मध्य प्रदेश Switch to English
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में ट्रेड प्रमोशन काउंसिल गठित
चर्चा में क्यों?
4 मार्च, 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में प्रदेश के आर्थिक विकास के दृष्टिगत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रदेश की हिस्सेदारी बढ़ाने, निर्यात को प्रोत्साहन देने और रोज़गार सृजन के संबंध में नीति-निर्धारण के लिये ‘मध्य प्रदेश ट्रेड प्रमोशन काउंसिल’का गठन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- ट्रेड प्रमोशन काउंसिल मुख्यरूप से कार्य समिति द्वारा प्रस्तुत एजेंडा पर अनुमोदन और स्वीकृति प्रदान करेगी। यह काउंसिल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के अनुसार चयनित उत्पादों की गुणवत्ता वृद्धि और वेल्यू एडीशन के संबंध में भी नीति-निर्धारण करेगी।
- काउंसिल में वित्त सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, वन, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, परिवहन, पर्यटन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग, कृषि, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास और श्रम विभाग के मंत्रीगण सदस्य होंगे।
- मध्य प्रदेश राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष और मुख्य सचिव, कृषि एवं फूड प्रोसेसिंग, फार्मास्युटिकल, टेक्सटाइल एवं गारमेंट, ऑटो मोबाइल एवं इंजीनियरिंग और आईटी आदि सेक्टर की राज्यस्तरीय संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं राज्य निर्यात आयुक्त (प्रबंध संचालक एमपीआईडीसी) भी काउंसिल में सदस्य बनाए गए हैं।
- प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन काउंसिल के सदस्य सचिव होंगे।
मध्य प्रदेश Switch to English
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय सतर्कता मॉनिटरिंग समिति का गठन
चर्चा में क्यों?
3 मार्च, 2022 को राज्य शासन ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम के तहत 21 अगस्त, 2019 को गठित राज्यस्तरीय सतर्कता मॉनिटरिंग समिति को तत्कालप्रभाव से निरस्त कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में नई समिति का गठन किया है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गठित नई समिति में मंत्री, सांसद, विधायक और संबंधित अधिकारियों को सदस्य बनाया गया है। प्रमुख सचिव अनुसूचित जाति कल्याण को संयोजक सदस्य सचिव बनाया गया है।
- अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा जारी समिति की अधिसूचना के अनुसार समिति में गृह, जेल, संसदीय कार्य, विधि और विधायी कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, अनुसूचित जाति कल्याण एवं जनजातीय कार्य मंत्री मीना सिंह तथा 3 सांसद- गजेंद्र सिंह पटेल, हिमाद्री सिंह तथा महेंद्र सिंह सोलंकी को सदस्य नामांकित किया गया है।
- इसी प्रकार 9 विधायकों- कुंवर सिंह टेकाम, सुलोचना रावत, राम दांगोरे, मनीषा सिंह, हरिशंकर खटीक, रघुनाथ मालवीय, डॉ. योगेश पंडाग्रे, गोपीलाल जाटव और राजेश प्रजापति तथा मुख्य सचिव मध्य प्रदेश शासन, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक और निदेशक/उप निदेशक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग को सदस्य नामांकित किया गया है।
मध्य प्रदेश Switch to English
एशियन फेंसिंग चैंपियनशिप में प्रज्ञा सिंह ने जीता रजत पदक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश राज्य फेंसिंग अकादमी की तलवारबाज़ प्रज्ञा सिंह ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में आयोजित एशियन फेंसिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया है।
प्रमुख बिंदु
- एशियन फेंसिंग चैंपियनशिप का आयोजन उज्बेकिस्तान के ताशकंद में 24 फरवरी से 3 मार्च, 2022 तक किया गया था।
- प्रज्ञा सिंह ने यह सफलता फेंसिंग की ईपी इवेंट में हासिल की है। उन्होंने फाइनल में उज्बेकिस्तान की खिलाड़ी के साथ खेलते हुए 45-36 के स्कोर पर रजत पदक हासिल किया।
- उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रज्ञा सिंह सीनियर ग्रांपी-2022 में भारतीय टीम का हिस्सा रही हैं।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण निवारण विधेयक, 2022
चर्चा में क्यों?
4 मार्च, 2022 को हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने विधानसभा के बजट सत्र में ‘हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण निवारण विधेयक, 2022’ पेश किया।
प्रमुख बिंदु
- इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद हरियाणा जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने वाला देश का सातवाँ राज्य बन जाएगा।
- इस विधेयक में जबरन धर्मांतरण करने वालों के खिलाफ सज़ा की तीन श्रेणी बनाई गई हैं।
- विवाह के लिये झूठ बोलकर, अनुचित प्रभाव डालकर, प्रलोभन देकर या डिजिटल संसाधनों का प्रयोग कर धर्मांतरण कराने वाले को कम-से-कम एक साल और अधिकतम पाँच साल की सज़ा तथा एक लाख रुपए जुर्माने की सज़ा का प्रावधान है।
- विवाह के आशय से जो अपना धर्म छिपाएगा, उसके धर्मांतरण करने पर कम-से-कम तीन साल और अधिकतम दस साल की सज़ा व तीन लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- इसी प्रकार व्यक्तिगत या संगठनों द्वारा सामूहिक धर्मांतरण कराने वालों के कारावास की अवधि कम-से-कम पाँच वर्ष और अधिकतम दस वर्ष सहित चार लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि हरियाणा से पहले उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक में यह कानून बन चुका है।
झारखंड Switch to English
झारखंड बजट 2022-23
चर्चा में क्यों?
3 मार्च, 2022 को झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने 2022-23 के वित्तीय वर्ष के लिये 1.01 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया। इस बजट में पूंजीगत व्यय में 59 प्रतिशत की वृद्धि करने का प्रस्ताव है।
प्रमुख बिंदु
- इससे पहले 2 मार्च को झारखंड विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2021-22 का 2698.14 करोड़ रुपए का तृतीय अनुपूरक बजट पारित हुआ था।
- वित्तीय वर्ष 2022-23 में राजस्व व्यय के लिये 76273.30 करोड़ रुपए प्रस्तावित हैं।
- पूंजीगत व्यय पर 59 प्रतिशत वृद्धि करते हुए 24827.70 करोड़ रुपए प्रस्तावित है।
- बजट में प्रावधानित सकल राशि में सामान्य प्रक्षेत्र के लिये 31896.64 करोड़ रुपए, सामाजिक क्षेत्र के लिये 37313.22 करोड़ रुपए तथा आर्थिक प्रक्षेत्र के लिये 31891.14 करोड़ रुपए उपबंधित किये गए हैं।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में विकास दर स्थिर कीमत पर 8.8 प्रतिशत तथा चालू कीमत पर 14.5 प्रतिशत अनुमानित है। जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में विकास दर स्थिर तथा चालू कीमत पर क्रमश: 6.15 प्रतिशत और 10.72 प्रतिशत अनुमानित है।
- आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा 11286.47 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जो आगामी वित्तीय वर्ष के अनुमानित जीएसडीपी का 2.81 प्रतिशत है।
- सामाजिक प्रक्षेत्र में समेकित रूप से वित्तीय वर्ष 2021-22 की तुलना में आगामी वित्तीय वर्ष में कुल 11 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित है। इसके अंतर्गत स्वास्थ्य में 27 प्रतिशत, पेयजल में 20 प्रतिशत, शिक्षा में 6.5 प्रतिशत तथा खाद्यान्न वितरण में 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
- झारखंड बजट 2022-23 में प्रावधानित अन्य प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-
- झारखंड के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिये ‘गुरुजी क्रेडिट कार्ड स्कीम’प्रारंभ की जाएगी।
- गरीब और किसानों पर बिजली का बोझ कम करने के लिये ऐसे प्रत्येक परिवार को मासिक 100 यूनिट बिजली मुफ्त दिये जाने का प्रस्ताव किया गया है।
- सरकार के स्टेट फंड से एक अतिरिक्त कमरे के निर्माण के लिये 50,000 रुपए प्रति आवास उपलब्ध होगा।
- पारा शिक्षक, सहायक शिक्षक के नाम से जाने जाएंगे। आगामी वर्ष 2022-23 हेतु इन शिक्षकों के मानदेय मद में राज्य योजना के अंतर्गत 600 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।
- कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र में 4,091.37 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया है।
- गो-धन न्याय योजना के अंतर्गत पशुपालकों एवं किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के उद्देश्य से उचित मूल्य पर गोबर की खरीदारी की जाएगी। इससे बायोगैस बनाने के साथ-साथ जैविक खाद तैयार की जाएगी।
- इसके साथ ही 40 हज़ार लाभार्थियों को वित्तीय वर्ष 2022-23 में अनुदान पर पशुधन वितरण का लक्ष्य वर्ष 2022-23 में कुल 85 लाख लीटर दूध प्रतिदिन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
- इस वित्तीय वर्ष में शीत गृह बनाने के लिये 30 करोड़ रुपए का बजटीय उपबंध प्रस्तावित है।
- कृषि उत्पाद में आर्थिक नुकसान से भरपाई के लिये 25 करोड़ रुपए का कॉर्प्स फंड में प्रस्तावित किया गया है।
- रामगढ़ ज़िला के अंतर्गत गोला में डिग्री कॉलेज के निर्माण का प्रस्ताव किया गया है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
दिव्यांगजन राज्यस्तरीय पुरस्कार, 2021
चर्चा में क्यों?
4 मार्च, 2022 को छत्तीसगढ़ की समाज कल्याण मंत्री अनिला भेंड़िया ने 8 व्यक्तियों और संस्थाओं को दिव्यांगजन राज्यस्तरीय पुरस्कार, 2021 से सम्मानित किया। इस अवसर पर 2 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त संस्थाओं और दिव्यांगता, समाज सेवा एवं विशेष उपलब्धियों वाले 5 व्यक्तियों को भी सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- दिव्यांगजन राज्यस्तरीय पुरस्कार, 2021 के वितरण समारोह का आयोजन प्रदेश के समाज कल्याण विभाग द्वारा रायपुर के माना कैंप स्थित संचालनालय परिसर में किया गया।
- सर्वश्रेष्ठ दृष्टिबाधित कर्मचारी की श्रेणी में बालोद ज़िला के दियाबाती गाँव के निवासी तेजराम साहू को उनके विशिष्ट और उल्लेखनीय योगदान के लिये पुरस्कार प्रदान किया गया। शत-प्रतिशत दृष्टिबाधित होने के बाद भी वे 16 वर्षों से दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को ब्रेल लिपि में शिक्षा प्रदान कर उन्हें स्वावलंबी बना रहे हैं।
- सर्वश्रेष्ठ दृष्टिबाधित कर्मचारी की श्रेणी में धमतरी ज़िले के सोरिद नगर निवासी अरविंद शर्मा को राज्यस्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे आवासीय विशेष प्रशिक्षण केंद्र कचांदुर ज़िला बालोद में 2013 से दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को कंप्यूटर की तकनीकी शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2014-15 की नेशनल पैरालिम्पिक जूडो प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करते हुए कांस्य पदक जीता था।
- रायपुर के डंगनिया निवासी सौरभ कुमार पांडेय को उनकी कार्यकुशलता और कर्त्तव्यनिष्ठा के लिये सर्वश्रेष्ठ श्रवणबाधित कर्मचारी का पुरस्कार प्रदान किया गया। वे भारतीय स्टेट बैंक, रायपुर में विशेष सहायक के पद पर कार्यरत् हैं।
- रायपुर ज़िले के गुढ़ियारी निवासी रामेश्वर प्रसाद साहू को उनकी कार्य निष्ठा और लगनशीलता के लिये सर्वश्रेष्ठ अस्थिबाधित कर्मचारी का पुरस्कार दिया गया है। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान फ्रंटलाईन वारियर्स के रूप में मानव सेवा करते हुए प्रतिदिन कार्य पर उपस्थित होकर अपनी सेवाएँ दीं।
- सर्वश्रेष्ठ अस्थिबाधित नियोक्ता की श्रेणी में बालोद ज़िले के पड़कीभाट की खेमराज जन-कल्याण सेवा समिति को दिव्यांगजन के लिये किये जा रहे अनुकरणीय कार्य हेतु पुरस्कृत किया गया। समिति द्वारा दिव्यांग पुरुष और महिलाओं को स्व-रोज़गार प्रशिक्षण प्रदान कर स्वावलंबी बनाया जा रहा है।
- महासमुंद ज़िले के सरायपाली स्थित फॉर्चून फाउंडेशन समाजसेवी संस्था को सर्वश्रेष्ठ दृष्टिबाधित संस्था हेतु पुरस्कृत किया गया है। संस्था द्वारा 2013-14 से दृष्टिबाधित दिव्यांगों के शैक्षणिक विकास और उनके समग्र पुनर्वास का काम किया जा रहा है। संस्था के बच्चों द्वारा राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 5 स्वर्ण पदक, 11 रजत पदक और 7 कांस्य पदक प्राप्त किये गए हैं। इसके साथ ही राज्यस्तरीय पैरा स्पोर्ट्स प्रतियोगिता में 2 बालक एवं 2 बालिकाओं द्वारा स्वर्ण पदक प्राप्त किया गया है।
- जांजगीर-चांपा ज़िले की प्रेमधारा चेरिटेबल सोसायटी (नव जीवन मूक बधिर विद्यालय) को सर्वश्रेष्ठ श्रवणबाधित संस्था का पुरस्कार दिया गया है। संस्था द्वारा वर्ष 2018 से श्रवणबाधितार्थ विशेष विद्यालय का संचालन किया जा रहा है।
- दिव्यांगजनों को पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करने के लिये जांजगीर-चांपा को सर्वश्रेष्ठ ज़िला का राज्यस्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया है। ज़िले में दिव्यांग व्यक्तियों के पुनर्वास के अनुकूल वातावरण निर्मित किया गया है। ज़िले में 12 हज़ार 861 दिव्यांगजनों का प्रमाणीकरण एवं यूडीआईडी रजिस्ट्रेशन किया गया है और 8545 दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण उपलब्ध कराए गए।
छत्तीसगढ़ Switch to English
भारतीय खेल प्राधिकरण ने छत्तीसगढ़ में दी 7 खेलों इंडिया सेंटर की मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के खेल एवं युवा कल्याण विभाग के प्रस्ताव पर भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा छत्तीसगढ़ में खेलों इंडिया स्कीम के तहत सात खेलो इंडिया केंद्रों की स्थापना की मंज़ूरी दी गई है। ये सातों केंद्र अलग-अलग ज़िलों में एक-एक खेल के लिये खोले जाएंगे।
प्रमुख बिंदु
- भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आर्चरी और हॉकी के लिये दो-दो केंद्रों, वालीबॉल, मलखंब और फुटबॉल के लिये एक-एक केंद्र की मंज़ूरी दी गई है।
- भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा शिवतराई (बिलासपुर) और बीजापुर में तीरंदाज़ी सेंटर, राजनांदगांव और जशपुर में हॉकी सेंटर, गरियाबंद में वालीबॉल सेंटर, नारायणपुर में मलखंब सेंटर तथा सरगुजा में फुटबॉल खेल के लिये खेलो इंडिया सेंटर प्रारंभ करने की स्वीकृति दी गई है।
- इन केंद्रों में संबंधित खेलों के छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों का चयन कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कोचों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन केंद्रों की स्थापना के लिये भारतीय खेल प्राधिकरण वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगा।
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य में खेलों का प्रशिक्षण अब और मज़बूत होगा तथा राज्य के खिलाड़ियों को अब अपनी खेल प्रतिभा को निखारने का बेहतर अवसर मिलेगा।
- उन्होंने कहा कि यह ‘खेलबो जीतबो गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ की परिकल्पना को साकार करने में एक और सार्थक कदम सिद्ध हुआ है।
- प्रत्येक खेल के स्थानीय सीनियर खिलाड़ियों को सेंटर से जोड़ा जाएगा, उन्हें प्रशिक्षक के रूप में कार्य करने के लिये मानदेय भी दिया जाएगा। सभी खेलो इंडिया सेंटर्स में बालक एवं बालिका खिलाड़ियों का बराबर प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया जाएगा। इन सेंटर्स को भारतीय खेल प्राधिकरण के पोर्टल में पंजीकृत किया जाएगा।
उत्तराखंड Switch to English
यमुना घाटी में सिंधु घाटी सभ्यता काल से जुड़ी प्रतिमा मिली
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की पहल पर पुरातत्त्व व इतिहास के शोधार्थियों ने उत्तरकाशी ज़िले में यमुना घाटी में स्थित देवल गाँव से पाषाण निर्मित महिष (भैंसा) मुखी चतुर्भुज मानव प्रतिमा की खोज की है।
प्रमुख बिंदु
- 4 मार्च, 2022 को दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के शोधार्थी तथा इतिहासकार प्रो. महेश्वर प्रसाद जोशी ने पत्रकारों को यह जानकारी दी।
- शोधार्थी इस प्रतिमा को सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त ‘आदि शिव’की प्रतिमा से जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है प्रतिमा सिंधु घाटी सभ्यता और उत्तराखंड के पारंपरिक संबंधों को रेखांकित करती है।
- इस दुर्लभ प्रतिमा का प्रकाशन रोम से प्रकाशित प्रतिष्ठित शोध पत्रिका ‘ईस्ट एंड वेस्ट’के नवीनतम अंक में हुआ है कि जो इसके पुरातात्त्विक महत्त्व को दर्शाता है।
- प्रो. महेश्वर प्रसाद जोशी ने कहा कि उत्तराखंड की यमुना घाटी में पहले भी सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े अवशेष मिल चुके हैं। यहाँ कालसी में अशोक के शिलालेख, जगतग्राम व पुरोला में ईंटों से बनी अश्वमेध यज्ञ की वेदियाँ और लाखामंडल के देवालय समूह प्रसिद्ध हैं।
- उन्होंने बताया कि दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की पहल पर पुरातत्त्व से जुड़े शोधार्थियों ने हाल ही में इस क्षेत्र से पुरातात्त्विक महत्त्व के कई अन्य महत्त्वपूर्ण अवशेष खोजे हैं।
Switch to English