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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Jul 2022
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जलवायु परिवर्तन का असर- उत्तराखंड में समय से पहले खिलने लगे फूल, रंग और गंध में भी अंतर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं क्षेत्रीय प्रभारी डॉ. एस.के. सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन के कारण न सिर्फ फूल निर्धारित समय से पहले खिलने लगे हैं, बल्कि उनके रंगों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों के अनुसार पूरी दुनिया में साढ़े 4 लाख ऐसी वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जिनमें फूल खिलते हैं। इनमें से 40,000 प्रजातियों की वनस्पतियाँ भारत में पाई जाती हैं। 20 हज़ार प्रजातियाँ ऐसी हैं, जिनमें तय समय पर फूल खिलते हैं। निश्चित तापमान और वातावरण में ही फूलों के खिलने की प्रक्रिया शुरू होती है।
  • कुछ फूल ऐसे हैं, जो ऋतुओं के आने का संकेत देते हैं, लेकिन अब जलवायु परिवर्तन से फूलों के खिलने के समय में भी बदलाव देखने को मिल रहा है।
  • डॉ. एस.के. सिंह के मुताबिक राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला राज्य पुष्प ब्रह्म कमल भी अब निर्धारित समय से पहले खिलने लगा है। वहीं फूलों की घाटी में भी समय से पहले फूल खिलने की बातें सामने आ रही हैं।
  • जलवायु परिवर्तन और तापमान में बढ़ोतरी से अब फूलों के रंगों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। अमेरिकन साइंस जर्नल करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, फूलों के पिगमेंट में भी रासायनिक बदलाव देखने को मिल रहा है। पिगमेंट ही पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करता है। पराबैंगनी किरणों का सबसे अधिक असर उच्च हिमालयी क्षेत्रों के फूलों पर देखने को मिल रहा है।
  • शोध में यह बात भी सामने आई कि अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन से ओज़ोन परत के क्षरण और अधिक अल्ट्रावायलेट किरणों के धरती पर आने से फूलों के परागकणों पर भी असर पड़ा है। यह भी फूलों के खिलने के समय और रंगों में बदलाव का एक कारण रहा है।

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स्टार्टअप रैंकिंग-2021 में उत्तराखंड ने हासिल की लीडर्स श्रेणी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग-2021 में उत्तराखंड ने लीडर्स श्रेणी हासिल की है, जबकि गुजरात और कर्नाटक को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य की रैंकिंग मिली है।

प्रमुख बिंदु

  • स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिये सरकार की ओर से किये जा रहे सुधार के चलते उत्तराखंड स्टार्टअप रैंकिंग में एक पायदान आगे बढ़ा है। नवाचार आइडिया को स्टार्टअप के रूप में स्थापित करने के लिये सरकार की ओर से सुविधाओं में सुधार किया जा रहा है, जिससे केंद्र की स्टार्टअप रैंकिंग में राज्य को कामयाबी मिल रही है।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2018 की रैंकिंग में उत्तराखंड को इमर्ज़िग (उभरते) और 2019 में एस्पायरिंग (आकांक्षी) श्रेणी में जगह मिली थी।
  • उद्योग निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल ने बताया कि सरकार की नीतियों से स्टार्टअप रैंकिंग में लगातार सुधार हो रहा है। मान्यताप्राप्त स्टार्टअप को सरकार वित्तीय प्रोत्साहन के साथ तकनीकी सहयोग भी प्रदान कर रही है।
  • सरकार की ओर से स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण, शिक्षा समेत अन्य क्षेत्रों में नवाचार आइडिया पर 128 स्टार्टअप को मान्यता दी गई है। प्रदेश की स्टार्टअप नीति, 2018 के तहत सरकार की ओर से स्टार्टअप को कारोबार स्थापित करने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है, जिसमें एसजीएसटी प्रतिपूर्ति, स्टांप शुल्क में शत-प्रतिशत छूट, उत्पाद का पेटेंट कराने के लिये 1 से 5 लाख रुपए की सहायता, स्टार्टअप को 10 से 15 हजार रुपए तक मासिक भत्ता भी दिया जा रहा है।
  • नवाचार आइडिया को कारोबार में स्थापित करने के लिये सरकार ने 13 इन्क्यूबेशन सेंटरों को मान्यता दी है। जहाँ पर स्टार्टअप को प्रोजेक्ट तैयार करने के लिये मशीनरी, तकनीकी सहयोग की सुविधा उपलब्ध होती है। राज्य में इन्क्यूबेशन सेंटर खुलने से राज्य को स्टार्टअप को प्रोजेक्ट बनाने के लिये दूसरे क्षेत्रों में नहीं जाना पड़ता है।
  • स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने वर्ष 2018 में स्टार्टअप नीति लागू की है। अब सरकार स्टार्टअप और इन्क्यूबेशन सेंटर में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये सुविधाएँ बढ़ाने को नीति में संशोधन की तैयारी कर रही है।

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टूरिज्म प्रोजेक्टों में तेज़ी लाने को बनेगी राज्यस्तरीय कमेटी

चर्चा में क्यों?

5 जुलाई, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आतिथ्य क्षेत्र में निवेश की संभावना कार्यक्रम में घोषणा करते हुए कहा कि पर्यटन प्रोजेक्टों में तेज़ी लाने के लिये राज्यस्तरीय कमेटी बनेगी।

प्रमुख बिंदु

  • राजपुर रोड स्थित एक होटल में उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र के विकास और निवेशकों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) की ओर से प्रदेश में आतिथ्य क्षेत्र में निवेश की संभावना विषय पर हुई चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की।
  • इस राज्यस्तरीय कमेटी का गठन सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम की अध्यक्षता में किया जाएगा। इस कमेटी में वित्त, आवास, लोक निर्माण विभाग, पुलिस, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य सबंधित विभागों के अधिकारी बतौर सदस्य शामिल होंगे।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएँ हैं, जिनके तहत एयर फ्यूल के दामों में 18 प्रतिशत की कमी की गई है। तीन महीने बाद दोबारा सभी पर्यटन निवेशकों से संवाद होगा।
  • सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि निवेशकों के लिये सरकार की ओर से बनाई गई नीतियों का सरलीकरण किया जाएगा।
  • पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने के बाद पर्यटन में निवेश की असीम संभावनाएँ हैं। राज्य सरकार का उद्देश्य आगामी 5 वर्षों में 5 हज़ार करोड़ रुपए का निवेश पर्यटन के क्षेत्र में करना है।

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प्रदेशभर में मनेगा हरेला उत्सव

चर्चा में क्यों?

4 जुलाई, 2022 को उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वन मुख्यालय परिसर में मंथन सभागार में आयोजित बैठक में कहा कि विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी 16 जुलाई को हरेला पर्व प्रदेशभर में हर्षोल्लास से मनाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • वन मंत्री ने कहा कि इस बार क्षेत्र की भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों के हिसाब से पौधों का चयन किया जाएगा। इसके लिये पौध और तकनीक वन विभाग की ओर से उपलब्ध कराई जाएंगी।
  • इस दौरान वन विभाग ने प्रदेशभर में 15 लाख से अधिक पौधे रोपने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत पहली बार इस उत्सव पर 50 प्रतिशत से अधिक फलदार पौधे रोपे जाएंगे।
  • हरेला पर्व पर स्कूल, कॉलेज और वन पंचायतों की सहभागिता को बढ़ाने पर ज़ोर दिया जाएगा। पौधे लगाने के बाद वह जिंदा भी रहें और आने वाले समय में समाज को इनका लाभ मिले, इसके लिये प्रयास किये जाएंगे।
  • वन पंचायतों को सुदृढ़ करने की दृष्टि से इस बार फलदार पौधरोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि भविष्य में वहाँ के लोगों की आजीविका इनसे जुड़ सके।
  • वन मंत्री ने कहा कि पुलिस वन और मेरा वन जैसी तमाम दूसरी वाटिकाएँ प्रदेशभर में विकसित की जाएंगी। इसके तहत स्कूल, कॉलेज और तमाम विभागों को यह जिम्मा सौंपा जाएगा। लोग इन वाटिकाओं में अपने, परिजनों और दिवंगतों के नाम से पौधे लगा सकेंगे। इन पौधों को जिंदा रखने और संवारने की ज़िम्मेदारी भी संबंधित व्यक्ति को ही दी जाएगी।

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