उत्तर प्रदेश Switch to English
इंडिया रैंकिंग- 2023 : शीर्ष विश्वविद्यालय रैंक में बीएचयू को मिला पाँचवा स्थान
चर्चा में क्यों?
5 जून, 2023 को शिक्षा एवं विदेश राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने इंडिया रैंकिंग 2023 जारी की, जिसमें शीर्ष विश्वविद्यालय रैंक में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) को पाँचवां स्थान जबकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को नौवाँ स्थान मिला है।
प्रमुख बिंदु
- इंडिया रैंकिंग 2023 में शीर्ष विश्वविद्यालय रैंकिंग में भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू को पहला स्थान मिला है जबकि दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय को क्रमश: दूसरा और तीसरा स्थान मिला है।
- वहीं इंडिया रैंकिंग 2023 में ओवरआल रैंकिंग में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास को पहला, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू को दूसरा और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली को तीसरा स्थान मिला है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर को पाँचवां और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को ग्यारहवाँ स्थान मिला है।
- शिक्षा एवं विदेश राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह द्वारा जारी इंडिया रैंकिंग 2023 वर्ष 2015 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा विभिन्न संस्थाओं की रैंकिंग संबंधी उद्देश्य के लिये तैयार किये गए राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) को लागू करती है।
- विदित है कि शिक्षा मंत्रालय ने 2015 में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) का मसौदा तैयार करने का सराहनीय कदम उठाया था, जो विभिन्न श्रेणियों और विषय क्षेत्रों में देश के उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) की गुणवत्ता एवं उत्कृष्टता का आकलन करने के लिये बहु-आयामी मापदंडों को परिभाषित करता है और उन्हें इन मापदंडों पर हासिल कुल अंकों के आधार पर रैंक प्रदान करता है।
- शिक्षा एवं विदेश राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि इंडिया रैंकिंग देश के उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) के बीच विभिन्न श्रेणियों और विषयों के मामले में विभिन्न विश्वविद्यालयों की सापेक्ष स्थिति के आधार पर उनकी पहचान करने में छात्रों के लिये एक मूल्यवान उपकरण के तौर पर काम करती है।
- इस रैंकिंग ने विश्वविद्यालयों को शिक्षण, अनुसंधान, संसाधनों और बुनियादी ढाँचे से जुड़ी सुधार की जरूरत वाले क्षेत्रों की पहचान करने में भी मदद की है।
- यह देश के उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) की इंडिया रैंकिंग का लगातार आठवाँ संस्करण है। इंडिया रैंकिंग के 2023 संस्करण में शामिल किये गए तीन विशिष्ट पहलू इस प्रकार हैं:
- कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र नाम के एक नए विषय का समावेश
- दो अलग-अलग एजेंसियों को एक जैसे आँकड़े प्रदान करने के विभिन्न संस्थानों के बोझ को कम करने के उद्देश्य से इंडिया रैंकिंग में अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टीच्यूशंस ऑन इनोवेशन अचीवमेंट्स (एआरआईआईए) द्वारा पूर्व में निष्पादित ‘इनोवेशन’ रैंकिंग का एकीकरण।
- अर्बन और टाउन प्लानिंग में पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले संस्थानों को शामिल करने हेतु ‘वास्तुकला’ के दायरे का ‘वास्तुकला एवं नियोजन’ तक विस्तार।
- नई श्रेणी (नवाचार) एवं नए विषय (कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र) और ‘वास्तुकला’ से ‘वास्तुकला एवं नियोजन’ के विस्तार के साथ, इंडिया रैंकिंग का मौजूदा पोर्टफोलियो उन 13 श्रेणियों एवं विषयों तक बढ़ गया है जिन्हें इंडिया रैंकिंग 2023 में रैंक प्रदान किया गया है।
- इंडिया रैंकिंग 2016 के प्रथम वर्ष के दौरान, विश्वविद्यालयों के साथ-साथ तीन क्षेत्र-विशिष्ट रैंकिंग यानी इंजीनियरिंग, प्रबंधन और फार्मेसी संस्थानों के लिये रैंकिंग की घोषणा की गई थी। आठ वर्षों की अवधि में, चार नई श्रेणियाँ और पाँच नए विषय जोड़े गए हैं, जो संपूर्ण सूची को पाँच श्रेणियों यानी समग्र, विश्वविद्यालय, कॉलेज, अनुसंधान संस्थान एवं नवाचार तथा आठ विषयों यानी इंजीनियरिंग, प्रबंधन, फार्मेसी, वास्तुकला एवं नियोजन, चिकित्सा, विधि, दंत चिकित्सा और कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में वर्गीकृत करते हैं।
- शिक्षा मंत्रालय द्वारा नवंबर 2015 में शुरू की गई राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) का उपयोग इस संस्करण के साथ-साथ वर्ष 2016 से लेकर 2023 तक के लिये जारी इंडिया रैंकिंग के पिछले सात संस्करणों के लिये किया गया था। एनआईआरएफ में मापदंडों की पाँच व्यापक श्रेणियों चिन्हित की गई हैं।
- इंडिया रैंकिंग 2023 की मुख्य विशेषताएँ-
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास ने समग्र श्रेणी में लगातार पाँचवें वर्ष यानी 2019 से लेकर 2023 तक और इंजीनियरिंग श्रेणी में लगातार आठवें वर्ष, यानी 2016 से लेकर 2023 तक अपना पहला स्थान बनाए रखा है।
- समग्र श्रेणी में शीर्ष 100 में 44 सीएफटीआई/सीएफयू आईएनआई, 24 राज्य विश्वविद्यालय, 13 मानद विश्वविद्यालय, 18 निजी विश्वविद्यालय, 4 कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के संस्थान और 3 प्रबंधन संस्थान शामिल हैं।
- भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु लगातार आठवें वर्ष यानी 2016 से लेकर 2023 तक विश्वविद्यालयों की श्रेणी में शीर्ष पर रहा। यह लगातार तीसरे वर्ष यानी 2021 से लेकर 2023 तक अनुसंधान संस्थानों की श्रेणी में पहले स्थान पर रहा।
- आईआईएम अहमदाबाद लगातार चौथे वर्ष यानी 2020 से लेकर 2023 तक प्रबंधन विषय में अपना पहला स्थान बनाए हुए है। इंडिया रैंकिंग के प्रबंधन विषय में इसे 2016 से लेकर 2019 तक शीर्ष दो में स्थान दिया गया था।
- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली लगातार छठे वर्ष यानी 2018 से लेकर 2023 तक चिकित्सा में शीर्ष स्थान पर है।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, हैदराबाद पहली बार जामिया हमदर्द को दूसरे स्थान पर धकेलते हुए फार्मेसी रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर आया है। जामिया हमदर्द को लगातार चार वर्षों यानी 2019 से लेकर 2022 तक पहले स्थान पर रखा गया था।
- मिरांडा हाउस ने लगातार सातवें वर्ष यानी 2017 से लेकर 2023 तक कॉलेजों की श्रेणी में पहला स्थान बनाए रखा है।
- आईआईटी रुड़की लगातार तीसरे वर्ष यानी 2021 से लेकर 2023 तक वास्तुकला (आर्किटेक्चर) विषय में पहले स्थान पर है।
- नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बंगलुरु ने लगातार छठे वर्ष यानी 2018 से लेकर 2023 तक विधि श्रेणी में अपना पहला स्थान बनाए रखा है।
- कॉलेजों की रैंकिंग में पहले 10 कॉलेजों में से दिल्ली के पाँच कॉलेजों ने अपना दबदबा बनाए रखा है।
- द सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज ने लगातार दूसरे वर्ष शीर्ष स्थान हासिल किया है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की श्रेणी में शीर्ष स्थान पर है।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर नवाचार श्रेणी में शीर्ष स्थान पर है।
राजस्थान Switch to English
वन मंत्री ने दिया 33 नये एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन सहित प्रदेश को कई सौगात
चर्चा में क्यों?
5 जून, 2023 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में 33 नये एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन का उद्घाटन तथा जमवारामगढ़ के थोलाई स्थित इंटीग्रेटेड रिसोर्स रिकवरी पार्क का शिलान्यास किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति आमजन में चेतना लाने के उद्देश्य से जनजागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया तथा प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा पूर्व में आयोजित हैक द वेस्ट हैकाथॉन के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया।
- वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि आने वाली पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य और प्रदूषण नियंत्रण के लिये सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित किया गया है। इसके साथ ही प्रदेश में जारी नवीन वन नीति में पौधारोपण को बढ़ावा दिया गया है।
- इस अवसर पर वन मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वैट लैंड और ग्रास लैंड विकास के लिये 40 करोड़ रुपए एवं विश्व प्रसिद्ध सांभर झील के विकास के लिये 10 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
- उन्होने बताया कि प्रदेश में ईको टयूरिजम को बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक ज़िले में 2-2 लव-कुश वाटिका का कार्य प्रगति पर है।
- इस अवसर पर राजस्थान ई-वेस्ट प्रबंधन नीति, राजस्थान जलवायु परिवर्तन नीति, राजस्थान वन नीति 2023, प्लास्टिक वेस्ट इंवेट्राइजेशन प्रतिवेदन सहित राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के ब्रोशर का विमोचन किया गया।
झारखंड Switch to English
मुख्यमंत्री ने एमएसएर्मई नीति के प्रस्ताव को दी मंजूरी
चर्चा में क्यों?
5 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड सरकार द्वारा तैयार की गई एमएसएर्मई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) नीति के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंजूरी दे दी है। अब वित्त व विधि विभाग की मंजूरी के लिये इस प्रस्ताव को भेज दिया गया है, इसके बाद इसे कैबिनेट में भेजा जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- जानकारी के अनुसार झारखंड सरकार ने एमएसएर्मई के लिये न केवल नीति बनाई है, बल्कि इसके लिये अलग निदेशालय का भी गठन करने जा रही है। निदेशालय के गठन के प्रस्ताव को प्रशासनिक पदवर्ग समिति की मंजूरी के लिये भेजा जाएगा।
- सरकार एमएसएर्मई उद्योगों को 10 करोड़ रुपए तक सब्सिडी देगी। साथ ही एमएसएर्मई उद्योगों द्वारा अपने कर्मचारियों के इपीएफ और इएसआई की राशि जमा करने पर सरकार प्रति कर्मचारी एक हज़ार रुपए प्रति माह की राशि भी देगी।
- झारखंड सरकार ने एमएसएर्मई नीति के प्रस्ताव में लिखा है कि झारखंड में पूर्व से 2.33 लाख एमएसएर्मई कार्यरत हैं। एमएसएमई सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा रोज़गार मिलता है और इसको ध्यान में रखते हुए एमएसएमई के लिये अलग से नीति बनाई गई है जिसका नाम एमएसएमई पॉलिसी 2023 रखा गया है।
- सरकार ने इसके उद्देश्यों के संबंध में कहा है कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य है एमएसएमई उद्योगों का विकास हो, ताकि रोज़गार का दरवाज़ा खुल सके। नीति में नये एमएसएमई उद्योगों के विकास के साथ-साथ पुराने उद्योगों के भी जीर्णोद्धार की बात कही गई है।
- प्रस्ताव में लिखा गया है कि एमएसएमई के लिये अलग से निदेशालय का गठन किया जाएगा और सभी ज़िलों में डिस्ट्रिक्ट एमएसएमई (डीएमसी) सेंटर भी खोला जाएगा।
- एमएसएमई निदेशालय पहली बार उद्योग लगा रहे उद्यमियों को पूरी सहायता करेगा। निदेशालय डीएमसी को मार्गदर्शन देगा और मॉनिटरिंग भी करेगा। साथ ही राज्य व केंद्र सरकार के एमएसएमई योजना और कार्यक्रमों को राज्य में लागू करेगा। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने का काम करेगा।
- एमएसएमई निदेशालय के आवश्यक निगम, बोर्ड या प्राधिकार का गठन करेगा, सब्सिडी व अन्य सहायता प्रदान करेगा। दूसरी ओर डीएमसी उद्यमियों को केंद्र व राज्य की योजनाओं का लाभ लेने में सहायता करेगा, उनके निबंधन से लेकर सिंगल विंडो क्लीयरेंस में सहायता करेगा, उद्यमियों को उद्योग लगाने में आ रही तकनीकी समस्याओं को दूर करेगा, ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में उत्पादन व सेवा इकाइयों के विस्तार में सहयोग करेगा, नियमित रूप से कार्यशाला व प्रशिक्षण का आयोजन करेगा, एमएसएमई कलस्टर स्थापित करने में सहयोग करेगा।
- एमएसएमई को तीन वर्गों में बाँटा गया है- एक करोड़ रुपए तक की लागत वाले प्लांट माइक्रो इंटरप्राइज कहलाएंगे, 10 करोड़ तक की लागत वाले प्लांट स्मॉल इंटरप्राइज कहलाएंगे, वहीं 50 करोड़ रुपए की लागत और अधिकतम 250 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले प्लांट मीडियम इंटरप्राइज कहलाएंगे।
- झारखंड एमएसएमई पॉलिसी 2023 में कंप्रेहेंसिव प्रोजेक्ट इन्वेस्टमेंट सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इसके तहत माइक्रो इंटरप्राइजेज को एक करोड़ रुपए तक, स्मॉल इंटरप्राइजेज को पाँच करोड़ रुपए तक व मीडियम इंटरप्राइजेज को 10 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी।
- एसटी, एससी, महिला व दिव्यांग उद्यमी को पाँच प्रतिशत की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी, साथ ही स्टांप ड्यूटी व निबंधन में भी शत-प्रतिशत छूट दी जाएगी।
- क्वालिटी सर्टिफिकेशन में भी सरकार 10 लाख रुपए तक की सहायता देगी, पेटेंट कराने पर भी 10 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा।
- विदेशों में उत्पाद ले जाने पर भी छूट : विदेशों में अपने उत्पादों की बिक्री के लिये किसी प्रदर्शनी में भाग लेने पर सरकार एक प्रदर्शनी के लिये चार लाख रुपए व एयर फेयर में 50 हज़ार रुपए की सहायता देगी।
छत्तीसगढ़ Switch to English
मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 21.31 करोड़ रुपए की राशि का किया ऑनलाईन अंतरण
चर्चा में क्यों?
5 जून, 2023 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को राशि के ऑनलाइन अंतरण के लिये आयोजित कार्यक्रम में हितग्राहियों के खाते में ऑनलाईन 21.31 करोड़ रुपए की राशि अंतरित की।
प्रमुख बिंदु
- इस राशि में 16 मई से 31 मई तक गौठानों से क्रय किये गए गोबर के एवज में ग्रामीण पशुपालकों के 4.91 करोड़ रुपए तथा गौठान समितियों के 8.98 करोड़ एवं स्व-सहायता समूहों के 6.29 करोड़ रुपए की लाभांश राशि तथा गौठान समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों के मानदेय की 1.13 करोड़ रुपए की राशि शामिल है।
- गौरतलब है कि गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को इस राशि को मिलाकर अब तक 538 करोड़ 89 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। इसमें से योजना के प्रारंभ होने के बाद से अब तक गोबर विक्रेताओं को 237.28 करोड़ रुपए तथा स्व- सहायता समूहों एवं गौठान समितियों को 223.60 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
- मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्षों और सदस्यों को मिलाकर समिति के कुल 21 हज़ार 360 सदस्यों की मानदेय की 1.13 करोड़ रुपए की राशि जारी की। स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्ष को 750 रुपए और अशासकीय सदस्यों को 500 रुपए का मानदेय दिया जा रहा है।
- मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि प्रदेश में 10 हज़ार 409 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, इनमें से 98 प्रतिशत, 10 हज़ार 235 गौठानों का निर्माण पूरा हो गया है।
- 4 हज़ार 584 गौठान ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले 15 दिनों में 30 क्विंटल या उससे अधिक गोबर की खरीदी की है। इससे पूर्व के पखवाड़े की तुलना में इतनी अधिक मात्रा में गोबर खरीदने वाले गौठानों की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार पिछले वर्ष 16 से 31 मई, 2022 की तुलना में इस वर्ष इसी अवधि में गोबर खरीदी में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- प्रदेश के 05 हज़ार 911 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। इन गौठानों द्वारा अब तक गोबर खरीदी के एवज में कुल 53 करोड़ 80 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। आज गोबर खरीदी के एवज में जारी की गई 04 करोड़ 91 लाख रुपए की राशि में से 03 करोड़ 05 लाख रुपए का भुगतान स्वावलंबी गौठानों द्वारा तथा विभाग द्वारा 01 करोड़ 86 लाख रुपए का भुगतान किया गया है।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में चल रही विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियों से 15 हज़ार 905 स्व सहायता समूहों की 01 लाख 89 हज़ार 614 सदस्यों को अब तक 144 करोड़ 22 लाख रुपए की आय हुई है।
- श्री बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना का एक उद्देश्य पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन करना भी है। राज्य सरकार द्वारा सुराजी गाँव योजना, मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना, वृक्ष संपदा योजना, कृष्ण कुंज योजना, नदी तट वृक्षारोपण, फलदार पौधा रोपण जैसी योजनाओं के माध्यम से अपने पर्यावरण को लगातर बेहतर बनाने का काम किया जा रहा है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में बनेंगे ड्रोन कॉरिडोर
चर्चा में क्यों ?
5 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में ड्रोन संचालन को बढ़ावा देने के लिये कॉरिडोर बनाए जाएंगे। इसके लिये सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) ने ड्रोन संचालन व निर्माण कंपनियों से प्रस्ताव मांगें हैं।
प्रमुख बिंदु
- आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि पिछले दिनों ड्रोन नीति बनाने के दौरान सभी हितधारकों की बैठक हुई थी। इसमें हितधारकों विशेषकर ड्रोन निर्माता व संचालकों से संभावित ड्रोन कॉरिडोर का प्रस्ताव मांगा गया है।
- उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव आने के बाद राज्य के हवाई नक्शे के हिसाब से इसका अध्ययन किया जाएगा। फिर उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) के माध्यम से नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
- डीजीसीए से अनुमति मिलने के बाद राज्य में ड्रोन के कॉरिडोर तय हो जाएंगे। सभी ज़िलों में ड्रोन संचालन के लिये जो कॉरिडोर बनेंगे, उन्हें आपस में लिंक किया जाएगा। इसके बाद प्रदेश में ड्रोन के समर्पित रास्तों का पूरा नेटवर्क तैयार हो जाएगा। नियम को तोड़ने वालों पर भविष्य में कार्रवाई भी हो सकेगी।
- ड्रोन कॉरिडोर बनाने के पीछे एक मकसद यह भी है कि इससे ऐसे रास्ते तैयार किये जाएंगे, जो हवाई सेवाओं को बाधित न करें। वहीं, सीमांत प्रदेश होने के नाते तमाम प्रतिबंधित क्षेत्रों को भी सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
- ज्ञातव्य है कि वर्तमान में प्रदेश में उत्तरकाशी से दून या अन्य जगहों पर ड्रोन संचालन का कोई समर्पित कॉरिडोर नहीं है, जिससे कई ड्रोन को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इससे अधिक समय लगने और ड्रोन की बैटरी भी जल्द खत्म होने का खतरा है। ड्रोन कॉरिडोर के बन जाने से उड़ान का समय तो कम होगा ही, उसकी बैटरी भी लंबी दूरी की उड़ान में मदद करेगी।
- ड्रोन के क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार जल्द ही ड्रोन नीति लाने जा रही है। आईटीडीए ने इसका ड्राफ्ट शासन को भेजा है। इसके तहत ड्रोन संचालन से लेकर ड्रोन की खरीद तक के सभी प्रावधान किये जाएंगे।
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