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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 05 Dec 2023
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक की प्रमुख निर्णय

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में 250 से कम आबादी वाले 3177 गाँवों को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिये ‘मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना’ को मंज़ूरी देने के साथ ही कई अन्य महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।

प्रमुख बिंदु

  • कैबिनेट ने माध्यमिक शिक्षा विभाग को प्रति वादन के हिसाब से सहायक अध्यापक और प्रवक्ता रखने की अनुमति दे दी है। ऐसे 1500 से 2000 शिक्षक रखे जा सकेंगे।
  • कैबिनेट ने वर्ष 2009 से वर्ष 2016-17 के दौरान आवेदन के बावजूद ‘कन्याधन योजना’ के लाभ से वंचित रह गईं 35088 बेटियों को लाभ देने का फैसला किया है। उन्हें 15,000 की दर से धनराशि मिलेगी। इस पर सरकार 52 करोड़ 63 लाख रुपए खर्च करेगी।
  • छात्र-छात्राओं को आधुनिक और गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के लिये प्रदेश में 559 उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना होगी। उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में ऐसे विद्यालय का चयन किया जाएगा, जिसके 15 किमी. की परिधि में अधिक-से-अधिक राजकीय हाईस्कूल एवं राजकीय इंटर कॉलेज संचालित हों। इन पर 240 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
  • जहाँ सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं है, वहाँ निजी भूमि पर हेलिपेड बनाने के लिये प्रोत्साहन नीति को मंज़ूरी दे दी गई है। नीति के तहत हेलिपेड बनाने पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। लीज पर भूमि भी दी जा सकती है।
  • कैबिनेट ने वर्चुअल रजिस्ट्री की नीति को मंज़ूरी दे दी है। इसके तहत अब घर बैठे ऑनलाइन रजिस्ट्री कराई जा सकेगी। व्यक्ति को कार्यालय में आने की आश्यकता नहीं होगी।
  • कैबिनेट ने पिथौरागढ़ और हरिद्वार में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों में 100-100 एमबीबीएस प्रशिक्षु क्षमता के संचालन के लिये 950-950 पदों के ढाँचे को मंज़ूरी दी है।
  • अब प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाने पर परिवहन विभाग आवेदक से 100 रुपए यूजर चार्ज वसूलेगा। इससे लाइसेंस बनवाना कुछ महँगा हो जाएगा। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है।


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प्रदेश सरकार ने पहली उत्तराखंड हेलीपैड व हेलीपोर्ट नीति को मंज़ूरी दी

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2023 को उत्तराखंड राज्य सरकार ने प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये पहली उत्तराखंड हेलीपैड व हेलीपोर्ट नीति को मंज़ूरी दी है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही आपातकालीन चिकित्सा और आपदा के दौरान बचाव व राहत कार्यों में आसानी होगी।

प्रमुख बिंदु

  • प्रदेशभर में कई ऐसे स्थान हैं, जहाँ पर हेलीपैड या हेलीपोर्ट विकसित किया जा सकता है, लेकिन यहाँ पर सरकारी ज़मीन उपलब्ध नहीं है। इसके लिये सरकार ने निजी भूमि पर हेलीपैड व हेलीपोर्ट बनाने की नीति को मंज़ूरी दी है।
  • नीति में हेलीपैड व हेलीपोर्ट के लिये ज़मीन देने के लिये भू-स्वामी को दो विकल्प दिये गए हैं-
    • पहला, भूस्वामी ज़मीन को 15 साल के लिये उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) को लीज़ पर दे सकता है, जिसमें यूकाडा डीजीसीए नियमों के तहत हेलीपैड को विकसित करेगा। इसके लिये बदले भू-स्वामी को प्रति वर्ष 100 रुपए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से किराया दिया जाएगा। इसके अलावा संचालन एवं प्रबंधन से प्राप्त होने वाले राजस्व का 50 प्रतिशत भुगतान किया जाएगा।
    • दूसरा, भू-स्वामी स्वयं भी हेलीपैड व हेलीपोर्ट को विकसित कर सकता है। इसके लिये डीजीसीए से लाइसेंस लेकर हेलीपैड का इस्तेमाल करने वालों से शुल्क लेगा। सरकार की ओर से कुल पूंजीगत व्यय पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।
  • नीति में हेलीपैड के लिये कम-से-कम 1,000 वर्गमीटर और हेलीपोर्ट के लिये 4,000 वर्गमीटर ज़मीन अनिवार्य है। हेलीपैड बनाने के लिये 10 से 20 लाख रुपए तक खर्च और हेलीपोर्ट निर्माण में दो से तीन करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है। यदि भूस्वामी स्वयं हेलीपैड व हेलीपोर्ट बनाता है तो इस पर सरकार सब्सिडी देगी, जिसका भुगतान दो किस्तों में किया जाएगा।


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