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झारखंड ने की स्पॉट टेस्टिंग शुरू
चर्चा में क्यों?
2 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड सरकार ने स्पॉट टेस्टिंग शुरू कर दी है, जिसके तहत ब्लॉक रिसोर्स पर्सन (बीआरपी)/क्लस्टर रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) द्वारा स्कूल निरीक्षण के दौरान प्रत्येक स्कूल से तीन बच्चों को यादृच्छिक रूप से चुना जाता है।
प्रमुख बिंदु
- स्पॉट टेस्टिंग के तहत फिर सभी बच्चों का सर्वे किया जाता है कि जो चीजें बच्चों को सिखाई जा रही हैं, वे उन्हें कितना सीख पा रहे हैं। इस सर्वे में सभी छात्रों का हिन्दी, गणित और अंग्रेजी विषयों का परीक्षण किया जाता है, जहाँ बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या की जाँच की जाती है।
- स्पॉट टेस्टिंग के माध्यम से, महामारी से पहले के महीनों में झारखंड में प्रति माह 2 लाख बच्चों के सीखने के परिणाम डेटा एकत्र किये गए हैं। यह राज्य के सभी बच्चों का लगभग 5% है।
- बीआरपी और सीआरपी को मूल्यांकन पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया था और उच्च स्तर की सटीकता सुनिश्चित करने के लिये तार्किक जाँच और फील्ड सत्यापन की एक श्रृंखला के साथ डेटा को सत्यापित और क्रॉस-चेक किया गया था। समय के साथ डेटा में परिवर्तन 0.5-1% की सीमा तक सटीक होते हैं।
- नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पैमाने, ग्रैन्युलैरिटी, सटीकता और आवृत्ति को देखते हुए यह कहना सुरक्षित है कि झारखंड के पास दुनिया का सबसे अच्छा और सबसे व्यापक शिक्षण डेटा सिस्टम है।
- राज्य ने एक लर्निंग ट्रैकिंग फॉर्मेट (एलटीएफ) भी स्थापित किया है, जहाँ प्रत्येक शिक्षक राज्य में प्रत्येक छात्र के लिये योग्यता स्तर का डेटा इनपुट करता है। स्पॉट टेस्टिंग के डेटा का उपयोग एलटीएफ डेटा को क्रॉस-सत्यापित करने और सटीकता सुनिश्चित करने के लिये किया जाएगा।
- इस सर्वेक्षण डेटा का उपयोग विभिन्न प्रकार के निर्णय लेने के लिये किया जा रहा है :
- ज़िला और ब्लॉक-वार मासिक प्रदर्शन विश्लेषण।
- विशिष्ट पहलों का प्रभाव मूल्यांकन।
- विशिष्ट कार्य योजनाओं को निर्धारित करने के लिये ज़िला और ब्लॉक समीक्षा में सीखने के डेटा का उपयोग।
- शिक्षक प्रशिक्षण आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिये विशिष्ट योग्यता अंतराल की पहचान।
- पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रम में आवश्यक परिवर्तनों की पहचान जवाबदेही और इनाम प्रणाली।
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