार्यक्रम की शुरुआत मध्य प्रदेश के तीन ज़िलों- विदिशा, रायसेन और सीहोर से की गई।

प्रमुख बिंदु

  • इसमें ऐसे बच्चों की वित्तीय सहायता की जाएगी, जिन्होंने कोरोना महामारी के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खो दिया है।
  • आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि ‘बच्चों के लिये समर्पण’ कार्यक्रम का भविष्य में विस्तार किया जाएगा। 
  • वेदांतु इनोवेशन लिमिटेड द्वारा प्रदेश के तीन ज़िलों के आयोग द्वारा चिह्नित 83 बच्चों को निजी स्पॉन्सरशिप के अंतर्गत बच्चों एवं उनके संरक्षकों के खातों में प्रति बच्चा प्रतिमाह दो हज़ार रुपए के मान से एक लाख 66 हज़ार रुपए की प्रथम किश्त अंतरित की गई।
  • आयोग द्वारा कोविड-19 महामारी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए ऐसे सभी बच्चों का डाटा एकत्र किया गया है, जो असुरक्षित हो गए हैं, जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की ज़रूरत है तथा जिन्होंने अपने एकल अभिभावक या माता-पिता दोनों को कोविड-19 या मार्च 2020 के बाद किसी अन्य कारणों से खो दिया है। उन्हें लाभ पहुँचाने के लिये अशासकीय संगठनों को भी जोड़ा गया है।

हरियाणा Switch to English

प्रदेश के सभी ज़िलों को ‘वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट’ योजना के लिये मिली मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

5 अक्टूबर, 2021 को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि प्रदेश के सभी 22 ज़िलों को ‘वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट’ योजना के लिये केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा मंज़ूरी मिल गई है।

प्रमुख बिंदु

  • सभी 22 ज़िलों की कृषि, बागवानी, दूध, पॉल्ट्री आदि क्षेत्र से संबंधित अपना उत्पाद शामिल किया गया है, जिसे सरकार द्वारा इस योजना के तहत आर्थिक और तकनीकी सहायता करके बढ़ावा दिया जाएगा। इससे किसानों, सूक्ष्म उद्यमियों को पूरा लाभ मिलेगा और प्रदेश में कृषि निर्यात भी बढ़ेगा।
  • इन ज़िलों में मंज़ूर किये गए उत्पादों में अंबाला ज़िले में प्याज, भिवानी-फतेहाबाद-महेंद्रगढ़ में मौसमी, नींबू, संतरा आदि खट्टे फल, चरखी दादरी-रोहतक-फरीदाबाद में खीरा, ककड़ी, खरबूजा, कद्दू, तरबूज आदि कुकुरबिट्स से संबंधित उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। 
  • इसी प्रकार गुरुग्राम ज़िले में आँवला, झज्जर में अमरूद, जींद में मुर्गीपालन, करनाल में हरी पत्तेदार सब्जियाँ, कुरुक्षेत्र में आलू, नूँह-पलवल में टमाटर, पंचकूला में अदरक, हिसार-कैथल में दूध व दुग्ध उत्पादों की ब्रांडिंग की जाएगी। 
  • इसी तरह पानीपत ज़िले में गाजर, रेवाड़ी में सरसों, सिरसा में किन्नू, सोनीपत में मटर और यमुनानगर में आम से संबंधित उत्पादों को नई पहचान दिलाई जाएगी।
  • दुष्यंत चौटाला ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में छोटे उद्योगों को ज़्यादा-से-ज़्यादा बढ़ावा मिले, इसके लिये सरकार हर ब्लॉक को उसके अपने उत्पाद के साथ एक औद्योगिक विज़न से जोड़ेगी। इसके लिये सरकार ‘वन ब्लॉक वन प्रोडक्ट’ की योजना पर कार्य कर रही है और जल्द ‘वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट’ की तरह सभी ब्लॉकों में भी अलग-अलग उत्पादों के उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।

छत्तीसगढ़ Switch to English

राज्य लघु वनोपज संघ का भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ अनुबंध

चर्चा में क्यों?

5 अक्टूबर, 2021 को छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा राज्य में लघु वनोपज संग्रहण कार्य को उन्नत और बेहतर बनाने के लिये भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से अनुबंध किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस अनुबंध के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थान छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ को संग्रहण, भंडारण तथा प्रसंस्करण हेतु नवीनतम उपकरण एवं तकनीकी मार्गदर्शन उपलब्ध कराएंगे।
  • समझौते के तहत उपलब्ध आधुनिकतम उपकरणों तथा तकनीकी का प्रयोग लघु वनोपज संग्रहण में लगे लोगों की मेहनत कम करेगा तथा उन्नत संग्रहण सुनिश्चित होगा। साथ ही नई तकनीक के प्रयोग से वनोपजों की साफ-सफाई, छटाई, गोदामीकरण में सुधार एवं सरलता के साथ ‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स’ में नए उत्पादों का समावेश होगा और वन-धन केंद्रों की उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी।
  • इसके अलावा आईसीएआर के विभिन्न संस्थानों से उपलब्ध तकनीकी के प्रयोग से संग्राहकों तथा स्व-सहायता समूहों को अधिक आमदनी, बढ़ा हुआ लाभांश तथा छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ द्वारा संचालित समाज कल्याण की योजनाओं, जैसे- सामाजिक सुरक्षा, बीमा, छात्रवृत्ति आदि का अधिक-से-अधिक लाभ मिलेगा। 
  • उल्लेखनीय है कि इससे पहले छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा कोदो-कुटकी एवं रागी के बेहतर प्रसंस्करण कार्य के लिये भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) के साथ समझौता किया जा चुका है।
  • यह अनुबंध राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज संग्राहक आदिवासी तथा अन्य परंपरागत वनवासी परिवारों की बेहतरी की दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • उल्लेखनीय है कि आईसीएआर भारत सरकार के कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्रालय के अधीन कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा के अंतर्गत कार्यरत् एक स्वशासी संस्था है। यह देश में कृषि, उद्यानिकी, मत्स्यपालन तथा पशुविज्ञान में समन्वय स्थापित करने एवं मार्गदर्शन देने वाली सर्वोच्च संस्था है।

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