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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Jul 2023
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चंबल सेंचुरी में अब जल्द ही डॉल्फिन सेंचुरी

चर्चा में क्यों?

5 जुलाई, 2023 को राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट की उप वन संरक्षक (वन्यजीव) आरुषि मिश्रा ने बताया कि चंबल सेंचुरी में अब जल्द ही डॉल्फिन सेंचुरी क्षेत्र भी घोषित होगा। राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन के संरक्षण के लिये डॉल्फिन सेंचुरी का एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।  

प्रमुख बिंदु  

  • आरुषि मिश्रा ने बताया कि घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुए, पक्षियों और प्राकृतिक सुंदरता से गुलजार चंबल सेंचुरी में अब जल्द ही डॉल्फिन सेंचुरी क्षेत्र भी घोषित होगा। डॉल्फिन सेंचुरी के लिये इटावा स्थित राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी के सहसों क्षेत्र का चयन किया गया है, जहाँ बड़ी संख्या में डॉल्फिन पाई जाती हैं। 
  • इटावा स्थित चंबल सेंचुरी के सहसों के 20 किमी. क्षेत्र में बड़ी संख्या में डॉल्फिन पाई जाती है। यहाँ पर डॉल्फिन की संख्या में लगातार इज़ाफा देखा जा रहा है। इस स्थान पर 50 से 80 के करीब डॉल्फिन पाई जाती हैं।  
  • विदित है कि 2012 में उत्तर प्रदेश की नदियों में डॉल्फिन की हुई गणना में डॉल्फिन की संख्या 671 थीं, जिसमें से 78 चंबल में थीं। इस समय राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी क्षेत्र के बाह रेंज में 24 और इटावा रेंज में 147 डॉल्फिन हैं। 
  • उप वन संरक्षक (वन्यजीव) आरुषि मिश्रा ने बताया कि साल 1979 में घोषित हुए राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य 635 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैला है। यह मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश तीन राज्यों को जोड़ता है।  
  • इसमें साल 2008 से घड़ियालों की प्राकृतिक हैचिंग हो रही है। परिणामस्वरूप घड़ियालों की संख्या 2,176 पहुँच गई है। 878 मगरमच्छ के साथ उत्तर प्रदेश के इटावा तक करीब छह हज़ार दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं। वहीं, चंबल सेंचुरी में संरक्षित राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन का कुनबा भी बढ़ा है।  
  • आरुषि मिश्रा ने बताया कि डॉल्फिन सफारी के लिये भारत सरकार ने दो स्थानों को प्रमुखता दी है। बीते दिनों वाराणसी और चंबल का प्रेजेंटेशन भारत सरकार के सामने हो चुका है। यह इको टूरिज्म और डॉल्फिन कंजर्वेशन की दिशा में भी सरकार का बड़ा कदम है। 
  • गौरतलब है कि गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव है। गंगा डॉल्फिन को वर्ष 2009 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय जलीय जीव (National Aquatic Animal) के रूप में मान्यता दी थी। 
  • संरक्षण स्थिति: 
    • भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत गंगा डॉल्फिन का शिकार करना प्रतिबंधित है। 
    • गंगा डॉल्फिन कोIUCN की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त (Endangered) की श्रेणी में रखा गया है।  
    • गंगा डॉल्फिन को ‘वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’(The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora& CITES) के परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है। 
    • वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS)%परिशिष्ट II (प्रवासी प्रजातियाँ जिन्हें संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता है या जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से काफी लाभ होगा)। 
  • संरक्षण के लिये उठाए गए कदम: 
    • प्रोजेक्ट डॉल्फिन: भारत के प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस-2020 पर दिये गए अपने भाषण में प्रोजेक्ट डॉल्फिन को लॉन्च करने की घोषणा की। यह प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर होगा, जिसने बाघों की आबादी बढ़ाने में मदद की। 
    • डॉल्फिन अभयारण्य: बिहार के भागलपुर ज़िले में विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य की स्थापना की गई है। 
    • संरक्षण योजना: ‘गंगा डॉल्फिन संरक्षण कार्य योजना 2010-2020’ गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के प्रयासों में से एक है, इसके तहत गंगा डॉल्फिन और उनकी आबादी के लिये प्रमुख खतरों के रूप में नदी में यातायात, सिंचाई नहरों और शिकार की कमी आदि की पहचान की गई है। 
    • राष्ट्रीय गंगा डॉल्फिन दिवस: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा प्रतिवर्ष 5 अक्तूबर को गंगा डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाया जाता है।


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