पहली बार मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ बिहार, 8.46 लाख टन हुआ उत्पादन | बिहार | 03 May 2023
चर्चा में क्यों?
2 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में वर्ष 2022-23 में कुल मछली उत्पादन 8 लाख 46 हज़ार टन हुआ। 2021-22 में 7.61 लाख टन की तुलना में यह 85 हज़ार टन अधिक है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि बिहार में सालाना 8.02 लाख टन मछली की ज़रूरत रहती है।
- बिहार पशु व मत्स्य संसाधन विभाग ने मछली उत्पादन का आँकड़ा तैयार किया है, जिसके अंतर्गत मधुबनी में सबसे अधिक 88.96 हज़ार टन, जबकि जहानाबाद में सबसे कम 1.55 हज़ार टन उत्पादन हुआ है।
- पहली बार बिहार ने ज़रूरत से अधिक मछली का उत्पादन कर लिया है। अभी तक राज्य में मछली की ज़रूरत को पूरा करने के लिये लगभग 800 करोड़ की मछली आंध्र प्रदेश एवं राज्यों से मंगाना पड़ता था।
- अब उत्पादन अधिक होने से मत्स्य व्यापारी दूसरे राज्यों में अधिक मछली भेजने में भी सफल होंगे।
- उल्लेखनीय है कि बिहार से मछली का निर्यात पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल और नेपाल भी किया जाता है।
आईआईटी पटना और सी-डैक के मध्य हुआ एमओयू साइन | बिहार | 03 May 2023
चर्चा में क्यों?
02 मई, 2023 को आईआईटी पटना में सितंबर 2023 तक सुपर कंप्यूटर स्थापित करने के लिये आईआईटी पटना और सी-डैक के बीच एमओयू साइन हुआ है।
प्रमुख बिंदु
- इस एमओयू पर आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. टी एन सिंह और सी-डैक के महानिदेशक (डीजी) ई. मगेश ने हस्ताक्षर किया।
- नेशनल सुपर कंप्यूटिंग मिशन के तहत इस वर्ष सितंबर तक आईआईटी सुपर कंप्यूटर पावर से लैस हो जाएगा। इस सुपर कंप्यूटर को लगाने की लागत 20 करोड़ रुपये होगी।
- इस सुपर कंप्यूटर से 833 टेरा फ्लॉप या एक ट्रीलियन फ्लोटिन प्वाइंट ऑपरेशन के साथ डेटा की गणना कर सकते हैं।
- उल्लेखनीय है कि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से देश के नौ संस्थानों में आईआईटी पटना का चयन किया गया है।
- यह सुपर कंप्यूटर एक मील का पत्थर साबित होगा और यह विभिन्न उद्देश्यों के लिये उच्च स्तर की डेटा गणना को बढ़ाएगा।
- इसके द्वारा मौसम का पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलेगी साथ ही इससे कृषि से लेकर बाढ़ की आशंका पर अलर्ट जारी किया जा सकेगा।
- उद्यमिता के क्षेत्र में कार्यरत युवाओं को इससे बहुत लाभ मिलेगा।
- सुपर कंप्यूटर आने से आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस, बिग डेटा, सिक्योरिटी, क्वांटम सिमुलेशन, प्रोसेस सिमुलेशन एंड ऑप्टिमाइजेशन, कंप्यूटेशनल फ्यो डायनामिक्स, वेदर मॉडलिंग, डिजास्टर रिकवरी, ड्रग डिस्कवरी, मॉलिक्यूलर डायनेमिक्स, मशीन लर्निंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम हो सकेगा।
- गौरतलब है कि इसका बुनियादी ढाँचा रुद्र सर्वर पर आधारित है, जिसे भारत में स्वदेशी रूप से डिजाइन, निर्मित और असेंबल किया गया है। यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम है।
आईजीआईएमएस और सी-डेक के मध्य एमओयू | बिहार | 03 May 2023
चर्चा में क्यों?
02 मई 2023 को बिहार के पटना में इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (IGIMS) संस्थान और विकास संगठन सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक एमओयू साइन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस संस्थान के निदेशक डॉ विनय कुमार, C-DAC पटना के निदेशक आदित्य कुमार सिन्हा और C-DAC के महानिदेशक ई मंगेश के उपस्थिति में एमओयू पर साइन कर किये गए।
- इस एमओयू के होने से अब पटना शहर के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (IGIMS) संस्थान में मशीन और सॉफ्टवेयर का उपयोग कर, डॉक्टर मरीजों का बेहतर इलाज करेंगे। बेहतर इलाज के लिये अब यहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जाएगा।
- अब दोनों संस्थान मिलकर कैंसर सहित कई घातक रोगों और औषधियों के विकास में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करेंगे और मरीजों का इलाज करेंगे।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग से स्वास्थ्य क्षेत्र में मेडिकल डाटाबेस तैयार करने,उपकरण के रखरखाव, स्टाफ की कमी दूर करने और प्रयोगशाला सुविधाओं को बढ़ाने तथा रोगों का शीघ्र पता लगाने और इसके निदान आदि में काफी मदद मिलेगी। यह मरीज और संस्थान दोनों के लिये काफी लाभप्रद साबित होगा।
- उल्लेखनीय है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसा तकनीकी सिस्टम होता है जिसमें सॉफ्टवेयर के जरिये कंप्यूटर को इंसानों की तरह सोचने, समझने, काम करने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता विकसित की जाती है।यह आर्टिफिशियल तरीके से सोचने, समझने और सीखने की क्षमता रखता है।