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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टूरिस्ट मैप का विमोचन किया
चर्चा में क्यों?
5 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ज़िले में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान सर्किट हाउस में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ज़िले के टूरिस्ट सर्किट मैप का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस टूरिस्ट सर्किट मैप में ज़िले के सभी धार्मिक, पर्यटन और ऐतिहासिक स्थलों को चिह्नित किया गया है, साथ ही गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ज़िले के निकटस्थ ज़िलों में आवागमन के लिये रोड मैप को भी दर्शाया गया है।
- जिला प्रशासन के अनुसार इस टूरिस्ट सर्किट मैप के ज़रिये पर्यटकों को ज़िले के अंतर्गत सभी प्रमुख स्थलों की जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी। साथ ही, उन्हें स्थलों पर आवागमन के लिये सुविधा होगी।
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छत्तीसगढ़ शासन एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के बीच हुआ एमओयू
चर्चा में क्यों?
5 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ज़िले के सर्किट हाउस में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के आजीविका व्यापार प्रशिक्षण केंद्र एवं छत्तीसगढ़ शासन के बीच एमओयू हुआ।
प्रमुख बिंदु
- इस एमओयू के अनुसार गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक द्वारा सामुदायिक केंद्र या कौशल विकास केंद्र की स्थापना की जाएगी। इसके लिये राज्य सरकार द्वारा ज़िले के ग्राम लालपुर में 3 हेक्टेयर भूमि आवंटित कर दी गई है।
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रोफेसर प्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि यह क्षेत्र दुर्लभ औषधीय प्रजाति से समृद्ध है। साथ ही यहाँ के निवासी पेड़-पौधे और दुर्लभ जीव-जंतुओं एवं औषधियों के जानकार है। उनके द्वारा विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कार्य करने पर न ही सिर्फ इस क्षेत्र का विकास होगा, बल्कि पूरी मानव जाति का कल्याण होगा।
- विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित केंद्र द्वारा डिप्लोमा तथा डिग्री प्रोग्राम संचालित किये जाएंगे, जिसमें नेशनल स्किल क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क के अनुकूल एवं गाइडलाइन के अनुसार विभिन्न रोजगार उन्मुख ई-कौशल पाठ्यक्रम शामिल रहेंगे। साथ ही इस केंद्र के सहयोग से स्व-रोजगार स्थापित करने के इच्छुक अभ्यर्थियों को मार्केट लिंकेज तथा क्रेडिट लिंकेज की सेवा प्रदान की जाएगी।
- इसका उद्देश्य जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्व-सहायता समूह की महिलाओं, ग्रामीणों एवं युवाओं को कौशल विकास तथा रोजगारोन्मुखी, व्यवसायपरक शिक्षा प्रदान कर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिये विभिन्न विधाओं में पारंगत कर जनजातीय उन्नयन की दिशा में कार्य करना है।
- लाइवलीहुड बिजनेस इन्क्यूबेशन (एलबीआई) के समेकित प्रशिक्षण केंद्र द्वारा क्षेत्रीय जनजातियों एवं किसानों को विभिन्न ट्रेड्स में प्रशिक्षित किया जाएगा। केंद्र के समेकित प्रशिक्षण केंद्र द्वारा जनजातीय समुदायों को व किसानों को विभिन्न ट्रेड्स में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
- केंद्र द्वारा क्षेत्रीय उत्पाद- कोदो कुटकी, शहद आदि से विभिन्न उत्पाद तैयार कर उनकी ब्रॉन्डिंग भी की जाएगी तथा किसानों को उचित मूल्य प्रदान किया जाएगा, जिससे क्षेत्र के किसान की आय में वृद्धि होगी और छत्तीसगढ़ के उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
- इस क्षेत्र के युवाओं को कौशल विकास में पारंगत होने से स्व-रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, उच्च शिक्षा प्राप्त करने के भी अवसर मिलेंगे। साथ ही उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये बड़े शहर जाने से मुक्ति मिलेगी।
- इस एमओयू से इस केंद्र में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को शोध करने का अवसर मिलेगा। यह क्षेत्रीय जनजातीय समुदाय को मुख्य धारा में जोड़ने, शैक्षणिक व आर्थिक रूप से समृद्ध व आत्मनिर्भर करने में सहायक सिद्ध होगा।
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मोर आखर और स्पोर्ट्स फॉर डेवलपमेंट की शुरुआत
चर्चा में क्यों?
5 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट-मुलाकात दौरे के तहत गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ज़िले में दो नवाचार कार्यक्रम ‘मोर आखर’ और ‘स्पोर्ट्स फॉर डेवलपमेंट’ की शुरुआत की।
प्रमुख बिंदु
- ‘मोर आखर’ कार्यक्रम गौरेला और पेंड्रा विकासखंड की 299 प्राथमिक शालाओं में क्रियान्वित किया जाएगा, जो प्राथमिक शालाओं के बच्चों की प्रारंभिक भाषा शिक्षा में सुधार लाने, बच्चों की पढ़ने-लिखने की क्षमता को अधिक प्रभावी बनाने की पहल है।
- दूसरा कार्यक्रम ‘स्पोर्ट्स फॉर डेवलपमेंट’ के तहत खेल के माध्यम से ज़िले की 543 प्राथमिक शालाओं के बच्चों को प्रायोगिक एवं व्यावहारिक पद्धति से तैयार किया जाएगा, ताकि उनमें तेजी से सीखने के कौशल के साथ-साथ स्वास्थ्य, शारीरिक एवं मानसिक विकास और उनकी जीवनशैली में सुधार लाया जा सके।
- गौरतलब है कि दुनिया के 50 देशों में व्यावहारिक शिक्षा की इस पद्धति का सफल प्रयोग किया जा चुका है।
- कोरोना काल में स्कूलों के बंद होने के कारण बच्चों में सीखने की क्षमता में कमी आई है। इसे देखते हुए ‘मोर आखर’ कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया है, जो बच्चों में पढ़ने की क्षमता और पढ़ने की आदत में वृद्धि करने में सहायक होगा।
- इसी तरह ‘स्पोर्ट्स ऑफ डेवलपमेंट’ गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ज़िले के सभी स्कूलों में शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य शारीरिक व मानसिक विकास करना तथा खेल-खेल में बच्चों की सीख बढ़ाना है।
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत कक्षा उपयुक्त, उम्र उपयुक्त और बालक-बालिकाओं को खेल में समान अवसर प्रदान किया जाना शामिल है। यह दोनों कार्यक्रम यूनिसेफ के सहयोग से संचालित किये जाएंगे।
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