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भूमि बैंक बनाने के लिये नीति
चर्चा में क्यों?
5 अगस्त, 2021 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई, मंत्रिमंडल की बैठक में सरकारी परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण की कठिन प्रक्रिया से बचते हुए प्रदेश में भूमि बैंक बनाने की सरकार की नीति को मंजूरी दी गयी।
प्रमुख बिंदु
- इस नीति को ‘बोर्डों एवं निगमों सहित सरकारी परियोजनाओं के लिये भूमि बैंक सृजित करने और विकास परियोजनाओं के लिये उनका निपटान नीति कहा जाएगा।
- इस नीति के लिये तीन समितियां भूमि एवं दर जाँच समिति, भूमि बैंक समिति और उच्चाधिकार प्राप्त भूमि बैंक समिति का गठन किया जाएगा।
- इस नीति के अनुसार , अब किसान सहित अन्य लोग मजबूरी में नहीं बल्कि मोलभाव कर सीधे सरकार को अपनी जमीन बेच सकेंगे। राजस्व विभाग इस भूमि बैंक को संभालेगा और जरूरत के अनुसार निगमों , बोर्डों या विभागों को हस्तांतरित करेगा।
- किसान को जमीन बेचने के लिये निदेशक भूमि अभिलेख के ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। इसके लिये उन्हें मूल्य सहित भूमि का पूरा विवरण देना होगा।
- राजस्व विभाग द्वारा अपनी परियोजनाओं के लिये नगर पालिका सीमा के भीतर और उससे दो मील की दूरी तक बनाने को इसे सरकारी विभागों को स्थानांतरित किया जा सकेगा।
- बोर्डों और निगमों सहित सभी विभाग ऐसी भूमि का पता लगाने का प्रयास करेंगे, जो ‘शामलात देह में हों। इस जमीन का इस्तेमाल सरकारी कार्यालय स्थापित करने में हो सकेगा।
- हरियाणा नगर पालिका अधिनियम , 1973 और हरियाणा नगर निगम अधिनियम , 1994 के तहत अचल संपत्ति को राज्य सरकार को हस्तांतरित करने का प्रावधान है। ऐसे में ऐसी जमीन की भी तलाश की जाएगी।
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