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बिहार के एक गाँव ने वोट देने से इनकार किया
चर्चा में क्यों?
पिछले दो चुनावों से, सुपौल के खोखनाहा गाँव के निवासियों ने कोसी नदी से जनित दुखों को कम करने के लिये सरकारी पहल की कमी के कारण सभी राजनीतिक दलों के खिलाफ आक्रोश में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों और वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों का बहिष्कार किया।
इस वजह से खोखनाहा गाँव वर्ष 2024 के भी चुनाव में वोट देने से इनकार कर रहा है।
मुख्य बिंदु:
- कुछ वर्ष पूर्व कोसी नदी के करण गाँव को भारी नुकसान पहुँचा था और एक वर्ष पूर्व इसने गाँव तथा चार अन्य क्षेत्रों को सुपौल से अलग कर दिया था।
- ये गाँव अब कोसी की दो धाराओं के बीच एक द्वीप पर स्थित हैं। मानचित्र पर केवल 5 किलोमीटर दूर होने के बावजूद, बुनियादी आवश्यकताओं के लिये सुपौल जाने में पूरा दिन लग जाता है।
- कोसी बेल्ट के खोखनाहा और आस-पास के गाँवों के निवासी सरकार द्वारा उपेक्षित महसूस करते हैं।
- वे बार-बार आने वाली बाढ़ को सहन करते हैं, जो उचित मुआवज़े या नदी को नियंत्रित करने के उपायों के बिना उनके जीवन और आजीविका की तबाही का कारण बनती है। इन क्षेत्रों में बिजली और स्वास्थ्य सेवा जैसी आवश्यक सेवाओं का भी अभाव है।
कोसी नदी
- कोसी एक सीमा-पार नदी है जो तिब्बत, नेपाल और भारत से होकर बहती है।
- इसका स्रोत तिब्बत में है जिहाँ विश्व की सबसे ऊँची भूमि शामिल है, फिर यह नदी गंगा के मैदानी इलाकों में उतरने से पूर्व नेपाल के एक बड़े हिस्से में प्रवाहित होती है।
- इसकी तीन प्रमुख सहायक नदियाँ, सुनकोशी, अरुण और तमूर हिमालय की तलहटी से होकर गुज़रने वाली 10 किमी. गहरी घाटी के ठीक ऊपर एक बिंदु पर मिलती हैं।
- यह नदी भारत के उत्तरी बिहार में प्रवेश करती है, जहाँ यह कटिहार ज़िले के कुरसेला के निकट गंगा में मिलने से पूर्व सहायक नदियों में बदल जाती है।
- भारत में ब्रह्मपुत्र के बाद कोसी सबसे अधिक मात्रा में गाद और रेत लाती है।
- इसे "बिहार का शोक" भी कहा जाता है क्योंकि वार्षिक बाढ़ से लगभग 21,000 वर्ग किमी. का क्षेत्र कुप्रभावित होता है। जिससे उपजाऊ कृषि भूमि की कमी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो रही है।
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