गरीब कैदियों की राहत हेतु पैनल | हरियाणा | 04 Apr 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चंडीगढ़ प्रशासक ने उन गरीब कैदियों को राहत देने की योजना के कार्यान्वयन के लिये दो समितियों का गठन किया है, जिन्हें ज़ुर्माना या ज़मानत राशि का भुगतान न करने जैसी वित्तीय बाधाओं के कारण जेल से रिहा नहीं किया जा सकता है।
मुख्य बिंदु:
- केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गरीब कैदियों को सहायता योजना और इसके कार्यान्वयन को अंतिम रूप दे दिया गया है।
- प्रशासन ने गठित किया है:
- एक "अधिकार प्राप्त समिति" की अध्यक्षता ज़िला कलेक्टर (DC) और ज़िला मजिस्ट्रेट (DM) करेंगे तथा इसके सदस्य सचिव, ज़िला कानूनी सेवा प्राधिकरण, पुलिस अधीक्षक (SP) व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट होंगे।
- निरीक्षण समिति में एक कानूनी सलाहकार-सह-अभियोजन निदेशक, सचिव (गृह/जेल), राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और रजिस्ट्रार जनरल, पंजाब तथा हरियाणा उच्च न्यायालय के सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
- समिति प्रत्येक मामले में ज़मानत हासिल करने या जुर्माना आदि के भुगतान के लिये वित्तीय सहायता की आवश्यकता का आकलन करेगी तथा लिये गए निर्णय के आधार पर, DC व DM केंद्रीय नोडल एजेंसी (CNA) खाते से पैसा निकालेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
- समिति एक नोडल अधिकारी नियुक्त कर सकती है और ज़रूरतमंद कैदियों के मामलों के प्रसंस्करण में सहायता के लिये किसी भी नागरिक समाज के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्त्ता तथा ज़िला परिवीक्षा अधिकारी की सहायता ले सकती है।
गरीब कैदियों को सहायता योजना
यह भारत सरकार द्वारा गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की एक पहल है जो ज़ुर्माना या ज़मानत राशि का भुगतान करने में असमर्थ हैं, जिससे उनकी जेल से रिहाई रुक जाती है।
इस योजना का उद्देश्य जेलों में भीड़भाड़ की समस्या का समाधान करना और यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी कैदी केवल वित्तीय बाधाओं के कारण जेल में बंद न रहे।