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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 04 Oct 2021
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बिहार में बेरोज़गारी की स्थिति

चर्चा में क्यों?

1 अक्टूबर, 2021 को सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी के द्वारा जारी किये गए आँकड़े में यह खुलासा हुआ है कि बिहार में अगस्त के मुकाबले सितंबर में बेरोज़गारी में 3.6 प्रतिशत की कमी आई है।

प्रमुख बिंदु

  • आँकड़ों से स्पष्ट है कि जहाँ अगस्त माह में बेरोज़गारी 13.6 प्रतिशत थी, वहीं सितंबर माह के अंत तक घटकर 10 प्रतिशत हो गई है।
  • यद्यपि बिहार में बेरोज़गारी अब भी राष्ट्रीय औसत 6.9 प्रतिशत से ज़्यादा है, जो एक बड़ी चिंता का कारण बना हुआ है।
  • आँकड़ों से यह भी स्पष्ट है कि बिहार में गाँवों की तुलना में शहरों में बेरोज़गारी अधिक है।
  • ग्रामीण बेरोज़गारी घटकर जहाँ नौ प्रतिशत के स्तर पर आ गई है, वहीं शहरी बेरोज़गारी अभी भी 16.9 प्रतिशत है।
  • बिहार में पिछले तीन माह की बेरोज़गारी से संबंधित आँकड़े नीचे चार्ट में दिये गए हैं-

आंकड़े प्रतिशत में 

जुलाई

अगस्त

सितंबर

कुल बेरोज़गारी

13

13.6

10

शहरी बेरोज़गारी

17.5

19.5

16.9

ग्रामीण बेरोज़गारी

12.4

12.8

09


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नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार सबसे पिछड़ा राज्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग के द्वारा देश भर के ज़िला अस्पतालों के कामकाज पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमें बिहार की स्थिति को सबसे दयनीय बताया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट में स्पष्ट है कि बिहार के ज़िला अस्पतालों में बेडों की संख्या देश भर में सबसे न्यूनतम है, जो प्रति 1 लाख आबादी पर केवल 6 बेड हैं।
  • ध्यातव्य है कि रिपोर्ट में प्रति लाख आबादी पर बेडों का राष्ट्रीय औसत 22 है तथा बेडों की उपलब्धता के मामले में शीर्ष पर दिल्ली (59 बेड) तथा कर्नाटक (33 बेड) हैं, वहीं निम्न स्थान पर बिहार (6 बेड) एवं झारखंड (9 बेड) हैं।
  • बिहार के औसतन 8 अस्पतालों में ही डायग्नोस्टिक टेस्टिंग सर्विस की सुविधा उपलब्ध है।
  • बिहार में प्रति 1 लाख की आबादी पर क्रियाशील बेडों की संख्या के मामले में सदर अस्पताल, सहरसा शीर्ष पर है।

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बिहार में पिछड़ा एवं अति पिछड़ा निदेशालय के गठन को मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिहार सरकार के पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने सूबे में पिछड़ा एवं अति पिछड़ा निदेशालय (Directorate of Backward and Most Backward Classes) के गठन के संबंध में अधिसूचना जारी की है।

प्रमुख बिंदु

  • निदेशालय के गठन में पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग के कल्याण की योजनाओं को ज़मीनी स्तर तक पहुँचाने में आसानी होगी तथा योजनाओं की अच्छी तरह से निगरानी भी की जा सकेगी।
  • ध्यातव्य है कि पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग के कल्याण पर विशेष ध्यान देने के लिये कल्याण विभाग से अलग कर राज्य सरकार की ओर से विशेष विभाग का गठन किया गया था।
  • विभाग ने निदेशालय के संचालन के लिये अधिकारियों और कर्मचारियों के 446 पदों को भी मंज़ूरी दी है, जिसमें 26 पद निदेशालय के स्तर के और 420 पद क्षेत्रीय कार्यालयों के लिये हैं।

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