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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 30 Apr 2024
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छत्तीसगढ़ के कार्यकर्त्ता को मिलेगा ग्रीन नोबेल

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ के पर्यावरण कार्यकर्त्ता  और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (CBA) के संयोजक आलोक शुक्ला को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार 2024 के लिये चुना गया है, जिसे ग्रीन नोबेल भी कहा जाता है।

मुख्य बिंदु:

  • उन्हें पर्यावरण की रक्षा के लिये उनके संघर्षों और पहलों के लिये चुना गया है, जिसमें मध्य भारत के सबसे सघन वनों में से एक हसदेव अरण्य भी शामिल है, जो 170,000 हेक्टेयर तक फैला हुआ है, जिसमें 23 कोयला ब्लॉक हैं। उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में सम्मानित किया जाएगा।
  • उन्होंने आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ में 21 नियोजित कोयला खदानों से 445,000 एकड़ जैवविविधता से समृद्ध वनों को बचाने के लिये अडानी खनन के खिलाफ अभियान चलाने के लिये स्वदेशी समुदायों और कोयला खनन से प्रभावित लोगों को सफलतापूर्वक अभियान चलाया तथा संगठित किया।
    • वर्ष 2009 में, पर्यावरण मंत्रालय ने हसदेव अरण्य को उसके समृद्ध वन क्षेत्र के कारण खनन के लिये "नो-गो" क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया, लेकिन इसे खनन हेतु फिर से खोल दिया। हसदेव अरण्य को खनन मुक्त बनाने के लिये CBA ने लगातार संघर्ष किया।

हसदेव अरण्य वन

  • छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में फैला हुआ हसदेव अरण्य वन क्षेत्र अपनी जैवविविधता और कोयला भंडार के लिये जाना जाता है।
  • यह वन क्षेत्र महत्त्वपूर्ण आदिवासी आबादी वाले ज़िलों कोरबा, सुजापुर और सरगुजा के अंतर्गत आता है।
  • महानदी की सहायक नदी हसदेव यहाँ से प्रवाहित होती है।
  • हसदेव अरण्य मध्य भारत का सबसे बड़ा अखंडित वन है जिसमें प्राचीन साल (शोरिया रोबस्टा) और सागौन के वन शामिल हैं।
  • यह एक प्रसिद्ध प्रवासी गलियारा है, जिसमें हाथियों की महत्त्वपूर्ण उपस्थिति है।

ग्रीन नोबेल पुरस्कार

  • गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार (जिसे ग्रीन नोबेल पुरस्कार के रूप में भी जाना जाता है) अक्सर बड़े व्यक्तिगत जोखिम पर प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और संवर्द्धन हेतु निरंतर तथा महत्त्वपूर्ण प्रयासों के लिये व्यक्तियों को मान्यता देता है।
  • यह वर्ष 1990 से गोल्डमैन एनवायर्नमेंटल फाउंडेशन द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।
  • यह विश्व के छह महाद्वीपीय क्षेत्रों के लोगों का सम्मान करता है: अफ्रीका, एशिया, यूरोप, द्वीप एवं द्वीप राष्ट्र, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण एवं मध्य अमेरिका।
  • गोल्डमैन पुरस्कार "ज़मीनी स्तर" के नेताओं को स्थानीय प्रयासों में शामिल लोगों के रूप में देखता है, जहाँ उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों में समुदाय या नागरिक की भागीदारी के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन किया जाता है।
  • गोल्डमैन पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता सामान्यतः पृथक् गाँवों या सुदूर शहरों के लोग होते हैं जो पर्यावरण की सुरक्षा के लिये बड़े व्यक्तिगत जोखिम उठाना चुनते हैं।
  • विजेताओं की घोषणा पृथ्वी दिवस पर की जाती है जो प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाता है।


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मुरिया जनजाति

चर्चा में क्यों?

आंध्र प्रदेश छत्तीसगढ़ के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में निवास करने वाली मुरिया/मुड़िया जनजाति के पास दोनों राज्यों से प्राप्त मतदाता कार्ड हैं, एक उनके मताधिकार का प्रयोग करने के लिये है एवं दूसरा उनके जन्म के संदर्भ और प्रमाण के लिये।

मुख्य बिंदु:

  • यह बस्ती नक्सलवाद से प्रभावित आंध्र प्रदेश-छत्तीसगढ़ सीमा पर 'भारत के रेड कॉरिडोरके भीतर स्थित है जो आरक्षित वन के भीतर स्थित एक मरूद्यान (Oasis) है तथा यह बस्ती और निर्वनीकरण पर प्रतिबंध लगाने वाले सख्त कानूनों द्वारा संरक्षित है।
  • मुरिया बस्ती को आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (IDP) के निवास स्थान के रूप में जाना जाता है, जिनकी आबादी आंध्र प्रदेश में लगभग 6,600 है और यहाँ के मुरियाओं को मूल जनजातियों द्वारा 'गुट्टी कोया' कहा जाता है।
  • यह जनजाति माओवादियों और सलवा जुडूम के बीच संघर्ष के दौरान विस्थापित हुई थी।
  • मुरिया भारत के छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले का एक मूल आदिवासी, अनुसूचित जनजाति द्रविड़ समुदाय है। वे गोंडी समुदाय का हिस्सा हैं।

सलवा जुडूम

  • यह गैरकानूनी सशस्त्र नक्सलियों के खिलाफ प्रतिरोध के लिये संगठित आदिवासी व्यक्तियों का एक समूह है। इस समूह को कथित तौर पर छत्तीसगढ़ में सरकारी तंत्र द्वारा समर्थित किया गया था।
  • वर्ष 2011 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकों को इस तरह से हथियार देने के खिलाफ निर्णय सुनाया और सलवा-जुडूम पर प्रतिबंध लगा दिया तथा छत्तीसगढ़ सरकार को माओवादी गुरिल्लाओं से निपटने के लिये स्थापित किसी भी मिलिशिया बल को भंग करने का निर्देश दिया।

आंतरिक रूप से विस्थापित लोग (IDP)

  • IDP ऐसे व्यक्ति विशेष या व्यक्तियों के समूह हैं जिन्हें पलायन करने या अपने घरों या निवास स्थानों को छोड़ने के लिये मज़बूर किया गया है, विशेष रूप से सशस्त्र संघर्ष के प्रभाव से बचने के लिये, सामान्य हिंसा की स्थिति, मानवाधिकार या प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं का उल्लंघन और जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमा को पार नहीं किया है


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