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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 05 Apr 2024
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राजस्थान सरकार का डेस्टिनेशन वेडिंग उद्योग को बढ़ावा देने का आग्रह

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के अनुसार, राजस्थान में पर्यटन उद्योग डेस्टिनेशन वेडिंग मार्किट को बढ़ाने के प्रयास तेज़ करने पर विचार कर रहा है।

पर्यटन उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि हालाँकि राजस्थान प्रत्येक वर्ष कई शाही विवाह समारोह का आयोजन करता है, लेकिन पर्यटन विभाग की भागीदारी में कमी दिखती है।

मुख्य बिंदु:

  • राजस्थान पर्यटन विभाग के अनुसार, राज्य में घरेलू पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, वर्ष 2023 में 17.90 करोड़ से अधिक पर्यटक इस रेगिस्तानी राज्य में आए।
    • वर्ष 2023 में, राजस्थान ने लगभग 18 करोड़ घरेलू और 17 लाख विदेशी पर्यटकों का स्वागत किया, जो वर्ष 2020 के आँकड़ों से एक महत्त्वपूर्ण वृद्धि है, जो 1.51 करोड़ घरेलू एवं 4.46 लाख विदेशी पर्यटक थे।
    • यह संख्या वर्ष 2021 में 2.19 करोड़ घरेलू और 34,806 विदेशी पर्यटकों से बढ़कर वर्ष 2022 में 10.83 करोड़ घरेलू तथा 39,684 विदेशी पर्यटक हो गई।
  • राजस्थान अनूठे पर्यटन उत्पादों को विकसित करने में अग्रणी रहा है, चाहे वह वर्ष 1982 में पैलेस ऑन व्हील्स लक्जरी ट्रेन का शुभारंभ हो या पुष्कर मेले जैसे त्योहार के अनुभव का निर्माण हो या पर्यटन स्थलों के रूप में विरासत संपत्तियों का अनुकूल पुन: उपयोग हो।
  • राज्य ने वर्ष 1989 में पर्यटन क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिया और तब से इस क्षेत्र के लिये कई राजकोषीय प्रोत्साहन बढ़ाए हैं, जिसकी शुरुआत वर्ष 1993 में पूंजी निवेश सब्सिडी से हुई थी।

राजस्थान पर्यटन नीति, 2020

  • दृष्टिकोण
    • पर्यटकों को उच्च गुणवत्ता का अनुभव प्रदान करके राजस्थान को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों पर्यटकों के लिये एक पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करना।
    • ज़िम्मेदार और सतत् नीतियों के माध्यम से राज्य की प्राकृतिक, ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण सुनिश्चित करने के साथ-साथ स्थानीय आबादी के लिये आजीविका के अवसरों में सुधार करके सामाजिक-आर्थिक विकास में तेज़ी लाना।
  • उद्देश्य
    • राजस्थान को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में एक अग्रणी पर्यटन ब्रांड के रूप में बढ़ावा देना।
    • मौजूदा पर्यटन उत्पादों को मज़बूत और विविधतापूर्ण बनाना।
    • विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कम ज्ञात स्थलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नवीन पर्यटन उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करें।
    • सड़क, रेल और हवाई मार्ग से पर्यटन स्थलों की कनेक्टिविटी में सुधार करना।
    • पर्यटक आवास अवसंरचना का विस्तार करना।
    • पर्यटन उत्पादों का व्यापक आधार पर प्रचार और विपणन।
    • लाभकारी स्व-रोज़गार सृजित करने के लिये पर्यटन विशिष्ट कौशल विकास की सुविधा प्रदान करना।
    • प्रभावी अंतर्विभागीय समन्वय को बढ़ावा देने के लिये उपयुक्त तंत्र बनाना।
    • राज्य में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये कदम उठाना।
    • पर्यटकों और विशेष रूप से महिला यात्रियों के लिये एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना तथा पर्यटक शिकायत निवारण प्रणालियों में सुधार करना।
    • पर्यटन इकाइयों की स्थापना के लिये स्वीकृति प्रदान करने हेतु उपयुक्त प्रशासनिक संरचना के साथ विभाग को सशक्त बनाना।
    • बेहतर नीति निर्माण और पूर्वानुमान के लिये बाज़ार अनुसंधान तथा सांख्यिकी ग्रिड विकास ढाँचा विकसित करना।

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राजस्थान में सौर ऊर्जा परियोजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड ने राजस्थान में ग्रुप कैप्टिव योजना के तहत 100 मेगावाट (MW) सौर ऊर्जा परियोजना को पूरा करने की घोषणा की।

  • अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन नेटवर्क से अपनी कैप्टिव खपत के लिये विद्युत प्राप्त करने की यह कंपनी की पहली परियोजना है।

मुख्य बिंदु:

  • इस परियोजना से विद्युत राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा सहित अन्य में कंपनी की इकाइयों को उपलब्ध होगी।
    • कंपनी के पास अब 612 MW नवीकरणीय ऊर्जा और 278 MW वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम (WHRS) की क्षमता है।
      • WHRS, ऊर्जा-बचत विद्युत उत्पादन प्रणालियाँ हैं जो मुख्य इंजन की निकास गैस से ऊर्जा पुनर्प्राप्त और पुन: उपयोग करती हैं।
  • अल्ट्राटेक सीमेंट ने वर्ष 2030 तक अपने हरित ऊर्जा मिश्रण को 85% तक बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध किया है और यह परियोजना नवाचार, स्थिरता तथा सभी के लिये एक उज्जवल, स्वच्छ भविष्य की खोज के प्रति इसके समर्पण की पुष्टि करती है।

ग्रुप कैप्टिव योजना

  • यह एक विद्युत खरीद तंत्र है जिसमें व्यक्ति या समूह विशेष रूप से अपने उपयोग के लिये विद्युत खरीदने के लिये विद्युत संयंत्र स्थापित करते हैं।
  • इन कैप्टिव उपयोगकर्त्ताओं के पास सामूहिक रूप से विद्युत संयंत्र का न्यूनतम 26% स्वामित्व होना चाहिये और उनके आनुपातिक स्वामित्व शेयरों के आधार पर 10% से अधिक की भिन्नता के साथ सालाना उत्पन्न विद्युत का न्यूनतम 51% उपभोग करना चाहिये।

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