उत्तर प्रदेश Switch to English
बनारसी पान, बनारसी लंगड़ा आम, रामनगर भाटा (बैंगन) और चंदौली का आदमचीनी चावल को मिला जीआई टैग
चर्चा में क्यों?
3 अप्रैल, 2023 को जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बनारसी पान, बनारसी लंगड़ा आम, रामनगर भाटा (बैंगन) और चंदौली का आदमचीनी चावल के साथ अन्य 7 उत्पादों को जीआई सर्टिफिकेट मिला है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि जीआई टैग यानि जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। ऐसा प्रोडक्ट जिसकी विशेषता या फिर नाम खास तौर से प्रकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है।
- धार्मिक और पर्यटन नगरी काशी जीआई हब के रूप में उभरी है। यहाँ के खास बनारसी लंगड़ा आम, बनारसी पान, रामनगर के भाटा (सफेद बड़ा गोल बैंगन) और आदमचीनी चावल (ज़िला चंदौली) को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indications) एवं बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) का तमगा मिला है।
- जीआई विशेषज्ञ ने बताया कि नाबार्ड एवं उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से प्रदेश के 11 उत्पादों को इस वर्ष जीआई टैग प्राप्त हुआ है, जिसमें 7 उत्पाद ओडीओपी (one district one product) में भी शामिल है और 4 कृषि एवं उद्यान से संबंधित उत्पाद काशी क्षेत्र से है। इनकी कुल संख्या अब 45 हो गई है।
- इस माह के अंत तक 9 और उत्पादों को जीआई टैग मिलने की उम्मीद है।
बिहार Switch to English
सीएससी की तरह विकसित किये जाएंगे बिहार के 8463 पैक्स
चर्चा में क्यों?
3 अप्रैल, 2023 को बिहार के सहकारिता विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राज्य के सभी 8,463 पैक्सों (प्राथमिक कृषि साख समिति) को अब सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के रूप में विकसित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- सहकारिता विभाग के मुताबिक, बिहार के किसान अब पैक्स (प्राथमिक कृषि साख समिति) में ई-केवाईसी करा सकेंगे। यह सुविधा कंप्यूटरीकृत किये जा रहे सभी 8,463 पैक्स में मिलेगी।
- पैक्सों के सामान्य सेवा केंद्रों के रूप में विकसित होने से 300 से अधिक सेवाएँ ग्रामीणों को मिल सकेंगी। किसान और अन्य ग्रामीण जल्द ही पैक्स के माध्यम से बैंकिंग, पीएम किसान ई-केवाईसी जैसी सुविधाओं का लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
- पैक्स को सामान्य सेवा केंद्रों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को प्रदान करने के लिये सक्षम बनाए जाने हेतु सरकार की ओर से ई-गवर्नेंस को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस पहल से पैक्स कॉमन सर्विस सेंटर योजना के डिजिटल सेवा पोर्टल पर सूचीबद्ध सभी सेवाएँ नागरिकों को प्रदान करने में सक्षम होगी।
- पैक्सों में ई-गवर्नेंस से ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार सृजन का लक्ष्य रखा गया है, इसलिये सरकार ने पैक्स का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है तथा पैक्स से और अधिक किसानों को जोड़ा जाएगा।
- पैक्सों के माध्यम से अब बैंकिंग, इंश्योरेंस आधार, नामांकन, अपडेट, कानूनी सेवाएँ, कृषि इनपुट जैसे कृषि उपकरण,पैन कार्ड और आईआरसीटीसी, रेल, बस व विमान टिकट संबंधी सेवाएँ भी नागरिकों को प्रदान किया जाएगा।
- इसके अलावा, पैक्स जल वितरण, भंडारण, बैंक मित्र सहित अलग-अलग गतिविधियाँ भी चला सकेंगे। पैक्स की व्यवसायिक गतिविधियों में वृद्धि होगी और उन्हें आत्मनिर्भर आर्थिक संस्था बनने में भी मदद मिलेगी।
- उल्लेखनीय है कि सहकारिता के क्षेत्र में उठाया गया ये ऐतिहासिक कदम है। सहकारिता विभाग अभी से ग्रामीण अंचलों के लोगों और किसानों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने का काम कर रही है।
राजस्थान Switch to English
‘राजस्थान गौरव’सम्मान समारोह
चर्चा में क्यों?
3 अप्रैल, 2023 को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने संस्कृति युवा संस्था द्वारा एक निजी होटल में आयोजित ‘राजस्थान गौरव’सम्मान समारोह में ‘राजस्थान गौरव’से विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिभाओं को सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि संस्कृति युवा संस्था द्वारा पिछले 28 वर्षों से ‘राजस्थान गौरव’सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है।
- राज्यपाल ने भारतीय सेना में कारगिल युद्ध के नायक रहे रिटायर्ड कर्नल वी.एस. बालोठिया, सीनियर आईएएस अजिताभ शर्मा, भारतीय पुलिस सेवा के राजीव पचार, भारतीय इंजिनियरिंग सेवा के आशु सिंह राठौड़, भारतीय राजस्व सेवा के नितिन कुमार जैमन, सवाई मानसिंह अस्पताल के अधीक्षक अचल शर्मा, दुबई के यंग एंटरप्रेन्योर अंकित जैन, शिव विलास रिसोर्ट के चेयरमैन स्व. बृजमोहन शर्मा, इंटरनेशनल वुडबॉल प्लेयर अजय सिंह, मांड गायिका बेगम बतूल, आईटी प्रोफेशनल सुदीप, व्यवसाय के क्षेत्र में प्रताप सिंह, रविंद्र प्रताप सिंह, फुटबाल खिलाड़ी अजय सिंह मीणा आदि प्रतिभाओं को ‘राजस्थान गौरव’सम्मान से सम्मानित किया।
राजस्थान Switch to English
प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में हाइब्रिड नेपियर घास की लगाई जाएगी प्रदर्शनी
चर्चा में क्यों?
3 अप्रैल, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन’(आरएसपीडीएम) के अंतर्गत प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में हाइब्रिड नेपियर घास (बहुवर्षीय चारा फसल) की प्रदर्शनी लगाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन के अंतर्गत हाइब्रिड नेपियर घास की प्रदर्शनी प्रत्येक ग्राम पंचायत में 0.2 हेक्टेयर भूमि में प्रगतिशील किसानों, विभाग के फार्म, कृषि प्रशिक्षण केंद्र (एटीसी) एवं प्रमुख गौशालाओं में लागाई जाएगी। इसके लिये ‘कृषक कल्याण कोष’से 23 करोड़ रुपए व्यय किये जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा किसानों के सर्वांगीण विकास के लिये प्रतिबद्धता से कार्य करने हेतु उनके हित में अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए हैं तथा कृषि क्षेत्र में कई नवाचार हुए हैं। अशोक गहलोत द्वारा 2023-24 के बजट में इस संबंध में घोषणा की गई।
- विदित है कि हाइब्रिड नेपियर घास एक बहुवर्षीय चारा फसल है। इसे हर प्रकार की जलवायु एवं मिट्टी में उगाया जा सकता है। किसानों और पशु पालकों के लिये यह एक बेहतर पशु चारा विकल्प है।
हरियाणा Switch to English
खेलो इंडिया महिला तीरंदाजी रैंकिंग प्रतियोगिता का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
3 अप्रैल, 2023 को भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की कार्यकारी निदेशक ललिता शर्मा ने बताया कि हरियाणा के सोनीपत ज़िले में साई के उत्तरी क्षेत्रीय केंद्र, बहालगढ़ में खेलो इंडिया महिला तीरंदाजी रैंकिंग प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ।
प्रमुख बिंदु
- खेलो इंडिया महिला तीरंदाजी रैंकिंग प्रतियोगिता में देशभर की 96 महिला तीरंदाजों ने भाग लिया है तथा विजेताओं को पाँच लाख रुपए तक के इनाम दिये जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि 3 और 4 अप्रैल को हो रही प्रतियोगिता का आयोजन भारतीय खेल प्राधिकरण, भारतीय तीरंदाजी संघ और हरियाणा तीरंदाजी संघ मिलकर कर रहे हैं।
- प्रतियोगिता में पदक विजेता खिलाड़ियों को साढ़े 37 लाख रुपए की इनामी राशि दी जाएगी।
- प्रतियोगिता में रिकर्व सीनियर में स्वर्ण पदक जीतने पर पाँच लाख, रजत पदक पर तीन लाख व काँस्य पदक पर दो लाख रुपए का इनाम मिलेगा। जूनियर में स्वर्ण पदक विजेता को तीन लाख, रजत पदक विजेता को दो लाख व काँस्य पदक विजेता को एक लाख रुपए तथा कैडेट में स्वर्ण पदक पर एक लाख, रजत पर 80 हज़ार व काँस्य पर 50 हज़ार रुपए मिलेंगे।
- इसके अलावा कंपाउंड श्रेणी के सीनियर वर्ग में स्वर्ण पदक विजेता को ढाई लाख, रजत पदक जीतने पर डेढ़ लाख व काँस्य पदक जीतने पर एक लाख रुपए का इनाम मिलेगा। जूनियर में स्वर्ण पदक विजेता को डेढ़ लाख, रजत पदक विजेता को एक लाख व काँस्य पदक विजेता को 50 हज़ार तथा कैडेट में स्वर्ण जीतने पर 50 हज़ार, रजत पदक पर 40 हज़ार व काँस्य पर 25 हज़ार रुपए मिलेंगे।
हरियाणा Switch to English
चांग गाँव होगा महाग्राम योजना में शामिल
चर्चा में क्यों?
2 अप्रैल, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य के भिवानी ज़िले के गाँव चांग में जन संवाद कार्यक्रम के दौरान बताया कि चांग गाँव को ‘महाग्राम योजना’में शामिल किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- ‘महाग्राम योजना’के तहत प्रदेश के उन सभी गाँवों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा, जिस गाँव की आबादी दस हज़ार से अधिक है। जिन गाँवों की आबादी दस हज़ार से कम तथा आठ हज़ार से ज्यादा है, उन गाँवों में फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) लगाए जाएंगे।
- इस योजना के तहत ही चांग गाँव में सीवरेज सिस्टम की भी व्यवस्था की जाएगी।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बताया कि लार्ड स्वराज पॉल संस्था के साथ मिलकर चांग गाँव के स्कूल के भवन का नवीनीकरण कराया जाएगा।
झारखंड Switch to English
आंजनधाम सहित चार स्थलों के विकास के लिये 6.50 करोड़ रुपए का प्रस्ताव
चर्चा में क्यों?
2 अप्रैल, 2023 झारखंड के गुमला ज़िले के उपायुक्त सुशांत गौरव ने बताया कि ज़िला प्रशासन द्वारा गुमला ज़िले के चार प्राचीन धार्मिक स्थलों टांगीनाथ धाम, आंजनधाम तथा पर्यटन स्थलों-गोबरसिल्ली एवं नवरत्नगढ़ के समुचित विकास के लिये 6.50 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा गया है।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि पूर्व के समय में गुमला ज़िले के प्राचीन धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर प्रशासनिक स्तर पर सरकारी फंड से योजना बनाकर काम किया गया है, लेकिन अब ज़िला प्रशासन धार्मिक एवं पर्यटनों स्थलों के विकास के लिये फोकस करते हुए विकास का खाका तैयार कर काम कर रहा है। इस निमित ज़िला प्रशासन द्वारा गुमला ज़िले के चार प्राचीन धार्मिक स्थलों एवं पर्यटन स्थलों के समुचित विकास का खाका तैयार किया गया।
- धार्मिक स्थल डुमरी प्रखंड का टांगीनाथ धाम, सदर प्रखंड के आंजनधाम तथा पर्यटन स्थल पालकोट का गोबरसिल्ली व सिसई प्रखंड के नवरत्न गढ़ के विकास के लिये योजना बनाकर इन स्थलों के सुंदरीकरण किया जाएगा।
- नवरत्नगढ़ - यह सिसई प्रखंड में है तथा गुमला से 32 व राँची से 65 किमी. दूर है। यह नागवंशी राजाओं की धरोहर है। राजा दुर्जन शाह ने नवरत्नगढ़ की स्थापना की थी।
- गोबरसिल्ली - पालकोट गुमला से 25, राँची से 100 व सिमडेगा ज़िला से 55 किमी. दूर है। यह प्रकृति की अदभुत बनावट है, इसे कुछ लोग झूलता पहाड़ भी कहते हैं। इस पहाड़ को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। यह संतुलन का अदभुत नज़ारा है।
- आंजनधाम - आंजनधाम गुमला से 21 किमी. दूर है। गाँव से मुख्य मंदिर तक जाने के लिये भी सड़क बन गई है। कहा जाता है कि आंजन गाँव के घने जंगल व पहाड़ की चोटी पर माता अंजनी के गर्भ से बालक हनुमान का जन्म हुआ था।
- टांगीनाथ धाम - यह डुमरी प्रखंड से 10 किमी., गुमला शहर से 75 किमी. व राँची से 175 किमी. दूर है। यह सातवीं व नौवीं शताब्दी का बना हुआ बताया जाता है। यह एक धार्मिक स्थल है, यहाँ एक त्रिशूल है, जो जमीन पर गड़ा है, जिस पर जंग नहीं लगता है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
अब केरल की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी होगी रबर की खेती
चर्चा में क्यों?
3 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ के रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय तथा रबर अनुसंधान संस्थान कोटेायम (केरल) के मध्य एक समझौता किया गया है, जिसके तहत रबर अनुसंधान संस्थान, कोट्टायम छत्तीसगढ़ में रबर की खेती की संभावनाएँ तलाशने के लिये कृषि अनुसंधान केंद्र बस्तर में एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबर की प्रायोगिक खेती करेगा।
प्रमुख बिंदु
- समझौता ज्ञापन पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक (अनुसंधान) डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी तथा रबर रिसर्च इंस्टीट्यूट कोट्टायम की संचालक (अनुसंधान) डॉ. एम.डी. जेस्सी ने हस्ताक्षर किये।
- इस समझौते के अनुसार रबर इंस्टीट्यूट कृषि अनुसंधान केंद्र बस्तर में एक हेक्टेयर रकबे में रबर की खेती हेतु सात वर्षों की अवधि के लिये पौध सामग्री, खाद-उर्वरक, दवाएँ तथा मज़दूरी पर होने वाला व्यय इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराएगा। वह रबर की खेती के लिये आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन तथा रबर निकालने की तकनीक भी उपलब्ध कराएगा।
- पौध प्रबंधन का कार्य रबर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किया जाएगा।
- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि रबर एक अधिक लाभ देने वाली फसल है। भारत में केरल, तमिलनाडु आदि दक्षिणी राज्यों में रबर की खेती ने किसानों को संपन्न बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
- उन्होंने कहा कि रबर अनुसंधान संस्थान कोट्टायम के वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की मिट्टी, आबोहवा, भू-पारिस्थितिकी आदि को रबर की खेती के लिये उपयुक्त पाया है और प्रायोगिक तौर पर एक हेक्टेयर क्षेत्र में रबर के पौधों का रोपण किया जाएगा। यहाँ रबर की खेती से किसानों को अधिक आमदनी प्राप्त हो सकेगी।
छत्तीसगढ़ Switch to English
‘अंगना म शिक्षा’कार्यक्रम को मिला ‘स्कॉच अवार्ड’
चर्चा में क्यों?
3 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में कोविड लॉकडाउन के दौरान महिला शिक्षिकाओं की पहल पर प्रारंभ किये गए ‘अंगना में शिक्षा’कार्यक्रम को किसी स्वतंत्र संगठन द्वारा दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान वर्ष 2022 के ‘स्कॉच अवार्ड’से नवाज़ा गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस अवार्ड के माध्यम से उन परियोजनाओं को सम्मानित किया जाता है, जो देश को बेहतर राष्ट्र बनाने के लिये प्रयास करते हैं।
- ‘अंगना म शिक्षा’को छत्तीसगढ़ के गाँव-गाँव में पहुँचाए जाने हेतु कार्यक्रम डिजाइन कर क्रियान्वयन के लिये महिला शिक्षिकाओं की एक कोर टीम का गठन किया गया है, जिसमें सभी पाँच संभागों से प्रतिनिधित्व किया गया है।
- यह शिक्षिकाएँ विगत तीन वर्षों से इस कार्यक्रम की डिजाइन कर इसमें निरंतर सुधार लाने का प्रयास कर रही हैं। प्रत्येक गाँव में सबसे पहले ‘अंगना म शिक्षा’ मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें स्थानीय शिक्षिकाएँ समुदाय, आँगनबाड़ी कार्यकर्त्ता एवं बड़ी कक्षाओं की बालिकाओं को शामिल किया जाता है।
- मेले में अलग-अलग काउंटर होते हैं, जिसमें माताएँ अपने बच्चों का आकलन करवाते हुए घर पर सीखने-सिखाने की प्रक्रिया पर समझ बनाती हैं। मुख्य रूप से टेढ़े-मेढे लाईन पर चलना, चित्रों में रंग भरना, कागज से विभिन्न आकृतियाँ बनाना, वस्तुओं का वर्गीकरण करना एवं उन्हें क्रम से जमाना, कहानी सुनाना, चित्र देखकर उसका वर्णन करना, गिनती, मौखिक जोड़-घटाना जैसी गतिविधियों का आयोजन करवाया जाता है।
- मेले से सीखकर एवं शिक्षिकाओं द्वारा समय-समय पर उन्मुखीकरण करने से माताएँ बच्चों को घर पर सीखने में सहयोग देना प्रारंभ कर देती हैं।
- इस कार्यक्रम में बेहतर और सक्रिय होकर कार्य कर रही माताओं को गाँव में पहचान दिलाने एवं उन्हें अन्य माताओं को इस कार्यक्रम से जोड़ने हेतु ‘स्मार्ट माता’का खिताब देकर सम्मानित भी किया जाता है।
- स्मार्ट माताओं से यह अपेक्षा भी की जाती है कि वे अन्य माताओं को सक्रिय करते हुए स्कूल एवं आँगनबाड़ी में भी जाकर बच्चों की पढ़ाई में सुधार की दिशा में पहल करें।
- बच्चों को स्कूल में नए सत्र में प्रवेश के लिये जाते समय माताएँ अपने साथ एक सपोर्ट कार्ड भी लेकर जाती हैं, जिसमें वे बच्चों के दक्षता की वर्तमान स्थिति का आकलन कर स्वयं हस्ताक्षर कर यह सूचित करती है कि उन्होंने अपने बच्चों को इन दक्षताओं को हासिल करवा दिया है, अब इसके आगे सिखाने में सहयोग दें।
- आगामी सत्र में प्रवेश के पूर्व सभी गाँवों में इस कार्यक्रम के अंतर्गत अगले चरण हेतु प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन के साथ मिलकर महिला शिक्षिकाओं द्वारा तय किये जा रहे हैं। इस वर्ष ‘अंगना म शिक्षा’दिवस एवं माताओं का अपने बच्चों के साथ सेल्फी लेने का भी प्रस्ताव है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड ड्रोन प्रमोशन एंड यूसेज पॉलिसी-2023 का खाका पेश
चर्चा में क्यों?
3 अप्रैल, 2023 को उत्तराखंड की सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी, आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि अमेरिकी संस्था मैकेंजी ग्लोबल ने राज्य में ड्रोन को बढ़ावा देने के लिये उत्तराखंड ड्रोन प्रमोशन एंड यूसेज पॉलिसी-2023 का खाका पेश किया है।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड ड्रोन प्रमोशन एंड यूसेज पॉलिसी-2023 के आने से वर्ष 2030 तक राज्य में ड्रोन उत्पादन और सेवाओं से 5000 युवाओं को रोज़गार मिलेगा। इस क्षेत्र में एक हज़ार करोड़ निवेश का लक्ष्य रखा गया है।
- उत्तराखंड ड्रोन प्रमोशन एंड यूसेज पॉलिसी-2023 के तहत इस क्षेत्र में ड्रोन निर्माण में 500 करोड़ रुपए और सर्विसेज में 500 करोड़ रुपए का निवेश होगा।
- ड्रोन के प्रोत्साहन के लिये राज्य में आईटीडीए के अधीन स्टेट ड्रोन कॉर्डिनेशन सेल (एसडीसीसी) गठित की जाएगी। वहीं, आईटीआई कालसी और आईटीआई काशीपुर को निजी सहभागिता से ड्रोन के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर चुना गया है। यहाँ डीजीसीए ने रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन (आरपीटीओ) बनाने की अनुमति दे दी है।
- मैकेंजी ग्लोबल के इस प्रस्ताव के तहत निजी संस्थानों को ड्रोन संबंधी कोर्स और प्रशिक्षण कोर्स चलाने को प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकारी कॉलेजों और नैक से प्रमाणित निजी विश्वविद्यालयों में ड्रोन स्कूल स्थापित किये जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी, आईटीडीए ने ड्रोन पॉलिसी का ड्राफ्ट वेबसाइट पर जारी कर दिया है। इस पर जनता व हितधारकों से सुझाव मांगे गए हैं। आईटीडीए द्वारा इस पॉलिसी पर जनसुझाव लेने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
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