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कर्मचारी एवं अधिकारी संगठनों की मांगों के परीक्षण के लिये उच्चस्तरीय समिति
चर्चा में क्यों?
05 अगस्त, 2021 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के विभिन्न कर्मचारी एवं अधिकारी संगठनों की मांगों के परीक्षण के लिये उच्चस्तरीय समिति (Committee to Examine the Demands of Employees and Officers) के गठन को मंज़ूरी दी।
प्रमुख बिंदु
- यह समिति वेतन विसंगति, वेतन सुधार, पदोन्नति के अवसरों, एसीपी, भत्तों की निरंतरता एवं उपयोगिता, योग्यता, दायित्वों, वित्तीय भार इत्यादि के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न अधिकारी एवं कर्मचारी संगठनों, यथा- पटवारी, मंत्रालयिक एवं कॉन्स्टेबल आदि की मांगों का अन्य राज्यों में प्रचलित व्यवस्थाओं से तुलनात्मक अध्ययन, विश्लेषण एवं परीक्षण कर आवश्यक अनुशंसा करेगी।
- भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी खेमराज चौधरी इस समिति के अध्यक्ष होंगे तथा सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी विनोद पांड्या समिति के सदस्य एवं संयुक्त सचिव, वित्त (नियम) सदस्य सचिव होंगे।
- उल्लेखनीय है कि वित्त एवं विनियोग विधेयक 2021-22 पर चर्चा के जवाब में मुख्यमंत्री गहलोत ने कर्मचारी-अधिकारी संगठनों की मांगों के संबंध में उच्चस्तरीय समिति गठित करने की घोषणा की थी।
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गोबर धन योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (Panchayat and Rural Development Department) द्वारा राज्य में मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के अंतर्गत 200 से अधिक छात्रों का मध्याह्न भोजन तैयार करने वाले 2549 स्कूलों में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वर्ष 2021-22 में 9500 बायोगैस संयंत्र लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- प्रमुख बिंदु
- इसके तहत खाना पकाने के लिये पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता कम करने के लिये आवश्यकता एवं माँग के अनुसार सामुदायिक, सामूहिक एवं व्यक्तिगत बायोगैस संयंत्र स्थापित किये जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण द्वितीय चरण के अंतर्गत स्वच्छता के लिये व्यापक पैमाने पर काम किया जा रहा है। खाना पकाने के लिये रसोई को भी स्वच्छ एवं धुआँरहित बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
- इसी क्रम में गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो एग्रो रिसोर्सेस (गोबर धन) परियोजना के तहत गैस संयंत्र निर्माण किया जा रहा है।
- कोविडबायो-19 महामारी के दौरान स्कूल बंद होने के कारण प्रत्येक ज़िले में कम-से-कम एक गोशाला में तथा 5 से 10 घरों के बीच 20 से 25 सामूहिक बायोगैस संयंत्र लगाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
- बायोगैस संयंत्रों को बढ़ावा देने के लिये जन-भागीदारी एवं सामाजिक व्यवहार परिवर्तन हेतु भी प्रयास जारी है।
- इस कार्य में शासकीय एजेंसी के रूप में ऊर्जा विकास निगम तथा एमपी एग्रो से सहयोग लिया जा रहा है।
- बायोगैस संयंत्र के लिये ग्राम पंचायत स्थल चयन कर अनुशंसा सहित प्रस्ताव जनपद पंचायत को प्रेषित करेगी। जनपद से प्रस्ताव ज़िला पंचायत में पहुँचाए जाएंगे, जहाँ ज़िलास्तरीय तकनीकी समिति द्वारा परीक्षण उपरांत प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जाएगी।
- गौरतलब है कि 12 मई, 2018 को तत्कालीन केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन में गोबर धन योजना (GOBARdhan: Galvanizing Organic Bio Agro Resources) का शुभारंभ किया था।
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भूमि बैंक बनाने के लिये नीति
चर्चा में क्यों?
5 अगस्त, 2021 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई, मंत्रिमंडल की बैठक में सरकारी परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण की कठिन प्रक्रिया से बचते हुए प्रदेश में भूमि बैंक बनाने की सरकार की नीति को मंजूरी दी गयी।
प्रमुख बिंदु
- इस नीति को ‘बोर्डों एवं निगमों सहित सरकारी परियोजनाओं के लिये भूमि बैंक सृजित करने और विकास परियोजनाओं के लिये उनका निपटान नीति कहा जाएगा।
- इस नीति के लिये तीन समितियां भूमि एवं दर जाँच समिति, भूमि बैंक समिति और उच्चाधिकार प्राप्त भूमि बैंक समिति का गठन किया जाएगा।
- इस नीति के अनुसार , अब किसान सहित अन्य लोग मजबूरी में नहीं बल्कि मोलभाव कर सीधे सरकार को अपनी जमीन बेच सकेंगे। राजस्व विभाग इस भूमि बैंक को संभालेगा और जरूरत के अनुसार निगमों , बोर्डों या विभागों को हस्तांतरित करेगा।
- किसान को जमीन बेचने के लिये निदेशक भूमि अभिलेख के ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। इसके लिये उन्हें मूल्य सहित भूमि का पूरा विवरण देना होगा।
- राजस्व विभाग द्वारा अपनी परियोजनाओं के लिये नगर पालिका सीमा के भीतर और उससे दो मील की दूरी तक बनाने को इसे सरकारी विभागों को स्थानांतरित किया जा सकेगा।
- बोर्डों और निगमों सहित सभी विभाग ऐसी भूमि का पता लगाने का प्रयास करेंगे, जो ‘शामलात देह में हों। इस जमीन का इस्तेमाल सरकारी कार्यालय स्थापित करने में हो सकेगा।
- हरियाणा नगर पालिका अधिनियम , 1973 और हरियाणा नगर निगम अधिनियम , 1994 के तहत अचल संपत्ति को राज्य सरकार को हस्तांतरित करने का प्रावधान है। ऐसे में ऐसी जमीन की भी तलाश की जाएगी।
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जाति प्रमाण-पत्र
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लोगों को जाति प्रमाण-पत्र (सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण-पत्र) जारी करने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस संबंध में राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा राज्य के सभी ज़िलों के कलेक्टरों को पत्र जारी कर निर्देश दिये गए हैं।
- राज्य शासन के आदेशानुसार, छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम 2013 के प्रावधानों के तहत जहाँ जाति को प्रमाणित करने हेतु कोई दस्तावेज़ी प्रमाण उपलब्ध नहीं हो तो ग्रामसभा द्वारा आवेदक की जाति के संबंध में पारित संकल्प को मान्य करते हुए जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा।
- इसी तरह से अब नगर पंचायत या नगरपालिका परिषद अथवा सामान्य सभा द्वारा की गई उद्घोषणा को जाति तथा मूल निवासी के संबंध में साक्ष्य के रूप में मान्य कर दिया गया है। इसके तहत नियमानुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा।
- राज्य शासन के इस आदेश के बाद अब राज्य के अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लोगों को जाति प्रमाण-पत्र (सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण-पत्र) प्राप्त करना आसान हो गया है।
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एकीकृत सड़क दुर्घटना डाटाबेस प्रोजेक्ट
चर्चा में क्यों?
5 अगस्त, 2021 को छत्तीसगढ़ में चल रहे एकीकृत सड़क दुर्घटना डाटाबेस (Integrated Road Accident Database- iRAD) परियोजना के कार्य प्रगति की केंद्रीय ई-परिवहन व राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, नई दिल्ली के उप-महानिदेशक ने सराहना करते हुए इस मॉडल का अन्य राज्यों को अनुसरण करने की सलाह दी है।
प्रमुख बिंदु
- देशभर में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं के वास्तविक कारणों का विश्लेषण कर आवश्यक सुधारात्मक उपाय करने तथा दुर्घटनाओं में नियंत्रण के लिये केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) तथा IIT मद्रास के सहयोग से iRAD (एकीकृत सड़क दुर्घटना डाटाबेस) मोबाइल ऐप और वेब एप्लिेशन तैयार किया है।
- मई 2021 के अंतिम सप्ताह में इसकी शुरुआत छत्तीसगढ़ में की गई थी। राज्य टीम ने समय से पहले परियोजना को लागू कर अन्य राज्यों के लिये मिसाल कायम की है।
- सड़क दुर्घटना सड़क की बनावट, ट्रॉफिक कॉमिंग सहित अन्य सड़क सुरक्षा उपायों के न होने, मौसमी कारणों से या कोई अन्य कारणों से हुई हो, इसकी जानकारी इस ऐप के माध्यम से सीधे ज़िला/राज्य मुख्यालय सहित केंद्रीय परिवहन मुख्यालय तथा विश्लेषण/समीक्षा के लिये आईआईटी, मद्रास में पहुँच जाती है।
- दुर्घटना के कारणों की सही जानकारी होने से संबंधित विभागों के अधिकारीगण उस दुर्घटनाजन्य सड़क खंडों में आवश्यक सुधारात्मक उपायों हेतु पहल करेंगे।
- iRAD (एकीकृत सड़क दुर्घटना डाटाबेस) के समुचित उपयोग से संबंधित विभागों को सही जानकारी मिल सकेगी। संबंधित विभागों की प्रचलित सेवाओं को एकीकृत/इंटरफेस किये जाने से वाहन का नंबर लिखते ही वाहन संबंधित पूरी जानकारी एप्लिकेशन उपयोगकर्त्ता को मिल जाएगी।
- इस पर अपलोड किये गए डाटा संबंधित विभागों के माध्यम से सड़क सुरक्षा की भावी कार्य योजनाओं के लिये अत्यंत उपयोगी होंगे। प्रदेश के विभिन्न मार्गों में दुर्घटनाओं के सही कारण मालूम होने से आवश्यक सुधारात्मक उपाय किये जाने से दुर्घटनाओं में कमी संभावित है।
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