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जल जीवन सर्वेक्षण 2023 में बिहार के 4 ज़िले शीर्ष 10 में
चर्चा में क्यों?
4 अप्रैल, 2023 को केंद्र सरकार की पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जल जीवन सर्वेक्षण 2023 के तहत जनवरी के लिये जारी राष्ट्रव्यापी रैंकिंग में बिहार के समस्तीपुर ज़िले को देशभर में पहला स्थान मिला है, वहीं इस सर्वेक्षण में दूसरे नंबर पर बिहार के शेखपुरा, तीसरे पर सुपौल और चौथे पायदान पर बांका ज़िला है।
प्रमुख बिंदु
- ज्ञातव्य है कि ज़िला स्तर पर यह कार्य मुख्य रूप से पीएचईडी एवं पंचायत राज विभाग के संयुक्त सहयोग से किया जा रहा है। वहीं, चार अन्य ज़िलों की रैंकिंग को केंद्र सरकार ने वन टू टेन में रखा है। जहाँ हर घर नल का जल योजना का काम सबसे तेजी से हो रहा है।
- राज्य में स्वच्छता सर्वेक्षण की तर्ज पर केंद्र ने भी हर माह जलापूर्ति सर्वेक्षण शुरू किया है। इसमें पानी की शुद्धता के बारे में लाभुकों से फीडबैक लिया जा रहा है। इसके जरिये केंद्र सरकार देश के सभी गाँवों में पेयजल की स्थिति का आकलन कर रही है। केंद्र सरकार द्वारा ज़िला व राज्य की रैंकिंग मासिक और वार्षिक रूप से जारी होती है, इस सर्वेक्षण में बिहार के पाँच ज़िले सबसे ऊपर हैं।
- यह सर्वेक्षण मुख्यत: चार बिंदुओं पर किया गया था, इसमें ग्रामीण परिवारों के घरों में नल का जल की उपलब्धता, नल से मिलने वाले जल की मात्रा, जल की गुणवत्ता, जलापूर्ति की निरंतरता और पेयजल से संबंधित शिकायतों के मानकों पर ही संपादित किया गया।
- केंद्र सरकार के डैसबोर्ड पर सभी राज्यों के डेटा को देखा जाएगा। वहीं, बिहार में नल का जल किस तरह से काम कर रहा है, इसको लेकर दूसरे राज्यों को जानकारी दी जाएगी कि बिहार ने किस तरह से जलापूर्ति योजना में काम किया है।
- सर्वेक्षण शुरू होने से पूर्व सभी राज्यों की मीटिंग में निर्णय लिया गया था कि यहाँ किये गए कार्यों को दूसरे उन राज्य में मॉडल रूप में प्रयोग किया जाएगा। जहाँ अभी तक कम से कम काम हुए हैं।
- इस सर्वेक्षण में टॉप टेन की रैंकिंग-
- समस्तीपुर (बिहार)
- शेखपुरा (बिहार)
- सुपौल (बिहार)
- बांका (बिहार)
- वेल्लोर (तमिलनाडु)
- सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)
- देहरादून (उत्तराखंड)
- अन्नामबया (आंध्र प्रदेश)
- लखीसराय (बिहार)
- बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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पश्चिमी चंपारण के सुगंधित मर्चा चावल को मिला जीआई टैग
चर्चा में क्यों?
4 अप्रैल, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के पश्चिमी चंपारण ज़िले के सुगंधित मर्चा/ मेरचा धान को ज्योग्रॉफिकल इंडीकेशन (जीआई) टैग प्राप्त हुआ है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि धान की इस स्वदेशी किस्म का उत्पादन केवल बिहार के पश्चिमी चंपारण क्षेत्र में ही होती है। यह जानकारी जीआई जर्नल में प्रकाशित की गयी है।
- जीआई टैग के लिये आवेदन करने वाले मर्चा धान उत्पादक प्रगतिशील समूह को अब केवल औपचारिक तौर पर जीआई टैग का प्रमाण-पत्र मिलना बाकी रह गया है। प्रमाण-पत्र अगस्त में मिलेगा।
- मर्चा/ मेरचा धान की इस विशेष किस्म का आकार काली मिर्च से मिलता-जुलता होता है। यह धान बेहद सुगंधित और स्वादिष्ट होता है। इससे बनने वाला सुगंधित चूड़े की देश में ख्याति है।
- इसके उत्पादक क्षेत्र पश्चिमी चंपारण ज़िले के मैनाटांड़, गौनाहा, नरकटियागंज, रामनगर, चनपटिया ब्लॉक है। इसकी औसत उपज 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस धान का पौधा लंबा होता है। इसकी उपज 145-150 दिन में तैयार हो जाती है। इस तरह पश्चिमी चंपारण के 18 ब्लॉक में से छह ब्लॉक में इसकी खेती की जाती है।
- उल्लेखनीय है कि इससे पहले बिहार के कृषि एवं उद्यानिकी के उत्पादों- जर्दालू आम, भागलपुर का कतरनी चावल, मुजफ्फरपुर की शाही लीची, मगध क्षेत्र का मगही पान और मिथिला का मखाना को जीआई टैग मिल चुका है।
- इसके अलावा हस्तशिल्प में मंजूषा कला, सुजनी कढ़ाई का काम, एप्लिक खटवा वर्क, सिक्की घास के उत्पाद, भागलपुरी सिल्क, मधुबनी पेंटिंग और सिलाव के खाजा को भी जीआई टैग हासिल हो चुका है।
- जीआई टैग मिलने से संबंधित उत्पाद की पहचान वैश्विक फलक पर पहचानी जाती है। निर्यात को बढ़ावा मिलता है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलता है। जीआई टैग मिलने से उत्पाद को सुरक्षा और उसके संरक्षण की दिशा में सरकार किसानों का सहयोग करती है तथा एग्रो टूरिज्म भी बढ़ता है।
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