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वरिष्ठ पत्रकार व राज्य आंदोलनकारी योगेश भट्ट बने राज्य सूचना आयुक्त
चर्चा में क्यों?
4 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड की धामी सरकार ने राज्य आंदोलनकारी और वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट को सूचना आयुक्त की ज़िम्मेदारी सौंपी है। उनका कार्यकाल पद ग्रहण करने के दिन से अगले तीन साल तक रहेगा।
प्रमुख बिंदु
- प्रभारी सचिव सुरेंद्र नारायण पांडेय की ओर से इस बाबत आदेश ज़ारी किये गए हैं।
- गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनी चयन समिति ने शासन को प्राप्त आवेदनों के आधार पर उनका चयन किया है। समिति में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कैबिनेट मंत्री चंदनराम दास शामिल हैं।
- उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान छात्र जीवन में रहते हुए योगेश भट्ट ने सक्रिय आंदोलनकारी की भूमिका निभाई। स्टूडेंट्स एंड यूथ एलायंस (साया) के संचालनकर्त्ताओं में शामिल रहे भट्ट पर ‘राज्य नहीं तो चुनाव नहीं’आंदोलन के दौरान गैंगस्टर एक्ट भी लगाया गया था। राज्य बनने के बाद भी तमाम मंचों पर उत्तराखंड से जुड़े सवालों पर योगेश की मुखरता निरंतर बनी रही।
- 90 के दशक में पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले योगेश भट्ट की पहचान प्रखर पत्रकार के रूप में भी बनी हुई है। उन्होंने कई समाचार पत्रों में काम करते हुए अलग पहचान बनाई। योगेश पत्रकार हितों के मुद्दे पर भी हमेशा मुखर रहे हैं। ये उत्तरांचल प्रेस क्लब में महामंत्री और अध्यक्ष का दायित्व भी निभा चुके हैं।
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केदारनाथ की तर्ज पर महासू देवता व जागेश्वर मंदिर का बनेगा मास्टर प्लान
चर्चा में क्यों?
4 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि केदारनाथ और बदरीनाथ धाम की तर्ज पर अब हनोल स्थित महासू देवता और अल्मोड़ा स्थित जागेश्वर मंदिर के विकास के लिये मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने जारी बयान में कहा कि केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण और बदरीनाथ धाम मास्टर प्लान पर काम चल रहा है। केदारनाथ व बदरीनाथ में हर साल आने वाले यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
- गौरतलब है कि देहरादून जिले में हनोल स्थित महासू देवता और अल्मोड़ा के जागेश्वर मंदिर में लोगों की अटूट आस्था है। यहाँ देश के कई राज्यों से भी लोग दर्शन के लिये आते हैं।
- पर्यटन मंत्री ने कहा कि केदारनाथ व बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान में आईएनआई एजेंसी की सेवाएँ ली गई थी। महासू और जागेश्वर मंदिर का मास्टर प्लान बनाने के लिये आईएनआई को सिंगल सोर्स के माध्यम से अनुमति देने की प्रक्रिया चल रही है। अनुमति मिलते ही इन दोनों मंदिरों का मास्टर प्लान के अनुसार विकास कार्य किये जाएंगे।
- मास्टर प्लान बनने से दोनों ऐतिहासिक मंदिरों में यात्री सुविधाओं का सुनियोजित ढंग से विकास हो सकेगा।
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उत्तराखंड के पहाड़ों में टनल पार्किंग के लिये 12 जगह तय
चर्चा में क्यों?
4 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड के उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण के संयुक्त मुख्य प्रशासक पीसी दुमका ने बताया कि मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु के निर्देश पर चार ज़िलों में कुल 12 पहाड़ों को टनल पार्किंग के लिये चुना गया है। इनकी डीपीआर बनाई जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि हर साल लाखों पर्यटक उत्तराखंड आते हैं, लेकिन पहाड़ी ज़िलों में पार्किंग की समस्या विकराल है। पार्किंग की समस्या दूर करने के लिये मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु के निर्देशों पर टनल पार्किंग पर काम शुरू हुआ था।
- पार्किंग बनाने के लिये आरवीएनएल, यूजेवीएनएल, टीएचडीसी और एनएचआईडीसीएल को कार्यदायी संस्था बनाया गया है।
- टनल पार्किंग के लिये पौड़ी में दो, टिहरी में छह, उत्तरकाशी में दो और नैनीताल में दो मिलाकर कुल 12 टनल पार्किंग की जगह तय की गई है।
- जिन पर्वतीय जिलों में पार्किंग के लिये बड़ा मैदान उपलब्ध नहीं है, वहाँ पहाड़ों के भीतर ही टनल से पार्किंग का काम लिया जाएगा। ये पार्किंग ऐसी बनाई जाएंगी कि एक तरफ से वाहन पार्किंग के लिये घुसेगा और दूसरी सड़क पर बाहर निकल जाएगा।
- गौरतलब है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2025 तक प्रदेश में 50 बड़ी पार्किंग बनाने का लक्ष्य तय किया है। 2030 तक इनकी संख्या 100 तक हो जाएगी। इसमें निजी सहभागिता के लिये भी विशेष छूट के प्रावधान किये जा रहे हैं। इसके लिये शासन स्तर पर पार्किंग नीति की प्रक्रिया चल रही है, जो जल्द ही कैबिनेट में लाई जाएगी।
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