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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 05 Oct 2021
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‘साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस’ अभियान

चर्चा में क्यों?

4 अक्टूबर, 2021 को हरियाणा सरकार ने प्रदेश के सभी महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में ‘साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस’ (Cyber Security Awareness) अभियान चलाने का निर्णय लिया है, जिससे विद्यार्थियों, कर्मचारियों व समाज के अन्य लोगों को ‘साइबर फ्रॉड’ का शिकार होने से बचाया जा सके।

प्रमुख बिंदु

  • हरियाणा उच्चतर शिक्षा व तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव की ओर से सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों एवं महाविद्यालयों के प्राचार्यों को कि वे अपने-अपने संस्थान में ‘साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस’ अभियान चलाने के निर्देश दिये गए हैं। 
  • राज्य सरकार द्वारा ‘साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस’ से संबंधित एक बुकलैट प्रकाशित की गई है, जिसमें समाज में होने वाले साइबर-क्राइम धमकी, साइबर-फ्रॉड्स, साइबर-ह्रासमेंट आदि के बारे में जानकारी दी गई है। इसके अलावा उक्त क्राइम्स से बचने के तरीके भी बताए गए हैं। 
  • ज्ञातव्य है कि साइबर सिक्योरिटी एक प्रकार की सुरक्षा होती है, जिसका कार्य इंटरनेट से जुड़ी डिजिटल डिवाइस के डाटा को सुरक्षा प्रदान करना होता है। साइबर सुरक्षा द्वारा इंटरनेट पर हो रही गलत गतिविधियों को रोका जाता है, जिससे इंटरनेट उपयोगकर्त्ता के डाटा की हानि न हो पाए। यह सुरक्षा कंप्यूटर, सर्वर, मोबाइल और नेटवर्क को इंटरनेट पर हो रहे साइबर हमलों से बचाती है। साइबर सुरक्षा को ‘इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी’ और ‘टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी’ नामों से भी जाना जाता है।

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प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में ‘डीसी रेट’ में संशोधन करने का निर्णय

चर्चा में क्यों?

4 अक्टूबर, 2021 को हरियाणा सरकार ने प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में ‘डीसी रेट’ में संशोधन करने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • डीसी रेट अकुशल (अनस्किल्ड), अर्द्धकुशल (सेमीस्किल्ड) और कुशल श्रमिकों (स्किल्ड) की मज़दूरी होती है, जो उपायुक्तों की अध्यक्षता में ज़िलास्तरीय समिति द्वारा तय की जाती है। 
  • राज्य सरकार ने इस मामले की समीक्षा कर न्यूनतम मज़दूरी तथा ज़िला विशेष उपभोक्ता मूल्य के सिद्धांतों पर डीसी रेट तय करने का निर्णय लिया है। हरियाणा के मुख्य सचिव के नेतृत्व में सामान्य प्रशासन विभाग सभी श्रेणियों और ज़िलों के लिये डीसी रेट तय करेगा। इससे इन दरों को युक्तिसंगत बनाया जा सकेगा और इससे कर्मचारियों को लाभ होगा।
  • डीसी रेट का प्रारंभिक उद्देश्य आसानी से उपलब्ध श्रम दर होना था, जिसका उपयोग, समय की कमी के कारण निविदाओं को आमंत्रित करना संभव न होने की स्थिति में, आपातकालीन स्थिति, जैसे- बाढ़ नियंत्रण कार्यों के लिये श्रमिकों को लगाना आदि के लिये किया जा सकता है। समय के साथ डीसी रेट को गैर-आपातकालीन समय में भी एडहॉक/अस्थायी श्रमिकों/कर्मचारियों की नियुक्ति के लिये मानक दर के रूप में मान्यता मिल गई।
  • इस कार्यप्रणाली में विभिन्न कारक, जैसे- किराए के आवास का मूल्य, सब्जी की कीमतें, स्कूल शुल्क दर आदि शामिल हैं। 
  • इसमें ज़िलों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, श्रेणी-ए में- ज़िला गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला और सोनीपत, श्रेणी-बी में- पानीपत, झज्जर, पलवल, करनाल, अंबाला, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, भिवानी और जींद तथा श्रेणी-सी में- महेंद्रगढ़, फतेहाबाद, सिरसा, नूँह और चरखी दादरी शामिल हैं।
  • मज़दूरी समूह के अनुसार, अर्थात् ग्रुप-बी (स्किल्ड), ग्रुप-सी-1 (सेमीस्किल्ड नॉन टेक्निकल), ग्रुप-सी-2 (सेमीस्किल्ड II-टेक्नीकल) और ग्रुप-डी (अनस्किल्ड), लागू की जाएगी। मुद्रास्फीति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये सालाना 5 प्रतिशत की वृद्धि की अनुमति दी जाएगी।

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ड्रोन इमेजिंग एंड इन्फॉर्मेशन सर्विस ऑफ हरियाणा लिमिटेड (DRIISHYA) का गठन

चर्चा में क्यों?

4 अक्टूबर, 2021 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नवगठित ड्रोन इमेजिंग एंड इन्फॉर्मेशन सर्विस ऑफ हरियाणा लिमिटेड (DRIISHYA) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की पहली बैठक की अध्यक्षता की।

प्रमुख बिंदु

  • बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग के लिये इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी के साथ एमओयू साइन करने की अनुमति प्रदान की गई।
  • उल्लेखनीय है कि प्रदेश में विभिन्न प्रकार के सर्वे, गिरदावरी तथा इमेजिंग के कार्य को तत्परता से निपटाने के लिये ड्रोन इमेजिंग एंड इन्फॉर्मेशन सर्विस ऑफ हरियाणा लिमिटेड (DRIISHYA) का गठन किया गया है।
  • मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को ‘दृष्या’ का चेयरमैन मनोनीत किया गया है और मुख्य सचिव विजय वर्धन को वरिष्ठ वाइस चेयरमैन बनाया गया है। इसके अलावा बोर्ड में 10 निदेशक नियुक्त किये गए हैं।
  • इसके गठन से हरियाणा में हर वर्ष मैनुअल किये जाने वाले सर्वे के कार्यों में आने वाली दिक्कतें दूर हो सकेंगी और सर्वे वैज्ञानिक तरीके से किये जा सकेंगे। 
  • प्रदेश में यह एक अनूठी शुरुआत है। इसका उपयोग राजस्व के अलावा खनन, वन, यातायात, नगर एवं योजना विभाग, कृषि आदि विभागों में किया जा सकेगा। 
  • इस कंपनी का मुख्यालय करनाल में बनाया गया है और यह ड्रोन की खरीद करने के लिये नोडल एजेंसी होगी। इससे मैपिंग, भूमि रिकॉर्ड, आपदा प्रबंधन एवं आपातकालीन सेवाएँ तथा शहरी क्षेत्र में योजनागत विकास करने में मदद मिलेगी।

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