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स्टेट पी.सी.एस.

  • 05 Dec 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

रेड टेप को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले पद्मश्री इरशाद मिर्जा का निधन

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2022 को रेड टेप को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले, चर्म निर्यातक और मिर्जा इंटरनेशनल के चेयरमैन पद्मश्री इरशाद मिर्जा का बीमारी के चलते निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे।

प्रमुख बिंदु

  • इरशाद मिर्जा ने कंपनी की शुरुआत की 1979 में की थी, जो लेदर बनाने और टैनिंग व फिनिशिंग के लिये काम करती है। कंपनी में बनने वाला लेदर विदेश में भी एक्सपोर्ट होता है। उनका नाम फोर्ब्स मैगजीन की प्रभावशाली उद्योगपतियों की सूची में आ चुका है।
  • इरशाद मिर्जा ने अपने कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1973 में चमड़े के सामान (काठी उत्पाद) के एक निर्यातक के तौर पर की। 32 वर्षों की अवधि में उन्होंने एक निर्यात व्यवसाय खड़ा किया, जिसका कारोबार लगभग 350 करोड़ रुपए है। इसमें 11000 लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार से जुड़े हैं। वर्ष 1975 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समकालीन काठी (सैडलरी) विकसित की और इसे ऑस्ट्रेलिया ले गए, जहाँ इसे खूब पसंद किया गया।
  • गौरतलब है कि इरशाद मिर्जा राजनाथ सिंह की उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
  • इरशाद मिर्जा ने एक शैक्षणिक संस्थान, एक साहित्य प्रचार अकादमी और कई अन्य संस्थानों की स्थापना की है। वह रोटरी क्लब के कानपुर चैप्टर के अध्यक्ष भी रहे हैं।
  • मिर्जा फाउंडेशन से उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों और ग्रामीणों को उच्च श्रेणी की चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करने के लिये अपने कारखानों के पास 100 बिस्तरों वाला अस्पताल भी बनवाया है।
  • वह चमड़ा निर्यात परिषद के अध्यक्ष, एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के प्रबंध समिति के सदस्य तथा उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन के निदेशक की जिम्मेदारियाँ सँभाल चुके हैं।

बिहार Switch to English

पटना, पूर्णिया और दरभंगा में खतरनाक स्तर पर पहुँचा प्रदूषण

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2022 को जारी आँकड़ों के मुताबिक बिहार के पूर्णिया, दरभंगा और राजधानी पटना में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। पूर्णिया और दरभंगा में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार पहुँच चुका है। वहीं राजधानी पटना में एक्यूआई 378 है।

प्रमुख बिंदु

  • 4 दिसंबर शाम चार बजे तक के आँकड़ों के मुताबिक पूर्णिया में एयर क्वालिटी इंडेक्स 423 और दरंभगा में 422 पहुँच गया था। वायु प्रदूषण का यह खतरनाक स्तर मानव स्वास्थ्य के लिये बेहद हानिकारक माना जाता है।
  • बिहार के लगभग सभी शहरों में प्रदूषण का कारण पीएम 5 है। पीएम 2.5 हवा में मौजूद ऐसे धूल कणों को कहा जाता है जिनका आकार 2.5 माइक्रोन से कम होता है। यह साँस के ज़रिये शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं।
  • इसके साथ ही बिहार के अन्य सभी प्रमुख शहरों में प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब है। आँकड़ों के मुताबिक जिन शहरों की हवा बेहद खराब है, उनमें औरंगाबाद का एक्यूआई 342, बेतिया का एक्यूआई 354, भागलपुर का एक्यूआई 335, बिहार शरीफ का एक्यूआई 368, गया का एक्यूआई 313, कटिहार का एक्यूआई 391, मुंगेर का एक्यूआई 301, राजगीर का एक्यूआई 360, सहरसा का एक्यूआई 362, समस्तीपुर का एक्यूआई 345, सासाराम का एक्यूआई 329 रहा।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान आई.टी किक्रेट लीग का उद्घाटन

चर्चा में क्यों?

3 दिसंबर, 2022 को राजस्थान सूचना प्रोद्योगिकी एवं संचार विभाग के आयुक्त आशीष गुप्ता द्वारा भवानी निकेतन क्रिकेट ग्राउंड्स में राजस्थान आई.टी किक्रेट लीग के तृतीय संस्करण का उद्घाटन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • क्रिकेट लीग के मुख्य आयोजक ऋतेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस बार लीग में विभाग में विभिन्न ज़िलों में पदस्थापित अधिकारियों एवं कार्मिकों की 26 ज़िलों की टीमों सहित 400 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।
  • उल्लेखनीय है कि राजस्थान आई.टी किक्रेट लीग का प्रथम संस्करण 2019 में एवं द्वितीय संस्करण 2021 में आयोजित किया गया था। 

राजस्थान Switch to English

अलवर ज़िला कलक्टर को मिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण हेतु सर्वश्रेष्ठ ज़िले का पुरस्कार

चर्चा में क्यों?

3 दिसंबर, 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में अलवर ज़िला कलक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी को वर्ष 2022 के लिये दिव्यांगजन सशक्तीकरण हेतु उत्कृष्ट कार्य करने पर सर्वश्रेष्ठ ज़िले का पुरस्कार प्रदान किया।

प्रमुख बिंदु

  • राजस्थान कैडर में अक्सर अपने नवाचारों के लिये चर्चित रहने वाले आईएएस अफसर और अलवर ज़िला कलक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी को यह अवार्ड ज़िले में दिव्यांगजनों के कल्याण के लिये राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर एवं उनके कल्याण के लिये नवाचार करते हुए दिव्यांग सशक्तीकरण की दिशा में किये गए कार्यों के लिये दिया गया।
  • उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिीकरण विभाग सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा यह पुरस्कार प्रतिवर्ष दिव्यांगजन के लिये सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले देश के केवल एक ज़िले को प्रदान किया जाता है।
  • डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी से पहले साल 2022 में राजस्थान के 6 और आईएएस अफसरों को भी राष्ट्रीय स्तर पर अवॉर्ड मिल चुके हैं। राजस्थान कैडर में इस समय करीब 248 आईएएस अफसर हैं, जिनमें से करीब 10 अफसर तो ऐसे हैं, जिनको राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के हाथों अवॉर्ड मिल चुके हैं।
  • वर्तमान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यालय (सीएमओ) में शासन सचिव के पद पर तैनात आईएएस गौरव गोयल को 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अवॉर्ड मिला था। यह अवॉर्ड ‘स्क्रॉल ऑफ ऑनर’ के नाम से दिया गया था। नोटबंदी के दौरान कैशलेस भुगतान को प्रमोट करने के लिये उनको यह अवॉर्ड दिया गया था।
  • कोरोना में सरकारी स्कूलों से पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों में से करीब 90 प्रतिशत को वापस स्कूलों में नामांकित करने में मिली सफलता के लिये शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके गोयल को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड की तरफ से नवंबर-2022 में अवॉर्ड मिला था।
  • चूरू ज़िला के कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग को ज़िले में खेलो इंडिया योजना को कामयाब बनाने और चूरू ज़िले के शानदार प्रदर्शन के लिये प्रधानमंत्री के स्तर पर ‘नेशनल एक्सीलेंसी अवॉर्ड’ दिया गया है। यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्लैगशिप योजना है। इसके तहत पूरे देश में खेलों को बढ़ावा देने पर काम किया जा रहा है।
  • सूचना व प्रौद्योगिकी विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव संदीप वर्मा को सरकारी विभागों में सामान खरीदने की प्रक्रिया (पब्लिक प्रोक्योरमेंट प्रोसेस) को पारदर्शी बनाने के लिये केंद्र सरकार के अरुण जेटली नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट की तरफ से जून-2022 में राष्ट्रीय अवॉर्ड मिला था।
  • वर्तमान में हनुमानगढ़ ज़िले की कलेक्टर रुक्मणि रियार को केंद्रीय प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत निवारण मंत्रालय की ओर से नवंबर-2022 में ई-गवर्नेंस में बेस्ट वर्क के लिये अवॉर्ड दिया गया था।
  • इनके अलावा वर्तमान में करौली के कलेक्टर अंकित कुमार सिंह को इस साल 2 बार नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है। उनको मार्च-2022 में जल संरक्षण के लिये जल शक्ति मंत्रालय की ओर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और जुलाई-2022 में ज़िले में लघु उद्योगों को प्रमोट करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल अवॉर्ड दिया है।

राजस्थान Switch to English

ई-फाइलिंग लागू करने वाला प्रदेश का पहला कलक्ट्रेट बना जयपुर

चर्चा में क्यों? 

3 दिसंबर, 2022 को जयपुर कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने बताया कि जयपुर कलेक्ट्रेट में ई-फाइलिंग सिस्टम को लागू किया गया है। राजस्थान में ई-फाइलिंग लागू करने वाला जयपुर पहला कलेक्ट्रेट बन गया है।

प्रमुख बिंदु

  • जयपुर कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने एक नवाचार के तहत जयपुर कलेक्ट्रेट में ई-फाइलिंग सिस्टम को लागू किया है। कलेक्ट्रेट की संस्थापन शाखा और सामान्य शाखा से ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरुआत की गई है। जल्द ही ई-फाइलिंग सिस्टम को पूरे कलेक्ट्रेट में लागू किया जाएगा।
  • अतिरिक्त ज़िला कलक्टर (प्रथम) दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि जयपुर ज़िला कलेक्ट्रेट को पेपरलैस बनाने की दिशा में ई-फाइलिंग सिस्टम मील का पत्थर साबित होगा। इस फैसले से न केवल कागज की बचत होगी बल्कि फाइलों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग करना भी मुमकिन होगा।
  • ज़िला कलेक्ट्रेट में अभी तक राज-कार्य कागज की पत्रावलियों के माध्यम से हो रहा था, जिससे न केवल बड़ी मात्रा में कागज की खपत हो रही थी, साथ ही इन पत्रावलियों और फाइलों का सुरक्षित संधारण सुनिश्चित करना मुश्किल होता था। अब राजस्थान सरकार के सूचना एवं तकनीकी विभाग द्वारा तैयार किये गए राज-काज सॉफ्टवेयर से सारा राज-कार्य ई-फाइलिंग सिस्टम के जरिये होगा।
  • इसके तहत पत्रावली भौतिक न होकर ऑनलाइन प्रारूप में होगी। राज-काज सॉफ्टवेयर पर ही पत्रावली तैयार की जाएगी और ऑनलाइन ही संबंधित अधिकारी को अग्रेषित की जाएगी। अधिकारी अपनी एसएसओ आईडी से लॉगइन कर पत्रावली पर कार्यालय टिप्पणी कर सकेंगे या फिर डिजिटल साइन के माध्यम से फाइल का अनुमोदन कर सकेंगे। साथ ही ऑनलाइन ही आदेश भी जारी हो सकेंगे।
  • ई-फाइलिंग सिस्टम लागू होने से जयपुर कलेक्ट्रेट में कार्यालय टिप्पणी से लेकर पत्रावली अनुमोदन तक की सारी प्रक्रिया पेपर लैस हो जाएगी और फाइलों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जा सकेगी।
  • फाइलों के फिजिकल मूवमेंट नहीं होने से पेपर, समय और मानव-श्रम की बचत तो होगी ही साथ ही वर्क फ्रॉम होम और वर्क ऐनी ह्वेयर, ऐनी टाइम की अवधारणा भी मुमकिन हो पाएगी। राजकीय कार्यों में सरलता और पारदर्शिता तो आएगी ही साथ ही पत्रावलियों का संचालन और संधारण पहले के मुकाबले और आसान हो जाएगा। सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के ज़िला कार्यालय में भी ई-फाइलिंग सिस्टम लागू कर दिया गया है।

मध्य प्रदेश Switch to English

‘अनुगूँज’ का स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री ने किया शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2022 को प्रदेश के स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने शासकीय सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय, भोपाल में ‘अनुगूँज’ के चतुर्थ संस्करण का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा ‘कला से समृद्ध शिक्षा’के अंतर्गत मध्य प्रदेश में प्रतिवर्ष होने वाले शासकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों के सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘अनुगूँज’का आयोजन 5 दिसंबर तक किया जाएगा।
  • ‘अनुगूँज’मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग का वैश्विक शिक्षा प्रणाली STEAM (साइंस, टैक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्टस और मैथेमेटिक्स) की दिशा में ‘कला से समृद्ध शिक्षा’का अभिनव कार्यक्रम है। अब अनुगूँज के कार्यक्रम अन्य संभागों में भी आयोजित किये जा रहे हैं। इन संभागों की कुछ मोहक प्रस्तुतियॉँ राजधानी भोपाल के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में भी शामिल हैं।
  • मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि अरुण शमी ने कहा कि भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय ‘अनुगूँज’के चतुर्थ संस्करण में प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन संभाग के विद्यार्थी प्रतिभागिता कर रहे हैं। ‘अनुगूँज’तीन प्रमुख भागों रंगकार, धनक और सृजन के अंतर्गत संपादित किया जा रहा है।
  • अनुगूँज’विद्यार्थियों को ‘कला के साथ शिक्षा’के संदर्भ में बड़े उत्साह के साथ कलाओं की बारीकियाँ सीखने का अवसर प्रदान करता है।
  • केंद्र सरकार द्वारा परिकल्पित ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’कार्यक्रम में सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिये मध्य प्रदेश को उत्तर पूर्वी राज्यों, मणिपुर एवं नागालैंड के साथ समूहबद्ध किया गया है, जिससे अंतर्राज्यीय संस्कृति, कलाओं एवं शैलियों को जानने का अवसर मिले। इस तारतम्य में अनुगूँज 2022 में इन राज्यों की सांस्कृतिक झलक भी दिखाई देगी।

मध्य प्रदेश Switch to English

कान्हा टाइगर रिज़र्व में जंगली भैंसें बसाएगी सरकार

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के पीसीसीएफ वन्यप्राणी, जे.एस. चौहान ने कहा कि कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में जंगली भैंसें बसाने की तैयारी है। वन विभाग असम सरकार को पत्र लिखकर जंगली भैंसों की मांग करेगा।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में आज से 40 साल पहले जंगली भैंसें पाए जाते थे। धीरे-धीरे वे विलुप्त हो गए। अब राज्य सरकार एक बार फिर प्रदेश के जंगल को जंगली भैंसों से आबाद करने का प्रयास कर रही है।
  • एशियाई जंगली भैंसों की संख्या वर्तमान में चार हजार से भी कम रह गई है। एक सदी पहले तक पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में बड़ी तादाद में पाए जाने वाले जंगली भैंसें आज केवल भारत, नेपाल, बर्मा और थाईलैंड में ही पाए जाते हैं।
  • भारत में असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ये पाए जाते हैं। मध्य भारत में ये छत्तीसगढ़ में गरियाबंद ज़िले के सीतानदी-उदंती टाइगर रिज़र्व और बीजापुर ज़िले के कुटरु में स्थित इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाते हैं।
  • जंगली भैंसों की एक प्रजाति, जिसके मस्तक पर सफेद निशान होता है, पहले मध्य प्रदेश के वनों में भी पाई जाती थी, लेकिन अब विलुप्त है।
  • मादा जंगली भैंस अपने जीवन काल में पाँच बच्चों को जन्म देती है। इनकी जीवन अवधि नौ साल की होती है। आम तौर पर मादा जंगली भैंसे और उनके बच्चे झुंड बनाकर रहती हैं और नर झुंड से अलग रहते हैं। लेकिन यदि झुंड की कोई मादा गर्भ धारण के लिये तैयार होती है तो सबसे ताकतवर नर उसके पास किसी और नर को नहीं आने देता। यह नर आम तौर पर झुंड के आसपास ही बना रहता है।
  • नर बच्चे दो साल की उम्र में झुंड छोड़ देते हैं। जंगली भैंसा का जन्म अक्सर बारिश के मौसम के अंत में होता है। यदि किसी बच्चे की माँ मर जाए तो दूसरी मादाएँ उसे अपना लेती हैं।
  • जंगली भैंसों को सबसे बड़ा खतरा पालतू मवेशियों की संक्रमित बीमारियों से है, इनमें प्रमुख बीमारी फुट एंड माउथ है। रिडंर्पेस्ट नाम की बीमारी ने एक समय इनकी संख्या में बहुत कमी ला दी थी।

झारखंड Switch to English

झारखंड के इतिहास में पहली बार एक महिला बनी प्रशासनिक सेवा संघ की अध्यक्ष

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2022 को राजधानी राँची के मोरहाबादी स्थित राँची कॉलेज के आर्यभट्ट सभागार में झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ की आम सभा सह निर्वाचन प्रक्रिया में सर्वसम्मति से रंजीता हेम्ब्रम को अध्यक्ष चुना गया। झारखंड के 22 साल के इतिहास में पहली बार एक महिला प्रशासनिक सेवा संघ की अध्यक्ष चुनी गई हैं। 

प्रमुख बिंदु

  • रंजीता हेम्ब्रम के अलावा सरायकेला-खरसावां के डीडीसी प्रवीण गगराई ने भी इस पद के लिये नॉमिनेशन किया था। बाद में प्रवीण ने अपना नाम वापस ले लिया और सर्वसम्मति से रंजीत हेम्ब्रम को झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ का अध्यक्ष चुन लिया गया। रंजीता हेम्ब्रम के अध्यक्ष चुने जाने से पहले राम कुमार सिन्हा इस संघ के अध्यक्ष थे।
  • बिहार प्रशासनिक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा पास करने के बाद रंजीता हेम्ब्रम प्रशासनिक सेवा में आई थीं। संयुक्त बिहार में आयोजित परीक्षा में वह महिला टॉपर थीं। पूरे बिहार में उनका ओवरऑल सातवाँ रैंक था। 41वें बीपीएससी 1998 बैच की अधिकारी रंजीता हेम्ब्रम राँची ज़िला के रातू प्रखंड की प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) रह चुकी हैं।
  • रंजीता हेम्ब्रम वर्तमान में झारखंड संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद की संयुक्त सचिव हैं। वह झारखंड कम्बाइंड इंट्रेंस कंपटीटिव एग्जामिनेशन बोर्ड (JCECEB) की डिप्टी कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन भी हैं। 

झारखंड Switch to English

झारखंड के साहिबगंज समेत 9 ज़िलों के किसानों को प्राकृतिक खेती की मिलेगी ट्रेनिंग

चर्चा में क्यों?

3 दिसंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में प्राकृतिक खेती के लिये आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अमृत कुमार झा ने बताया कि झारखंड के साहिबगंज समेत नौ ज़िलों में जल्द ही किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दी जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि देशभर के 425 जिलों में प्राकृतिक खेती करने के लिये कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें झारखंड के साहिबगंज समेत नौ जिलों का भी चयन किया गया है।
  • इसके तहत किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीके बताए जाएंगे। किसानों को रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना छोड़ प्राकृतिक खेती करने के लिये बढ़ावा को लेकर जागरूक किया जाएगा।
  • प्राकृतिक खेती करने के लिये किसानों को प्रशिक्षण देकर जागरूक किया जाएगा, ताकि मिटेी की उर्वरा शत्ति बनी रहे। रासायनिक खाद का उपयोग खेतों में नहीं करने, खेतों में ज्यादा से ज्यादा गोबर, खाद और गौ मूत्र का उपयोग करके किसान प्राकृतिक खेती करें, ताकि खेतों में केंचुआ की संख्या में वृद्धि हो सके। रासायनिक खाद के उपयोग से खेत में केंचुए की संख्या में कमी आ रही है, जिससे खेतों की उर्वरा शत्ति में कमी आ रही है।      

छत्तीसगढ़ Switch to English

राजस्व मंत्री ने किया राजस्व पुस्तक परिपत्र ग्रंथ का विमोचन

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2022 को प्रदेश के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने अपने कोरबा निवास पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय कुमार दुबे द्वारा लिखित राजस्व पुस्तक परिपत्र ग्रंथ का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

  • लगभग 1100 पृष्ठों के इस ग्रंथ में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद लोक हित में भू-राजस्व संहिता में जितने संशोधन किये गए हैं तथा इन संशोधनों के प्रवर्तन के लिये राज्य सरकार द्वारा शासकीय परिपत्रों के माध्यम से जो दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं, उन सभी का समावेश किया गया है।
  • राजस्व पुस्तक परिपत्र ग्रंथ के लोकार्पण अवसर पर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि इस ग्रंथ में राजस्व संबंधी सभी संदर्भों का समावेश होने से राजस्व प्रकरणों के संबंध में यह ग्रंथ मार्गदर्शक की भूमिका अदा करते हुए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। इस ग्रंथ से राजस्व न्यायालयों और अधिवक्ताओं को बहुत सहायता मिलेगी।
  • राजस्व पुस्तक परिपत्र ग्रंथ के लेखक विजय कुमार दुबे ने बताया कि ग्रंथ में राजस्व संबंधी मामलों के संदर्भ में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी किये गए अद्यतन परिपत्रों तक को समाहित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ राजस्व संबंधी प्रकरणों के निपटान में एक संदर्भ पुस्तक के रूप में सर्व संबंधित के लिये बहुत उपयोगी साबित होगा।
  • विजय कुमार दुबे ने बताया कि उनके द्वारा लिखित अनेक पुस्तकों में से यह चौथी पुस्तक है, जिसका विमोचन राजस्व मंत्री द्वारा किया गया है। इससे पूर्व तीन अन्य पुस्तकों का विमोचन विगत वर्षों में राजस्व मंत्री द्वारा किया गया है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

बुजुर्गों, दिव्यांगजन और तृतीय लिंग समुदाय के लिये हेल्पलाईन सुविधा शुरू

चर्चा में क्यों?

3 दिसंबर, 2022 को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में महिला बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया और नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और तृतीय लिंग समुदाय के लोगों को आपात् कालीन स्थिति में जरूरी सुविधा उपलब्ध कराने के लिये शुरू की गई नई हेल्पलाइन सुविधा का विधिवत् शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

इस सुविधा के जरिये मेडिकल सहायता, पेंशन के साथ ही विभिन्न योजनाओं में आ रही दिक्कतों का त्वरित समाधान किया जाएगा। इस नई हेल्पलाइन सुविधा का संचालन समाज कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है।

  • गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य स्थापना दिवस से बुजुर्गों, दिव्यांग और तृतीय लिंग समुदाय के लिये हेल्पलाईन नंबर 155326 और टोल फ्री नंबर- 1800-233-8989 की सुविधा शुरू करने की घोषणा की थी। समाज कल्याण विभाग द्वारा इस सुविधा का संचालन प्रायोगिक तौर पर किया जा रहा था। अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर इसका विधिवत् शुभारंभ हुआ है।
  • इस नई सुविधा से महतारी एक्सप्रेस-102, मेडिकल हेल्पलाइन 104 और आपात् कालीन सेवाओं के लिये जारी नंबर 112 को भी जोड़ा गया है। इससे बुजुर्ग, दिव्यांग और तृतीय लिंग समुदाय के लोगों को बेहतर सुविधा मिलेगी।
  • उल्लेखनीय है कि ऐसे वृद्धजन जो घर में अकेले हों और जिनकी संतानें प्रदेश के बाहर कार्यरत हैं, उनके लिये आपात् स्थितियों में सहायता के लिये प्रदेश में कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं थी। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ में बुजुर्गों के लिये एक नवंबर (राज्य निर्माण दिवस) से सियान हेल्पलाइन शुरू करने की घोषणा की थी।
  • समाज कल्याण विभाग द्वारा वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजन और उभयलिंग व्यक्तियों के कल्याण और पुनर्वास के लिये कई योजनाएँ और कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। हेल्पलाईन और टोल फ्री नंबर के माध्यम से विभागीय योजनाओं की जानकारी के साथ आपात्कालीन सेवाएँ, परामर्श, शिकायत, पेंशन भुगतान के निराकरण संबंधी अनेक कार्यों के लिये मदद ली जा सकती है।
  • इस अवसर पर महिला बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री अनिला भेंड़िया ने कहा कि मुख्यमंत्री के अनुमोदन पर हर वर्ष लगभग 10 हज़ार दिव्यांगजनों को मोटराईज्ड ट्राइसाइकिल सहित अन्य पुनर्वास उपकरण वितरित किये जाएंगे। इसी प्रकार 15 हज़ार दिव्यांगजनों को उनके रूचि के मुताबिक रोज़गार से जोड़ने के लिये कौशल उन्नयन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इनमें 5-5 हज़ार अस्थि बाधित, दृष्टि बाधित और मुक बधिर दिव्यांगजनों को कौशल उन्नयन प्रशिक्षण देने की कार्ययोजना बनाई गई है।  

उत्तराखंड Switch to English

वरिष्ठ पत्रकार व राज्य आंदोलनकारी योगेश भट्ट बने राज्य सूचना आयुक्त

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड की धामी सरकार ने राज्य आंदोलनकारी और वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट को सूचना आयुक्त की ज़िम्मेदारी सौंपी है। उनका कार्यकाल पद ग्रहण करने के दिन से अगले तीन साल तक रहेगा।

प्रमुख बिंदु

  • प्रभारी सचिव सुरेंद्र नारायण पांडेय की ओर से इस बाबत आदेश ज़ारी किये गए हैं।
  • गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनी चयन समिति ने शासन को प्राप्त आवेदनों के आधार पर उनका चयन किया है। समिति में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कैबिनेट मंत्री चंदनराम दास शामिल हैं।
  • उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान छात्र जीवन में रहते हुए योगेश भट्ट ने सक्रिय आंदोलनकारी की भूमिका निभाई। स्टूडेंट्स एंड यूथ एलायंस (साया) के संचालनकर्त्ताओं में शामिल रहे भट्ट पर ‘राज्य नहीं तो चुनाव नहीं’आंदोलन के दौरान गैंगस्टर एक्ट भी लगाया गया था। राज्य बनने के बाद भी तमाम मंचों पर उत्तराखंड से जुड़े सवालों पर योगेश की मुखरता निरंतर बनी रही।
  • 90 के दशक में पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले योगेश भट्ट की पहचान प्रखर पत्रकार के रूप में भी बनी हुई है। उन्होंने कई समाचार पत्रों में काम करते हुए अलग पहचान बनाई। योगेश पत्रकार हितों के मुद्दे पर भी हमेशा मुखर रहे हैं। ये उत्तरांचल प्रेस क्लब में महामंत्री और अध्यक्ष का दायित्व भी निभा चुके हैं।

उत्तराखंड Switch to English

केदारनाथ की तर्ज पर महासू देवता व जागेश्वर मंदिर का बनेगा मास्टर प्लान

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि केदारनाथ और बदरीनाथ धाम की तर्ज पर अब हनोल स्थित महासू देवता और अल्मोड़ा स्थित जागेश्वर मंदिर के विकास के लिये मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने जारी बयान में कहा कि केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण और बदरीनाथ धाम मास्टर प्लान पर काम चल रहा है। केदारनाथ व बदरीनाथ में हर साल आने वाले यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
  • गौरतलब है कि देहरादून जिले में हनोल स्थित महासू देवता और अल्मोड़ा के जागेश्वर मंदिर में लोगों की अटूट आस्था है। यहाँ देश के कई राज्यों से भी लोग दर्शन के लिये आते हैं।
  • पर्यटन मंत्री ने कहा कि केदारनाथ व बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान में आईएनआई एजेंसी की सेवाएँ ली गई थी। महासू और जागेश्वर मंदिर का मास्टर प्लान बनाने के लिये आईएनआई को सिंगल सोर्स के माध्यम से अनुमति देने की प्रक्रिया चल रही है। अनुमति मिलते ही इन दोनों मंदिरों का मास्टर प्लान के अनुसार विकास कार्य किये जाएंगे।
  • मास्टर प्लान बनने से दोनों ऐतिहासिक मंदिरों में यात्री सुविधाओं का सुनियोजित ढंग से विकास हो सकेगा।

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उत्तराखंड के पहाड़ों में टनल पार्किंग के लिये 12 जगह तय

चर्चा में क्यों?

4 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड के उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण के संयुक्त मुख्य प्रशासक पीसी दुमका ने बताया कि मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु के निर्देश पर चार ज़िलों में कुल 12 पहाड़ों को टनल पार्किंग के लिये चुना गया है। इनकी डीपीआर बनाई जा रही है।

प्रमुख बिंदु

  • विदित है कि हर साल लाखों पर्यटक उत्तराखंड आते हैं, लेकिन पहाड़ी ज़िलों में पार्किंग की समस्या विकराल है। पार्किंग की समस्या दूर करने के लिये मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु के निर्देशों पर टनल पार्किंग पर काम शुरू हुआ था।
  • पार्किंग बनाने के लिये आरवीएनएल, यूजेवीएनएल, टीएचडीसी और एनएचआईडीसीएल को कार्यदायी संस्था बनाया गया है।
  • टनल पार्किंग के लिये पौड़ी में दो, टिहरी में छह, उत्तरकाशी में दो और नैनीताल में दो मिलाकर कुल 12 टनल पार्किंग की जगह तय की गई है।
  • जिन पर्वतीय जिलों में पार्किंग के लिये बड़ा मैदान उपलब्ध नहीं है, वहाँ पहाड़ों के भीतर ही टनल से पार्किंग का काम लिया जाएगा। ये पार्किंग ऐसी बनाई जाएंगी कि एक तरफ से वाहन पार्किंग के लिये घुसेगा और दूसरी सड़क पर बाहर निकल जाएगा।
  • गौरतलब है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2025 तक प्रदेश में 50 बड़ी पार्किंग बनाने का लक्ष्य तय किया है। 2030 तक इनकी संख्या 100 तक हो जाएगी। इसमें निजी सहभागिता के लिये भी विशेष छूट के प्रावधान किये जा रहे हैं। इसके लिये शासन स्तर पर पार्किंग नीति की प्रक्रिया चल रही है, जो जल्द ही कैबिनेट में लाई जाएगी।

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