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स्टेट पी.सी.एस.

  • 05 Sep 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

सिंचाई के लिये नाली के पानी का इस्तेमाल करेगी उत्तर प्रदेश सरकार

चर्चा में क्यों?

3 सितंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने अधिकारियों को प्रदेश में फसलों की सिंचाई के लिये नाली के पानी का उपयोग करने की योजना तैयार करने के निर्देश दिये।

प्रमुख बिंदु 

  • जल शक्ति मंत्री ने यह सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया कि नाली का पानी नदियों में न गिरे और इसका उपयोग सिंचाई के लिये किया जाए।
  • उन्होंने कहा कि इससे नदियों में प्रदूषण नहीं बढ़ेगा और साथ ही सिंचाई की लागत में भी काफी कमी आएगी। इससे सिंचाई में इस्तेमाल होने वाले पानी का संरक्षण करने में भी मदद मिलेगी।
  • राज्य में बहने वाले 848 नालों की निगरानी के लिये अधिकारियों को निर्देश देते हुए मंत्री ने कहा कि नालों की निगरानी के लिये 5 सदस्यीय कमेटी बनाई जाए। नालों के आसपास रहने वाले और समाज से जुड़े लोगों को समिति का सदस्य बनाया जाए।
  • उन्होंने कहा कि नमामि गंगे विभाग राज्य भर में चल रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के कार्यों को भी देखेगा।
  • नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने इंजीनियरों को निर्देश देते हुए कहा कि वे इस महीने से गंगा की ज़मीन पर सीसीटीवी सर्विलांस लागू करें और कंट्रोल रूम से हर एसटीपी की 24 घंटे निगरानी करें। 

राजस्थान Switch to English

मनरेगा में मेट मज़दूरी अब 240 रुपए प्रति दिवस

चर्चा में क्यों?

4 सितंबर, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मनरेगा में मेट मज़दूरी बढ़ाने के लिये ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी। प्रदेश में कार्यरत् मेटों को अब प्रति दिवस 240 रुपए मिलेंगे।

प्रमुख बिंदु

  • राजस्थान में नियोजित मेट की प्रति दिवस मज़दूरी में बढ़ोतरी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत की गई है।
  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंज़ूरी से वर्ष 2022-23 हेतु मनरेगा योजनांतर्गत नियोजित मेटों की मज़दूरी दर 235 रुपए प्रति दिवस से बढ़ाकर 240 रुपए प्रति दिवस की गई है।
  • उल्लेखनीय है कि मनरेगा में केंद्र सरकार के निर्देशानुसार अर्द्धकुशल श्रमिकों (मेट) पर किये गए व्यय को सामग्री की श्रेणी में माना जाता है। सामग्री व्यय का 75 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा तथा 25 प्रतिशत राजस्थान सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
  • केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक राज्य के लिये प्रतिवर्ष अकुशल श्रमिक की मज़दूरी दर अधिसूचित की जाती है। अकुशल श्रमिक के भुगतान की संपूर्ण राशि श्रम मद में केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 के अंतर्गत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना का संचालन राजस्थान ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग, द्वारा किया जा रहा है।
  • ऐसे ग्रामीण परिवार, जिनके पास रोज़गार के पर्याप्त साधन अपने स्वयं के गाँव में उपलब्ध नहीं है, से जुड़ा हुआ तथा समावेशी विकास को बढ़ावा देने वाला यह कार्यक्रम सामान्य भाषा में महात्मा गांधी नरेगा योजना के नाम से अधिक प्रचलित है।
  • महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम 2 फरवरी, 2006 से लागू हुआ तथा चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया गया। पहले चरण में इसे राज्य के 6 ज़िले यथा बांसवाड़ा, डूंगरपुर, झालावाड़, करौली, सिरोही एवं उदयपुर में लागू किया गया।
  • द्वितीय चरण में वर्ष 2007-08 से इसे राज्य के 6 अन्य ज़िलों यथा बाड़मेर, चित्तौड़गढ़, जैसलमेर, जालोर, टोंक एवं सवाई माधोपुर में लागू किया गया। तृतीय एवं अंतिम चरण के रूप में इसे राज्य के शेष सभी ज़िलों में लागू किया गया।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल का गठन

चर्चा में क्यों?

3 सितंबर, 2022 को राजस्थान के उद्योगों के निर्यात संबंधी विषयों की मॉनिटरिंग व उनसे संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिये राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल का गठन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (राजसिको) के चेयरमैन राजीव अरोड़ा को काउंसिल का पहला निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। वहीं महावीर प्रसाद शर्मा को वाइस चेयरमैन व अनिल कुमार बख्शी, संजीव अग्रवाल,  अनिल अग्रवाल,  रवि पोद्दार और एसएन मोदानी को निदेशक बनाया गया है। काउंसिल में 21 संस्थापक सदस्य, 7 निदेशक, एक वाइस चेयरमैन व एक चेयरमैन चुने गए हैं।
  • अध्यक्ष राजीव अरोड़ा ने काउंसिल की पहली बैठक में कहा कि काउंसिल का मूल उद्देश्य प्रदेश में निर्यात को बढ़ाना है। राज्य सरकार की सहज औद्योगिक नीतियों के चलते पिछले 4 वर्षों में निर्यात में लगभग 37 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है व निर्यात में क्वांटम जंप आया है। काउंसिल में अधिक-से-अधिक सदस्यों को जोड़ना प्रथम लक्ष्य है, ताकि छोटे-से-छोटे उत्पादक से लेकर बड़े-से-बड़े निर्यातक को इसका लाभ मिल सके।
  • उन्होंने बताया कि काउंसिल के ज़रिये निर्यातकों की हर परेशानी को दूर किया जाएगा। सभी प्रकार के मामलों को काउंसिल अपने स्तर पर हैंडल करेगी और जो भी प्रभावित कंपनी होंगी उनसे बात कर मामलों का निस्तारण करेगी। काउंसिल की मंशा राज्य के सभी उद्योगों के उत्पाद का एक्सपोर्ट के लिये प्रमोशन करना है, ताकि कोई भी क्षेत्र अधूरा नहीं रह जाए।
  • उद्योग आयुक्त महेंद्र कुमार पारख ने कहा कि राज्य में औद्योगिक एवं निर्यात विकास के लिये काउंसिल का गठन किया गया है। काउंसिल में हैंडीक्राफ्ट, जेम्स एंड ज्वेलरी, टेक्सटाइल, एग्रो प्रोडक्ट और इंजीनियरिंग के उत्पादों को शुरुआती दौर में बढ़ावा दिया जाएगा। 

मध्य प्रदेश Switch to English

ऑटो कटऑफ वितरण ट्रांसफॉर्मर

चर्चा में क्यों?

4 सितंबर, 2022 को मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बताया गया कि अब स्वीकृत भार से अधिक भार और अनधिकृत विद्युत के उपयोग की रोकथाम के लिये नवीनतम तकनीक पर आधारित ऑटो कटऑफ वितरण ट्रांसफॉर्मर लगाए जाएंगे।

प्रमुख बिंदु

  • ऑटो कटऑफ वितरण ट्रांसफॉर्मर लगने से उपभोक्ताओं द्वारा स्वीकृत भार से अधिक भार अथवा अनधिकृत विद्युत का उपयोग करने पर ये वितरण ट्रांसफॉर्मर स्वत: ही बंद हो जाएंगे और बिजली सप्लाई भी रुक जाएगी।
  • कंपनी द्वारा संबंधित क्षेत्र में अपने रिकॉर्ड में दर्ज उपभोक्ताओं की संख्या और उनके वैध स्वीकृत भार के आधार पर निर्धारित क्षमता के ऑटो कटऑफ वितरण ट्रांसफॉर्मर लगाए जाएंगे, जिससे संबंधित क्षेत्र में अनधिकृत विद्युत का उपयोग संभव नहीं होगा।
  • कंपनी ने बताया कि भोपाल के छोला ज़ोन में 100 केवीए का ऑटो कटऑफ वितरण ट्रांसफॉर्मर लगाया गया है। साथ ही, नर्मदापुरम में मूंग की फसल वाले क्षेत्रों में ऑटो कटऑफ वितरण ट्रांसफॉर्मर लगाए गए हैं। इससे वितरण ट्रांसफॉर्मर फेल होने पर अंकुश लगा है। साथ ही, वैध कनेक्शन की संख्या में वृद्धि हुई है तथा कंपनी के राजस्व में भी इजाफा हुआ है।
  • कंपनी ने बताया है कि सीहोर वृत्त में एक वितरण केंद्र, जहाँ ट्रांसफॉर्मर फेल होने की दर अधिक थी, वहाँ सभी क्षेत्रों में ऑटो कटऑफ वितरण ट्रांसफॉर्मर लगाए जा रहे हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे लागू कर वितरण ट्रांसफॉर्मर बदले जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में ऑटो कटऑफ वितरण ट्रांसफॅार्मर से मिलने वाले परिणामों की समीक्षा के बाद कंपनी के अन्य ज़िले भिंड, मुरैना एवं ग्वालियर के ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसे लागू किया जाएगा।
  • ऑटो कटऑफ वितरण ट्रांसफॉर्मर लगने से वैध उपभोक्ताओं को निर्बाध एवं गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होने के साथ ही एक ओर जहाँ अनधिकृत विद्युत उपयोग की रोकथाम होगी, वहीं दूसरी ओर कंपनी के राजस्व में भी वृद्धि होगी।

मध्य प्रदेश Switch to English

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में चौथी बार मध्य प्रदेश देश में प्रथम

चर्चा में क्यों?

3 सितंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिला बाल विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा के दौरान बताया कि मध्य प्रदेश लगातार चौथे वर्ष प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अमल में वर्ष 2021-22 के लिये राष्ट्रीय स्थान पर प्रथम रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • इस योजना में मध्य प्रदेश 30 लाख से अधिक हितग्राहियों के पंजीयन, 1294 करोड़ की राशि वितरण और वर्तमान वित्त वर्ष में अगस्त माह तक 2 लाख 26 हज़ार 306 हितग्राहियों को लाभान्वित कर देश में अव्वल है।
  • बैठक में ‘एडॉप्ट एन आँगनवाड़ी’की समीक्षा के दौरान बताया गया कि आँगनवाड़ी केंद्रों के लिये प्रदेश में खिलौने, अन्य सामग्री सहित 25 करोड़ का जन-सहयोग मिला है। आँगनवाड़ी केंद्रों के लिये आउटडोर खेल सामग्री झूला और फिसलपट्टी आदि का प्रदाय हुआ है। डेढ़ हज़ार से अधिक केंद्र का आदर्श आँगनवाड़ी केंद्र के रूप में उन्नयन किया गया है। बच्चों के लिये जूते-चप्पल और स्वच्छता किट का भी प्रदाय हुआ है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में प्रथम प्रसव की पात्र गर्भवती महिला और धात्री माता को 5 हज़ार रुपए की राशि और द्वितीय प्रसव में बालिका के जन्म पर शिशुवती माता को 6 हज़ार रुपए की राशि दिलवाने का कार्य प्राथमिकता से किया गया है। इसी प्रकार कम वज़न वाले बच्चों का कुपोषण दूर करने के प्रयासों में भी मध्य प्रदेश देश में सबसे आगे है।
  • प्रदेश में सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 0 में 6 माह से तीन साल आयुवर्ग के 30 लाख बच्चे पूरक पोषण आहार का लाभ ले चुके हैं। इसी तरह 10 लाख 81 हज़ार गर्भवती और धात्री माताएँ भी लाभान्वित हो चुकी हैं।
  • मध्य प्रदेश में टेक होम राशन का लाभ 38 लाख से अधिक हितग्राही ले चुके हैं। वर्तमान में पोषण ट्रैकर पर 71 लाख 20 हज़ार हितग्राहियों का आधार सत्यापन भी पूरा हो चुका है। प्रदेश में 13 संयंत्रों से टेक होम राशन उत्पादन का कार्य हो रहा है। नाश्ता एवं गर्म पका भोजन की आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्रों में 50 हज़ार से अधिक सांझा चूल्हा समूहों द्वारा की जा रही है।
  • शहरी क्षेत्रों में भी 2 हज़ार से अधिक समूह यह कार्य कर रहे हैं। प्रदेश के 85 हज़ार से अधिक आँगनवाड़ी केंद्रो में पोषण कॉर्नर स्थापित हुए हैं। साथ ही पोषण वाटिकाएँ भी निर्मित की गई हैं।
  • मध्य प्रदेश में कम वज़न के बच्चों का कुपोषण दूर करने के मामले में प्रदेश राष्ट्रीय रैंकिंग में दूसरे क्रम पर, दुबलेपन के कारण कम वज़न की समस्या के समाधान में तीसरे क्रम पर और ठिगनेपन के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण की दृष्टि से राष्ट्रीय रैंकिंग में छठवें क्रम पर है।
  • कम वज़न के बच्चों की संख्या में जहाँ देश में 7 प्रतिशत की गिरावट हुई है, वहीं प्रदेश में यह गिरावट सर्वाधिक 9.8 प्रतिशत दर्ज हुई है। इसी तरह दुबलेपन के कारण कुपोषण की समस्या में देश में 1.7 प्रतिशत की कमी लाई गई है, वहीं मध्य प्रदेश में 6.8 प्रतिशत कमी लाने में सफलता मिली है। ठिगनेपन के मामलों में भी देश में 3 प्रतिशत की कमी के मुकाबले मध्य प्रदेश में 6.3 की कमी लाने में सफलता मिली है।
  • समीक्षा  बैठक में लाडली लक्ष्मी योजना के क्रियान्वयन की जानकारी देते हुए बताया गया कि अब तक योजना में 43 लाख बालिकाओं को लाभ मिला है। लाडली लक्ष्मी योजना 2.0 में कक्षा 6, 9, 11 और 12 की चार लाख 87 हज़ार 731 बालिकाओं को छात्रवृत्ति की राशि मिली है।  

छत्तीसगढ़ Switch to English

मुख्यमंत्री ने किया 2 नवगठित ज़िलों का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

3 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सारंगढ़ के खेल भांठा मैदान में आयोजित विशाल समारोह में राज्य के 30वें ज़िले ‘सारंगढ़-बिलाईगढ़’ तथा खैरागढ़ के राजा फतेह सिंह खेल मैदान में आयोजित कार्यक्रम में 31वें ज़िले ‘खैरागढ़-छुईखदान-गंडई’ का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 2 सितंबर को 29वें ज़िले मोहला-मानपुर-चौकी का शुभारंभ किया गया था।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने नए ज़िले ‘सारंगढ़-बिलाईगढ़’ में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिये 540 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की सौगात भी दी, जबकि खैरागढ़-छुईखदान-गंडई ज़िले के शुभारंभ कार्यक्रम में 364 करोड़ 56 लाख रुपए के विकास कार्यों की सौगात के साथ ही 213 हितग्राहियों को शासन की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 37 लाख 48 हज़ार रुपए की सामग्री एवं अनुदान सहायता राशि प्रदान की।
  • नवगठित ज़िला सारंगढ़-बिलाईगढ़ का ज़िला मुख्यालय सारंगढ़ है। यहाँ रियासतकालीन समय से हवाई पट्टी स्थित है। ज़िला मुख्यालय सारंगढ़ छत्तीसगढ़ गठन के पूर्व से तहसील मुख्यालय एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मुख्यालय है।
  • विदित है कि बिलासपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले ज़िला रायगढ़ के उप खंड सारंगढ़, तहसील सारंगढ़ एवं बरमकेला तथा रायपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले ज़िला बलौदाबाजार-भाटापारा के उप खंड-बिलाईगढ़ तथा तहसील बिलाईगढ़ को शामिल करते हुए नए ज़िले सारंगढ़-बिलाईगढ़ का गठन किया गया है, जिसमें तीन तहसील सारंगढ़, बरमकेला एवं बिलाईगढ़ एवं उप तहसील कोसीर तथा भटगाँव शामिल होंगे।
  • नवगठित ज़िले में तीन जनपद पंचायत सारंगढ़, बरमकेला व बिलाईगढ़ शामिल हैं। इस नवगठित ज़िले की सीमाएँ उत्तर में रायगढ़, दक्षिण में महासमुंद ज़िले तथा पूर्व में ओडिशा के बरगढ़ ज़िले और पश्चिम में बलौदा बाज़ार तथा उत्तर-पश्चिम में जांजगीर-चांपा ज़िले से लगी हुई हैं।
  • नवगठित ज़िले में रामनामी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं। महानदी सारंगढ़-बिलाईगढ़ ज़िले की मुख्य नदी है। वहीं ज़िले की सारंगढ़ तहसील में स्थित गोमर्डा अभयारण्य सैलानियों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। सारंगढ़ का दशहरा-उत्सव बस्तर-दशहरा की भाँति बहुत प्रसिद्ध है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ की कुल जनसंख्या 6 लाख 17 हज़ार 252 है। 759 ग्राम, 349 ग्राम पंचायत, 5 नगरीय निकाय हैं, जिनके अंतर्गत 20 राजस्व निरीक्षक मंडल शामिल है, जिनमें सारंगढ़, हरदी, सालर, कोसीर, छिंद, गोड़म, उलखर, बरमकेला, गोबरसिंघा, देवगाँव, डोंगरीपाली, सरिया, बिलाईगढ़, पवनी, गोविंदवन, जमगहन, भटगाँव, गिरसा, बिलासपुर एवं सरसीवा शामिल हैं।
  • इसका कुल राजस्व क्षेत्रफल 1 लाख 65 हज़ार 14 हेक्टेयर है एवं 2518 राजस्व प्रकरण की संख्या है। वर्तमान में नवीन ज़िला सारंगढ़-बिलाईगढ़ में 1406 स्कूल, 7 कॉलेज, 33 बैंक, 3 परियोजना, 141 स्वास्थ्य केन्द्र, 10 थाना एवं 2 चौकी स्थापित हैं।
  • इसी प्रकार नवगठित ‘खैरागढ़-छुईखदान-गंडई’ ज़िला दुर्ग संभाग के अंतर्गत आता है। इसकी जनसंख्या 3 लाख 68 हज़ार 444 है। कुल ग्रामों की संख्या 494 तथा 3 नगरीय निकाय हैं। दो उप खण्ड खैरागढ़ एवं गंडई-छुईखदान होंगे। तीन तहसील गंडई, छुईखदान, खैरागढ़ होंगे, वहीं 2 विकासखंड छुईखदान एवं खैरागढ़, 16 राजस्व निरीक्षक मंडल होंगे। इस नवीन ज़िले में 107 पटवारी हल्का, 221 ग्राम पंचायतें है।
  • इस नवीन ज़िले के उत्तर में कबीरधाम ज़िला, दक्षिण में तहसील डोंगरगढ़ व तहसील राजनांदगांव (राजनांदगांव ज़िला), पूर्व में तहसील साजा (बेमेतरा ज़िला) एवं तहसील धमधा (दुर्ग ज़िला) और पश्चिम में तहसील लांजी ज़िला- बालाघाट (मध्य प्रदेश) की सीमाएँ लगी हैं। खनिज और संसाधनों से समृद्धि होने तथा ज़िला बनने से यहाँ औद्योगिक विकास को गति मिलेगी।
  • नया ज़िला बन जाने से नागरिकों को काफी राहत मिलेगी और कई महत्त्वपूर्ण कार्य आसानी से होंगे। प्रशासनिक विकेंद्रीकरण होने का फायदा आम जनता को मिलेगा। बुनियादी सुविधाएँ शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, खाद्यान्न लोगों तक आसानी से उपलब्ध होंगी और सुविधाओं का विस्तार होगा।
  • वहीं शासन की लोककल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन दूरस्थ अंचलों तक आसानी से होगा। रोड कनेक्टिविटी, पुल-पुलिया के निर्माण से सुदूर वनांचल के क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा बढ़ेगी।
  • गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त, 2021 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रशासनिक कार्यों में कसावट लाने एवं आम जनता को सहूलियत पहुँचाने के उद्देश्य से प्रदेश में चार नए ज़िलों के गठन की घोषणा की थी।

छत्तीसगढ़ Switch to English

खैरागढ़ में छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी आर्ट गैलरी का मुख्यमंत्री ने किया उद्घाटन

चर्चा में क्यों?

3 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ में प्रदेश के सबसे बड़ी आर्ट गैलरी का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की इस भव्य और शानदार आर्ट गैलरी में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार की गई कलाकृतियों को प्रदर्शनी के लिये रखा गया है। विश्वविद्यालय के चित्रकला, मूर्तिकला, ग्राफिक्स, क्राफ्ट एंड डिज़ाइन तथा लोक संगीत एवं कला संकाय के छात्र-छात्राओं द्वारा निर्मित उत्कृष्ट कलाकृतियों को प्रदर्शनी के लिये रखा गया है।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप कुलपति डॉ. चंद्राकर के निर्देश पर इस आर्ट गैलरी को सरगुजा ज़िले की विश्वप्रसिद्ध लोकचित्र कलाकार स्व. सोनाबाई रजवार को समर्पित किया गया है। आर्ट गैलरी का नाम उन्हीं के नाम पर सोना बाई रजवार आर्ट गैलरी रखा गया है।
  • इस कला प्रदर्शनी को डॉ. योगेन्द्र चौबे (अधिष्ठाता, लोक संगीत एवं कला संकाय), व्यंकट गुडे, डॉ. रवि नारायण गुप्ता, डॉ. विकास चंद्रा, डॉ छगेन्द्र उसेंडी, संदीप किंडो की देखरेख और मार्गदर्शन में पूर्ण किया गया है।
  • इस आर्ट गैलरी की खास बात यह है कि एक अवलोकन में ही संपूर्ण छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और परंपरा को देखा जा सकता है। 

उत्तराखंड Switch to English

कुमाऊँ की सूखती नदियों को सदानीरा बनाएगा पिंडारी ग्लेशियर

चर्चा में क्यों?

4 सितंबर, 2022 को पेयजल निगम के मुख्य अभियंता एससी पंत ने बताया कि पिंडारी ग्लेशियर से निकलने वाली पिंडर नदी की प्रमुख सहायक नदियों को बागेश्वर ज़िले की बैजनाथ घाटी में गोमती नदी, कोसी, लोध और गागास नदियों के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र से जोड़ा जाएगा, जो अगले 50 साल तक पानी की ज़रूरतों को पूरा करेंगी।

प्रमुख बिंदु 

  • पिंडारी ग्लेशियर से निकलने वाली पिंडर नदी बागेश्वर और अल्मोड़ा ज़िले की सूखती नदियों को सदानीरा बनाने में मदद करेगी। इससे सात बड़े शहरों की आबादी के अलावा करीब एक हज़ार गाँवों को भी फायदा होगा।
  • नदियों को बचाने के साथ-साथ यह योजना पेयजल, सिंचाई, विद्युत उत्पादन, क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी। गाँवों से हो रहे पलायन को रोकने में भी मदद मिलेगी।
  • गौरतलब है कि भोपाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई मध्य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस योजना का ज़िक्र किया था, ताकि योजना को आगे बढ़ाने में केंद्र की मदद ली जा सके। इस योजना में ढाई से तीन सौ करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है।
  • योजना के तहत पिंडर नदी व उसकी सहायक नदियों सुंदरढूंगा गाड़ और शंभू गाढ़ (समुद्रतल से 22 सौ मीटर ऊँचाई पर स्थित) से करीब 150 किमी. की डेढ़ मीटर व्यास की पाइप लाइन बिछाकर कुमाऊँ के मल्ला पंया गाँव के निकट (समुद्रतल से ऊँचाई 18 सौ मीटर) तक पानी पहुँचाया जाएगा।
  • इन नदियों से लगभग 42 क्यूमेक्स (क्यूबिक मीटर प्रति सेकेंड) पानी गंगा की सहायक अलकनंदा नदी में जाता है। इसमें से पाइप लाइन के ज़रिये डेढ़ से दो क्यूमेक्स पानी कुमाऊँ की तरफ मोड़ दिया जाएगा।

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