छत्तीसगढ़ Switch to English
‘एस्पायरिंग लीडर’ के रूप में छत्तीसगढ़ को किया गया सम्मानित
चर्चा में क्यों?
4 जुलाई, 2022 को केंद्रीय उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा जारी स्टेट्स स्टार्टअप रैंकिंग के तीसरे संस्करण के अंतर्गत केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ को प्रदेश में स्टार्टअप्स ईकोसिस्टम के विकास हेतु एस्पायरिंग लीडर के रूप में सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की वर्तमान औद्योगिक नीति, 2019-24 के अंतर्गत स्टार्टअप इकाइयों को लाभान्वित करने हेतु स्टार्टअप पैकेज लागू किया गया है। राज्य में कुल 748 स्टार्टअप पंजीकृत हैं।
- एस्पायरिंग लीडर के रूप में छत्तीसगढ़ को प्रदान किये गए प्रशस्ति-पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिये कई सराहनीय पहल की गई है, जिनमें स्टार्टअप पॉलिसी की स्थापना, स्टार्टअप्स के लिये करों में छूट और अनुदान का प्रावधान तथा इन्क्यूबेटर्स की स्थापना और उनका उन्नयन प्रमुख पहल है। इन्क्यूबेटर्स के माध्यम से स्टार्टअप्स के लिये को-वर्क़िग स्पेस, मेंटरशिप, फंडिंग और प्रौद्योगिकी सपोर्ट के प्रावधान किये गए हैं।
- केंद्रीय मंत्री द्वारा स्टार्टअप क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु छत्तीसगढ़ के तीन अधिकारियों- अनुराग पांडेय (विशेष सचिव वाणिज्य एवं उद्योग विभाग), प्रवीण शुक्ला (अपर संचालक उद्योग) एवं सुमन देवांगन (सहायक संचालक) को सम्मानित किया गया।
- उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक नीति, 2019-24 के अंतर्गत स्टार्टअप इकाईयों को प्रोत्साहित करने के लिये छत्तीसगढ़ राज्य स्टार्टअप पैकेज लागू किया गया है।
- भारत सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त इकाईयों को छत्तीसगढ़ में स्थापित होने पर विशेष प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया गया है। पैकेज के तहत ब्याज अनुदान अधिकतम 70 प्रतिशत अधिकतम 11 वर्ष के लिये, स्थायी पूंजी निवेश अनुदान अधिकतम 55 प्रतिशत, नेट एसजीएसटी प्रतिपूर्ति अधिकतम 15 वर्ष तक, विद्युत शुल्क छूट अधिकतम 10 वर्ष तक एवं पात्रता अनुसार औद्योगिक नीति, 2019-24 में उल्लेखित अन्य अनुदान जैसे भू-प्रब्याजी में छूट, स्टांप शुल्क छूट, परियोजना प्रतिवेदन में छूट आदि की सुविधा प्रदान की जाती है।
- स्टार्टअप को तीन वर्षों तक भवन किराए का 40 प्रतिशत, जिसकी अधिकतम सीमा 8 हजार रुपए प्रतिमाह प्रतिपूर्ति दी जा रही है और स्टार्टअप इकाईयों द्वारा सेमीनार, वर्कशॉप, संगोष्ठी, प्रदर्शनी में भाग लिये जाने पर 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति, जिसकी अधिकतम सीमा एक लाख रुपए प्रतिवर्ष होगी, दी जा रही है।
- राज्य में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने हेतु इन्क्यूबेटर की स्थापना के लिये किये जाने वाले व्यय का 50 प्रतिशत अधिकतम राशि 50 लाख रुपए एवं संचालन के लिये 3 लाख रुपए प्रति वर्ष अनुदान के रूप में दी जा रही है।
- औद्योगिक पुरस्कार योजना पुरस्कार योजना के अंतर्गत स्टार्टअप श्रेणी में भी पुरस्कार देने का प्रावधान किया गया है। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कारों के रूप में क्रमश: 1,51,000 रुपए, 1,00,000 रुपए एवं 51,000 रुपए की राशि एवं प्रशस्ति-पत्र देने का प्रावधान किया गया है।
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कोविड मुक्त गाँव परियोजना का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों की एक निर्बाध, टिकाउ और एकीकृत मजबूती सुनिश्चित करने के लिये छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में जिला और राज्यस्तरीय अधिकारियों की भागीदारी के साथ एक ‘राज्यस्तरीय प्री-लॉन्च’ बैठक आयोजित की गई, जिसमें ‘टीकाकरण-ऑनह्वील्स’ (वेक्सीनेशन ऑन ह्वील्स) वैन को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो दूर-दराज के स्थानों में कोविड-19 टीकाकरण, नियति टीकाकरण और अन्य प्राथमिक स्तर की दैनिक सुविधाएँ प्रदान करेगी।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि चाइल्डफंड इंडिया ने भारत के तीन राज्यों- झारखंड, राजस्थान और छतीसगढ़ में ‘कोविड मुक्त गाँव’ नामक एक बड़े पैमाने पर परियोजना शुरू करने की घोषणा की।
- समृद्ध के समर्थन के साथ, चाइल्डफंड का उद्देश्य एक स्थाई नेटवर्क देखभाल मॉडल स्थापित करना है, ताकि गुणवत्ता सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित हो सके।
- बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ, उपकरण और बच्चों के अनुकूल देखभाल (बाल चिकित्सा सेवाएँ) प्रदान करने के लिये ‘कोविड मुक्त गाँव’ परियोजना का समर्थन किया जा रहा है। निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से, टेलीमेडिसिन सेवाओं, स्वास्थ्य आउटरीच वाहनों और शिविरों के साथ प्रयास को बढ़ाया जाएगा।
- गौरतलब है कि भारत में चाइल्डफंड () देश में वंचित बच्चों की आवाज का प्रतिनिधित्व कर रहा है, जिसका मुख्य कार्यालय बंगलुरू में स्थित है और दिल्ली में प्रोग्राम ऑफिस है, जो चाइल्डफंड इंडिया का पंजीकृत कार्यालय भी है।
- भारत में चाइल्डफंड 15 राज्यों के 85 जिलों में काम करता है। लंबी अवधि की साझेदारी और प्रत्यक्ष कार्यान्वयन के माध्यम से यह सालाना 3200 समुदायों/गाँवों के लगभग 3 मिलियन बच्चों, युवाओं और उनके परिवारों तक पहुँचता है।
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