प्रदेश में 3 साल में 2 लाख से ज़्यादा बच्चे कुपोषण से बाहर | छत्तीसगढ़ | 04 Aug 2022
चर्चा में क्यों?
3 अगस्त, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में कुपोषण मुक्ति के लिये शुरू किये गए ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’के तहत पिछले तीन सालों में प्रदेश के लगभग दो लाख 11 हज़ार बच्चे कुपोषण के चक्र से बाहर आ गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि वर्ष 2019 में इस अभियान के शुरू होते समय प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हज़ार थी। इस प्रकार कुपोषित बच्चों की संख्या में 48 प्रतिशत की कमी एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
- इसके साथ ही योजना के तहत नियमित गरम भोजन और पौष्टिक आहार मिलने से प्रदेश की लगभग 85 हज़ार महिलाएँ भी एनीमिया मुक्त हो चुकी हैं।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015-16 में जारी राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण- 4 के आँकड़ों के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित थीं। वर्ष 2018 में यह आँकड़ा बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया। इस प्रकार वर्ष 2016 से 2018 के मध्य कुपोषण कम होने के बजाय 2.3 प्रतिशत बढ़ गया।
- कुपोषित बच्चों में अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचलों के थे। राज्य सरकार ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’की शुरुआत 2 अक्टूबर, 2019 से की थी। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान और संकल्पित प्रयासों का सुखद परिणाम रहा कि कुपोषण की दर में लगातार कमी आई है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के 2020-21 में जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 5 वर्ष तक बच्चों के वज़न के आँकड़े देखें तो कुपोषण की दर 4 प्रतिशत कम होकर 31.3 प्रतिशत हो गई है। यह दर कुपोषण की राष्ट्रीय दर 32.1 प्रतिशत से भी कम है।
- वज़न त्यौहार के आँकड़े देखें तो वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ में कुपोषण 37 प्रतिशत था, जो वर्ष 2021 में घटकर मात्र 19.86 प्रतिशत रह गया है। इस प्रकार कुपोषण की दर में दो वर्षों में 3.51 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
- जुलाई 2021 में आयोजित वज़न त्यौहार में लगभग 22 लाख बच्चों का वज़न लिया गया था। इस दौरान पारदर्शी तरीके से कुपोषण के स्तर का आकलन किया गया। डाटा की गुणवत्ता परीक्षण और डाटा प्रमाणीकरण के लिये बाह्य एजेंसी की सेवाएँ ली गई थी। इसी तरह वर्ष 2022 में भी एक अगस्त से 13 अगस्त तक प्रदेश में वज़न त्यौहार मनाया जा रहा है। इसके आँकड़ों के आधार पर प्रदेश में वर्तमान कुपोषण दर का आकलन किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के माध्यम से कुपोषण मुक्ति के लिये प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है। महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुपोषण को प्राथमिकता क्रम में रखते हुए इसके लिये राज्य में डीएमएफ, सीएसआर और अन्य मदों की राशि का उपयोग किये जाने की अनुमति मुख्यमंत्री ने दी है।
- योजना के तहत कुपोषित महिलाओं, गर्भवती और शिशुवती माताओं के साथ बच्चों को गरम भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। राशन में आयरन और विटामिन युक्त फोर्टीफाइड चावल और गुड़ देकर लोगों के दैनिक आहार में विटामिन्स और मिनरल्स की कमी को दूर करने का प्रयास किया गया है। इसके साथ ही गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक रेडी टू ईट और स्थानीय उपलब्धता के आधार पर पौष्टिक आहार देने की भी व्यवस्था की गई है।
- महिलाओं और बच्चों को फल, सब्ज़ियों सहित सोया और मूंगफली की चिक्की, पौष्टिक लड्डू, अंडा सहित मिलेट्स के बिस्कुट और स्वादिष्ठ पौष्टिक आहार के रूप में दिया जा जा रहा है। इससे बच्चों में खाने के प्रति रुचि जागने से कुपोषण की स्थिति में सुधार आया है।
- प्रदेश में कुपोषण मुक्ति के लिये विभिन्न विभागों के साथ योजनाओं को एकीकृत कर समन्वित प्रयास किये गये हैं। मुख्यमंत्री हाट बाज़ार क्लिनिक योजना और मलेरिया मुक्त अभियान, दाई-दीदी क्लिनिक योजना के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्तार दिया गया है। इससे तेजी से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कुपोषण स्तर में सुधार देखा जा रहा है।