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महासमुंद जल परीक्षण प्रयोगशाला को NABL से मिली मान्यता
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िले में संचालित जल परीक्षण प्रयोगशाला को राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला सत्यापन बोर्ड (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories- NABL) ने मान्यता प्रदान की है।
प्रमुख बिंदु
- NABL द्वारा मान्यता मिलने के बाद अब ज़िले के आम नागरिक जल परीक्षण करा सकते हैं, जिससे जल परीक्षण परिणाम में परिशुद्धता मिलेगी।
- गौरतलब है कि यह छत्तीसगढ़ की 10वीं NABL मान्यता प्राप्त जल परीक्षण प्रयोगशाला है।
- उल्लेखनीय है कि NABL, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिक विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है, जिसका पंजीकरण ‘संस्था पंजीकरण अधिनियम, 1980’ के तहत किया गया है।
- भारत सरकार ने NABL को परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशालाओं के एकमात्र प्रत्यापन निकाय के रूप में अधिकृत किया है।
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महासमुंद ज़िले में मिला चित्रित शैलाश्रय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िला की बागबाहरा तहसील के अंतर्गत ग्राम मोहदी के निकट महादेव पठार में एक चित्रित शैलाश्रय की खोज की गई है।
प्रमुख बिंदु
- इस शैलाश्रय की खोज संस्कृति विभाग के उप-संचालक डॉ. पी.सी. पारस के नेतृत्व में पर्यवेक्षक प्रभात कुमार एवं उत्खनन सहायक प्रवीन तिर्की द्वारा की गई है।
- इस शैलाश्रय में पुरातत्त्वीय महत्त्व के शैलचित्र मिले हैं। इन शैलचित्रों में नृत्य करते मानव समूह, वानर, सूर्य और चंद्रमा सहित ज्यामितीय आकृतियाँ लाल गेरुवे रंग से निर्मित हैं।
- यह महासमुंद ज़िले के अंतर्गत अब तक ज्ञात पहला चित्रित शैलाश्रय है। यहाँ उपलब्ध्य शैलचित्रों के आधार पर इस क्षेत्र में मानव सभ्यता एवं संस्कृति की प्राचीनता मध्यपाषाण काल तक संभावित है।
- उल्लेखनीय है कि महासमुंद ज़िले में सिरपुर और खल्लारी जैसे महत्त्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थल पहले से ही विद्यमान हैं। सिरपुर को प्राचीन छत्तीसगढ़ की राजधानी होने का गौरव भी प्राप्त है।
- ज़िले के बरतियाभाठा से महापाषाणकालीन स्थल प्राप्त हुए हैं। इस क्रम में मोहदी के निकट खोजा गया यह चित्रित शैलाश्रय स्थल महासमुंद ज़िले के इतिहास और पुरातत्त्व की दृष्टि से अब तक ज्ञात सबसे प्राचीन पुरास्थल माना जा सकता है।
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भारत का पहला भूकंप पूर्व चेतावनी मोबाइल एप
चर्चा में क्यों?
04 अगस्त, 2021 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में भूकंप में पूर्व चेतावनी प्रदान करने हेतु ‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ (Uttarakhand Earthquake Alert) एप लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु
- यह देश का पहला प्रारंभिक चेतावनी मोबाइल एप्लिकेशन है, जो भूकंप से पहले उपयोगकर्त्ताओं को सचेत कर सकता है।
- इस एप को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Uttarakhand State Disaster Management Authority) एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की द्वारा विकसित किया गया है।
- इसके साथ ही उत्तराखंड ‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ नाम से भूकंप अलर्ट एप लॉन्च करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
- इस एप की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- यह एप्लिकेशन भूकंप पूर्व चेतावनी (EEW), एक वास्तविक समय भूकंप सूचना प्रणाली का उपयोग करता है, जो भूकंप की शुरुआत का पता लगा सकता है।
- यह एप भूकंप आने के 30-40 सेकेंड पूर्व भूकंप की पूर्व चेतावनी देगा, जिस हेतु पूरे प्रदेश में लगभग 64 सेंसर लगाए गए हैं।
- यह एक रिक्टर स्केल पर 5 या अधिक तीव्रता के भूकंप की चेतावनी देने में सक्षम है।
- एप भूकंप के बाद किसी संरचना के अंदर फंसे लोगों के स्थान को बताने में भी मदद कर सकता है।
- यह भूकंप की घटना के बारे में जानकारी के साथ-साथ आने वाले संभावित समय और भूकंप के स्थान पर तीव्रता के बारे में जानकारी का प्रसार करता है ताकि किसी भी प्रकार की जनहानि को रोका जा सके।
- यह एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म के अनुरूप है और दो संस्करणों में उपलब्ध है।
- गौरतलब है कि उत्तराखंड एक भूकंप संभावित राज्य है इसलिये यह एप अधिकारियों को भूकंप के दौरान बचाव अभियान चलाने हेतु महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
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