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चीन सीमा पर बनेंगी तीन सुरंग
चर्चा में क्यों?
2 अगस्त, 2023 को उत्तराखंड के लोक निर्माण विभाग के सचिव पंकज पांडेय ने बताया कि भारत-चीन सीमा पर दो अलग-अलग घाटियों में स्थित आईटीबीपी की दो चौकियों को आपस में जोड़ने और सीमांत क्षेत्र के लोगों को सुगम यातायात उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने दोनों घाटियों को सुरंग मार्ग से जोड़ने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है।
प्रमुख बिंदु
- इससे पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग और चमोली के लप्थल के बीच की दूरी 490 किमी. से घटकर 42 किमी. रह जाएगी। इसके लिये करीब 57 किमी. की तीन सुरंगें और 20 किमी. सड़क मार्ग बनाया जाना प्रस्तावित है। सामरिक महत्त्व की इस परियोजना पर अब केंद्र सरकार की ओर से निर्णय लिया जाना है।
- भारत-चीन सीमा में वर्तमान में कोई ऐसा सीधा मार्ग नहीं है, जो पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग आईटीबीपी पोस्ट को चमोली के लप्थल में आईटीबीपी पोस्ट से सीधे जोड़ता हो। सामरिक रूप से अति महत्त्वपूर्ण इन दोनों पोस्टों को 57 किमी. की तीन सुरंगों का निर्माण कर 490 किमी. की दूरी को कम किया जा सकता है।
- यह सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों, सेना, एसएसबी एवं आईटीबीपी और पर्यटन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है।
- राज्य सरकार ने केंद्र को भेजे अपने प्रस्ताव में राज्य के आर्थिक विकास, पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियों को बनाए रखने के साथ पलायन रोकने के लिये इस परियोजना को महत्त्वपूर्ण बताया है।
- पाँच किमी. की होगी पहली सुरंग:
- पिथौरागढ़ ज़िले के जौलिंगकांग (व्यास घाटी) से बेदाग (दारमा घाटी) तक की यात्रा शिमला पास होते हुए पूरी की जाती है, जो लगभग पूरे वर्ष बर्फ से ढकी रहती है। इस स्थान पर सड़क मार्ग का निर्माण करना बहुत कठित है।
- जौलिंगकांग के मध्य पाँच किमी. सुरंग का निर्माण वेदांग से गो एवं सिपु तक 20 किमी. सड़क मार्ग सहित किये जाने से बीआरओ एवं सीपीडब्ल्यूडी की ओर से निर्मित तवाघाट से बेदांग तक के मार्ग को जोड़ा जाएगा। यह जौलिंगकांग एवं बेदांग की दूरी 161 किमी. कम कर देगा।
- 22 किमी. लंबी होगी दूसरी सुरंग: वर्षभर बर्फ से ढके रहने वाले पैदल मार्ग सिपू से तोला तक मोटर मार्ग का निर्माण भी कठिन है। सिपु से तोला के मध्य लगभग 22 किमी. लंबाई की सुरंग का निर्माण किये जाने से दारमा वैली और जोहार वैली एक-दूसरे से जुड़ जाएंगी।
- 30 किमी लंबी होगी तीसरी सुरंग: पिथौरागढ़ के मिलम से चमोली के लप्थल तक का पैदल मार्ग भी वर्षभर बर्फ से ढका रहता है। इस भाग में भी सड़क मार्ग का निर्माण किया जाना मुश्किल है। मिलम से लप्थल तक 30 किमी. टनल का निर्माण होने से पिथौरागढ़ की जोहार घाटी एवं चमोली का लप्थल सड़क मार्ग से जुड़ जाएगा।
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हेरिटेज टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित होगी चौरासी कुटिया
चर्चा में क्यों?
3 अगस्त, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम स्थित ऐतिहासिक स्थल चौरासी कुटिया को हेरिटेज टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिये एचसीपी डिज़ाइन मैनेजमेंट कंपनी मास्टर प्लान तैयार करेगी।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि तीर्थनगरी में महर्षि महेश योगी की तपस्थली चौरासी कुटिया दुनिया के प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय बैंड ग्रुप बीटल्स की याद से जुड़ी है। देश-दुनिया के पर्यटक चौरासी कुटिया आते हैं, लेकिन अभी यह स्थल पर्यटन के लिहाज से विकसित नहीं हो पाया है।
- अब सरकार ने इंटरनेशनल हेरिटेज टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। चौरासी कुटिया राजाजी टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में होने से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से भी अनुमति ली जाएगी।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 1961 में महर्षि महेश योगी ने राजाजी टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में 7.5 हेक्टेयर वन भूमि में चौरासी कुटिया आश्रम का निर्माण किया था। उन्होंने करीब 40 वर्षों के लिये वन भूमि को लीज़ पर लिया था। इस दौरान उन्होंने आश्रम में 140 गुंबदनुमा कुटिया और 84 छोटी-छोटी ध्यान योग की कुटिया व अन्य निर्माण किया था।
- वर्ष 1968 में इंग्लैंड के मशहूर बीटल्स ग्रुप के चार सदस्य जॉन लेनन, पॉल मकार्टनी, जॉर्ज हैरिसन और रिंगो स्टार चौरासी कुटिया में ध्यान-योग करने के लिये आए थे। ये लोग कुटिया नंबर नौ में ध्यान करते थे।
- वे यहाँ करीब चार महीने रुके थे। इन चार महीनों में उन्होंने यहाँ 40 गानों की धुन तैयार की थी, जिन्हें विदेशी आज भी मंत्रमुग्ध होकर सुनते हैं। वन भूमि की लीज समाप्त होने के चलते महर्षि महेश योगी इस कुटिया को वर्ष 1989 में छोड़कर हॉलैंड चले गए। वर्ष 2000 में वन विभाग ने इस आश्रम का अधिग्रहण कर लिया।
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