मध्य प्रदेश Switch to English
हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज मध्य प्रदेश में निवेश करेगी
चर्चा में क्यों?
भारत में कोका-कोला की बॉटलिंग शाखा, हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज (HCCB) ने मध्य प्रदेश में अपने राजगढ़ संयंत्र में दो विनिर्माण लाइनें स्थापित करने के लिये 350 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की है।
मुख्य बिंदु:
- यह घोषणा उज्जैन में क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- पूंजी के हालिया निवेश से राजगढ़ में HCCB के कारखाने में 2 नई, अत्याधुनिक विनिर्माण लाइनें शुरू होंगी, जो किफायती छोटे स्पार्कलिंग पैक (ASSP) और टेट्रा पैक जूस का उत्पादन करेंगी।
- HCCB पहले ही मध्य प्रदेश में अपने राजगढ़ संयंत्र में वर्ष 2000 से 311 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश कर चुका है।
- कंपनी पूरे भारत में फैली 13 फैक्ट्रियों का संचालन करती है, जहाँ यह 8 श्रेणियों में 37 विभिन्न उत्पादों का निर्माण और बिक्री करती है।
मध्य प्रदेश Switch to English
अडानी ग्रुप मध्य प्रदेश में 75,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगा
चर्चा में क्यों?
उज्जैन में क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन के दौरान, अडानी ग्रुप ने मध्य प्रदेश में 75,000 करोड़ रुपए के बड़े निवेश की घोषणा की है, जो राज्य के लिये अपनी वित्तीय प्रतिबद्धता के महत्त्वपूर्ण विस्तार का संकेत है।
मुख्य बिंदु:
- अडानी ग्रुप चोरगाडी में 4 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्लिंकर इकाई की स्थापना के लिये अतिरिक्त 5,000 करोड़ रुपए निर्धारित कर रहा है।
- ग्रुप की योजना देवास और भोपाल में दो सीमेंट ग्राइंडिंग इकाइयाँ स्थापित करने की है, जिनकी कुल क्षमता 5,000 करोड़ रुपए के निवेश से 8 मिलियन टन प्रति वर्ष होगी।
- ग्रुप ईंधन वितरण में 2,100 करोड़ रुपए से अधिक के बड़े निवेश की भी योजना बना रहा है।
- यह निवेश मुख्य रूप से पाँच भौगोलिक क्षेत्रों, भिंड, बुरहानपुर, अनुपपुर, टीकमगढ़ और अलीराजपुर में सिटी गैस वितरण नेटवर्क को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें सिटी गैस वितरण (CGD), तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG), इलेक्ट्रॉनिक वाहन (EV) शामिल होंगे।
- सिंगरौली में अपने महान एनर्जी प्लांट में 30,000 करोड़ रुपए की लागत से विद्युत उत्पादन क्षमता भी बढ़ाई जाएगी, जिससे यह मौजूदा 1,200 मेगावाट से बढ़कर प्रभावशाली 4,400 मेगावाट हो जाएगी।
क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन
- यह दो दिवसीय निवेशक शिखर सम्मेलन था, जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में शुरू हुआ, जिसमें भोपाल, उज्जैन और इंदौर जैसे 20 ज़िले शामिल थे।
- कुल 56 परियोजनाओं में 74,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश आने की उम्मीद है, जिसमें 17,000 से अधिक व्यक्तियों के लिये रोज़गार सृजन करने की क्षमता है।
- उद्योग सम्मेलन के दौरान 35 भाग लेने वाली कंपनियों ने सामूहिक रूप से 74,711 करोड़ रुपए की निवेश परियोजनाओं का प्रस्ताव दिया है।
हरियाणा Switch to English
अमिताभ ढिल्लों हरियाणा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के प्रमुख होंगे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा सरकार ने वर्ष 1997 बैच के भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी, अमिताभ सिंह ढिल्लों को हरियाणा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) के रूप में नियुक्त किया।
मुख्य बिंदु:
- वर्ष 1997 बैच के एक अन्य अधिकारी संजय कुमार को ममता सिंह की जगह ADGP, कानून और व्यवस्था के रूप में तैनात किया गया था।
- राज्यपाल के ऐड-डि-कैंप (ADC), अर्श वर्मा को महेंद्रगढ़ के पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात किया गया था, जबकि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (SP), यमुनानगर, हिमाद्री कौशिक को पुलिस उपायुक्त (DCP), पंचकुला के रूप में तैनात किया गया था।
- वर्ष 1991-बैच के अधिकारी, आलोक रॉय को पुलिस महानिदेशक (DGP), मानव संसाधन (HR) और मुकदमेबाज़ी के रूप में तैनात किया गया था, जबकि उनके बैचमेट, संजीव जैन को DGP, हरियाणा मानवाधिकार आयोग के रूप में तैनात किया गया था।
- DCP, बल्लभगढ़, राजेश दुग्गल को गुरुग्राम के संयुक्त पुलिस आयुक्त के रूप में तैनात किया गया।
ऐड-डि-कैंप
- 'ऐड-डि-कैंप' की उपाधि सशस्त्र बलों में एक अधिकारी को दी जाती है, जो उच्च रैंकिंग वाले अधिकारी की सहायता करता है।
- ADC वे अधिकारी होते हैं जो सेना प्रमुख, सेना कमांडरों, राज्यपालों और भारत के राष्ट्रपति सहित शीर्ष अधिकारियों के निजी सहायक के रूप में कार्य करते हैं।
- भारत के राष्ट्रपति के पास पाँच ऐड-डि-कैंप होते हैं, जिनमें से तीन सेना से और एक-एक नौसेना तथा वायु सेना से होते हैं।
- राज्य के राज्यपाल के दो ऐड-डि-कैंप होते हैं, एक सेना/नौसेना/वायु सेना से आता है और दूसरा राज्य के पुलिस बल से आता है।
- एक ADC के पास सशस्त्र बलों में पाँच से सात वर्ष का अनुभव होना चाहिये। उनका चयन उनके पेशेवर प्रदर्शन और साक्षात्कार के आधार पर किया गया है।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान को मिलेगा यमुना का जल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को हरियाणा के साथ वर्ष 1994 के समझौते में निर्दिष्ट आवंटन के अनुसार यमुना के जल में हिस्सा मिलेगा।
मुख्य बिंदु:
- हरियाणा और राजस्थान ने हाल ही में भूमिगत पाइपलाइनों के माध्यम से हरियाणा के हथिनीकुंड से राजस्थान के हिस्से के यमुना जल के हस्तांतरण तथा झुंझुनू एवं चुरू जैसे क्षेत्रों में इसके उपयोग के लिये संयुक्त रूप से एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- 17 फरवरी 2024 को हरियाणा और राजस्थान के CM के बीच एक बैठक के बाद समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।
- 12 मई, 1994 को सह-बेसिन राज्यों के बीच जल हिस्सेदारी आवंटित करने वाले MOU पर हस्ताक्षर होने के बाद से जल बँटवारे का मुद्दा दो दशकों से अधिक समय से विवाद का विषय रहा है।
सतलुज-यमुना लिंक नहर
- यह मुद्दा वर्ष 1981 के एक विवादास्पद जल-बँटवारे समझौते से उपजा है, जब वर्ष 1966 में हरियाणा को पंजाब से अलग किया गया था।
- पंजाब:
- पंजाब पड़ोसी राज्यों के साथ किसी भी अतिरिक्त जल के बँटवारे का कड़ा विरोध करता है। वे इस बात पर ज़ोर देते हैं कि पंजाब में अतिरिक्त जल की कमी है और पिछले कुछ वर्षों में उनके जल आवंटन में कमी हुई है।
- वर्ष 2029 के बाद पंजाब के कई क्षेत्रों में जल समाप्त हो सकता है तथा सिंचाई के लिये राज्य पहले ही अपने भूजल का अत्यधिक दोहन कर चुका है क्योंकि गेहूंँ और धान की खेती करके यह केंद्र सरकार को प्रत्येक वर्ष लगभग 70,000 करोड़ रुपए मूल्य का अन्न भंडार उपलब्ध कराता है।
- राज्य के लगभग 79% क्षेत्र में पानी का अत्यधिक दोहन है और ऐसे में सरकार का कहना है कि किसी अन्य राज्य के साथ पानी साझा करना असंभव है।
- हरियाणा:
- पंजाब, हरियाणा के हिस्से का जल उपयोग कर रहा है, इसलिये हरियाणा बढ़ते जल संकट का हवाला देते हुए नहर के कार्य को पूरा करने की मांग करता है।
- हरियाणा का तर्क है कि राज्य में सिंचाई के लिये जल उपलब्ध कराना कठिन है और हरियाणा के दक्षिणी हिस्सों में पीने के पानी की समस्या है जहांँ भूजल स्तर 1,700 फीट तक कम हो गया है।
- हरियाणा केंद्रीय खाद्य पूल (Central Food Pool) में अपने योगदान का हवाला देता रहा है और तर्क देता है कि एक न्यायाधिकरण द्वारा किये गए मूल्यांकन के अनुसार उसे उसके जल के उचित हिस्से से वंचित किया जा रहा है।
यमुना नदी
- यमुना नदी उत्तर भारत में गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है।
- यह विश्व के व्यापक जलोढ़ मैदानों में से एक यमुना-गंगा मैदान का एक अभिन्न भाग है।
- स्रोत: इसका स्रोत निचली हिमालय पर्वतमाला में बंदरपूंँछ शिखर के दक्षिण-पश्चिमी किनारों पर 6,387 मीटर की ऊँचाई पर यमुनोत्री ग्लेशियर में स्थित है।
- बेसिन: यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम (जहाँ कुंभ मेला आयोजित होता है) स्थल पर गंगा में मिल जाती है।
- महत्त्वपूर्ण बाँध: लखवार-व्यासी बाँध (उत्तराखंड), ताजेवाला बैराज बाँध (हरियाणा) आदि।
- महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ: चंबल, सिंध, बेतवा और केन।
- यमुना नदी से संबंधित सरकारी पहल:
- यमुना एक्शन प्लान
- फरवरी 2025 तक यमुना को साफ करने के लिये दिल्ली सरकार की छह सूत्री कार्य योजना
बिहार Switch to English
प्रधानमंत्री ने बिहार में विकास परियोजनाओं का अनावरण किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के औरंगाबाद ज़िले में 21,400 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का अनावरण किया।
मुख्य बिंदु:
- 18,000 करोड़ रुपए से अधिक की राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया।
- PM ने गंगा पर छह लेन वाले पुल की आधारशिला रखी, जिसका निर्माण मौजूदा जेपी (जयप्रकाश नारायण) गंगा सेतु के समानांतर किया जाएगा। साथ ही, पटना में यूनिटी मॉल की आधारशिला रखी, जिसका निर्माण 200 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से किया जाएगा और यह 'एक ज़िला, एक उत्पाद' परियोजना को बढ़ावा देगा।
- उन्होंने तीन रेलवे परियोजनाएँ राष्ट्र को समर्पित कीं, जिनमें पाटलिपुत्र-पहलेजा लाइन का दोहरीकरण और बँधुआ एवं पैमार के बीच 26 किलोमीटर लंबी नई लाइन शामिल है।
- पीएम ने नमामि गंगे योजना के तहत 2,190 करोड़ से अधिक की 12 परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।
- इनमें पटना, सोनपुर, नौगछिया और छपरा के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट शामिल हैं।
एक ज़िला एक उत्पाद पहल
- ODOP देश के प्रत्येक ज़िले से एक उत्पाद को बढ़ावा देने और ब्रांडिंग करके ज़िला स्तर पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की एक पहल है।
- इसका उद्देश्य प्रत्येक ज़िले की स्थानीय क्षमता, संसाधनों, कौशल और संस्कृति का लाभ उठाना तथा घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में उनकी एक विशिष्ट पहचान बनाना है।
- ODOP की अवधारणा को सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनवरी 2018 में विकसित की गई थी।
- यह योजना राज्य के पारंपरिक उद्योगों और शिल्प, जैसे- चिकनकारी कढ़ाई, पीतल के बर्तन, मिट्टी के बर्तन, कालीन, चमड़े की वस्तुएँ आदि को पुनर्जीवित करने में सफल रही।
- इससे प्रेरित होकर केंद्र सरकार ने इस अवधारणा को अपनाया और इसे एक राष्ट्रीय पहल के रूप में लॉन्च किया।
नमामि गंगे कार्यक्रम
- नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था, ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
- यह जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग तथा जल शक्ति मंत्रालय के तहत संचालित किया जा रहा है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और इसके राज्य समकक्ष संगठनों यानी राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों (SPMGs) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- NMCG राष्ट्रीय गंगा परिषद का कार्यान्वयन विंग है (वर्ष 2016 में स्थापित किया गया था; जिसने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण- NGRBA का स्थान लिया)।
उत्तर प्रदेश Switch to English
MYUVA योजना
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री "मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (MYUVA)" योजना शुरू करने जा रहे हैं।
- इसका उद्देश्य राज्य के युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
मुख्य बिंदु:
- इस योजना के तहत, राज्य सरकार का लक्ष्य प्रत्येक वर्ष 5 लाख रुपए तक की परियोजनाओं के लिये ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करके एक लाख युवा उद्यमियों को तैयार करना है।
- सरकार ने इस पहल का समर्थन करने के लिये वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में 1,000 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
- इसे राज्य भर में शिक्षित और कुशल युवाओं को सशक्त बनाने, स्व-रोज़गार के अवसरों को सुविधाजनक बनाने तथा नए MSME (सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय) की स्थापना को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- जिन लाभार्थियों ने सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं जैसे कि विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, एक ज़िला एक उत्पाद प्रशिक्षण और टूलकिट योजना, अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग प्रशिक्षण योजना तथा उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा संचालित कौशल उन्नयन में प्रशिक्षण प्राप्त किया है, वे सहायता के लिये पात्र होंगे।
- इसके अतिरिक्त, शैक्षणिक संस्थानों से प्रमाण-पत्र, डिप्लोमा और डिग्री वाले युवा भी इस योजना के तहत लाभ के हकदार होंगे।
- पहले ऋण के सफल पुनर्भुगतान पर, इकाइयाँ दूसरे चरण के वित्तपोषण के लिये पात्र होंगी, जहाँ प्रारंभिक राशि से दोगुना या 7.50 लाख रुपए तक का समग्र ऋण प्रदान किया जा सकता है।
पी.एम. विश्वकर्मा योजना:
- यह योजना लोहार, सुनार, मिट्टी के बर्तन (कुम्हार), बढ़ईगीरी और मूर्तिकला जैसे विभिन्न व्यवसायों में लगे पारंपरिक कारीगरों तथा शिल्पकारों के उत्थान के लिये बनाई गई है, जिसमें सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने एवं उन्हें औपचारिक अर्थव्यवस्था व वैश्विक मूल्य शृंखला में एकीकृत करने पर ध्यान दिया गया है।
- इसे एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जो पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित होगी।
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय इस योजना के लिये नोडल मंत्रालय है।
- उद्देश्य:
- यह सुनिश्चित करना कि कारीगरों को घरेलू और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में निर्बाध रूप से एकीकृत किया जाए, जिससे उनकी बाज़ार पहुँच एवं अवसरों में वृद्धि हो।
- भारत की पारंपरिक शिल्प की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन।
- कारीगरों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करने और उन्हें वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत करने में सहायता करना।
उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन
- यूपी कौशल विकास मिशन की स्थापना 13 सितंबर, 2013 को यूपी सरकार के व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास विभाग के तहत सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी के रूप में की गई थी।
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