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सोशल इंटरप्राइजेज फॉर गारबेज फ्री सिटी पर नेशनल कॉन्क्लेव
चर्चा में क्यों?
3 मार्च, 2022 को भारत सरकार के आवास एवं नगरीय मामले मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सोशल इंटरप्राइजेज फॅार गारबेज फ्री सिटी पर नेशनल कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया, जिसमें देश के 20 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने बताया कि छत्तीसगढ़ में स्वच्छता को रोज़गार से जोड़ा गया है। स्वच्छता के छत्तीसगढ़ मॉडल की सफलता का मूलमंत्र कचरा प्रसंस्करण को आजीविका से जोड़ना रहा है। इससे छत्तीसगढ़ के शहरों को स्वच्छ बनाने में सफलता मिली है।
- उन्होंने बताया कि इसके लिये राज्य सरकार ने ‘नरवा गरवा घुरवा बारी’ से स्वच्छता को जोड़ा, सिंगल यूज़ प्लास्टिक बैन पर ज़ोर दिया तथा 6 आर पॉलिसी-रीथिंक, रियूज़, रिसाइकिल, रिपेयर, रिड्यूस, रिफ्यूज के आधार पर काम किया, जिससे नए अपशिष्ट बनने की मात्रा कम होने लगी।
- बस्तियों में सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय बनाए, जिसमें लोगों ने अपना पूरा सहयोग दिया। मानव मल प्रबंधन के लिये स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए, जहाँ सीवर का पानी ट्रीट होता है।
- 10 हज़ार से अधिक स्वच्छता दीदियों ने राज्य के हर एक नागरिक को स्वच्छता के लिये प्रोत्साहित किया। लोगों को जागरूक करने के लिये इन दीदियों ने डोर-टू-डोर जाकर गीला-सूखा कचरा अलग रखने के लिये प्रशिक्षण दिया और लोगों में स्वच्छता को एक आदत का रूप देने में बड़ी तन्मयता से अपनी भूमिका निभाई है।
- आम नागरिकों की स्वच्छता संबंधी शिकायतों को 24 घंटे के अंदर निपटान के लिये टोल फ्री नंबर 1100 दिया गया है। गूगल से सभी सार्वजनिक एवं सामुदायिक शौचालयों को जोड़ा गया, ताकि लोग अपने आसपास के शौचालय को फोन पर ही सर्च कर सकें।
- घर-घर से सूखे और गीले कचरे का कलेक्शन कर राज्य के सभी शहरों में प्रोसेसिंग प्लांट में 100 प्रतिशत कचरे की प्रोसेसिंग द्वारा कचरा मुक्त शहर बनाने की दिशा में अभिनव कार्य किया गया है। साथ ही 150 से अधिक कचरे की खुली डंप साइट को खत्म कर वहाँ उद्यान और हरियाली का विकास किया गया है।
- राज्य में सभी नगरीय निकाय सेप्टिक टैंक के पानी का उपचार करते हैं। इस कारण छत्तीसगढ़ देश का स्वच्छतम राज्य के साथ ही सर्वप्रथम ओडीएफ प्लस प्लस राज्य बना है।
- नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के परंपरागत तरीके से कार्य करने वाले छत्तीसगढ़ का स्वच्छता मॉडल अब देश का सबसे प्रख्यात मॉडल बन गया है। छत्तीसगढ़ लगातार 3 बार देश का सबसे स्वच्छतम राज्य बना है।
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प्रदेश के 7वें डाक संभाग का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
3 मार्च, 2022 को जनजातीय कार्य मंत्रालय की केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह तथा छत्तीसगढ़ शासन के पंचयात एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव द्वारा प्रदेश के 7वें डाक संभाग के रूप में सरगुजा डाक संभाग का उद्घाटन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- सरगुजा डाक संभाग के अंतर्गत सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया एवं बलरामपुर-रामानुजगंज ज़िले शामिल हैं। संभाग के अंतर्गत एक प्रधान डाक घर, 35 उप डाक घर तथा 305 शाखा डाक घर संचालित होंगे।
- गौरतलब है कि इससे पहले रायगढ़ डाक संभाग होने के कारण लोगों को लंबी दूरी की यात्रा कर रायगढ़ जाना पड़ता था, जिससे समय और धन, दोनों ज़्यादा लगता था। सरगुजा डाक संभाग के बनने से संभाग के अधिकारी-कर्मचारी तथा आम जनता को सहूलियत होगी।
- केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने इस अवसर पर कहा कि माँ महामाया एयरपोर्ट से शीघ्र ही हवाई सेवा शुरू होगी।
- महापौर डॉ. अजय तिर्की ने कहा कि अब लोगों को और सुविधा मिलेगी तथा शासन की योजनाओं का बेहतर ढंग से क्रियान्वयन हो सकेगा।
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छत्तीसगढ़ में तीन साल में 10 गुना बढ़ा मक्के का रकबा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी आँकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में बीते तीन-चार सालों में मक्के का रकबा 13 हज़ार हेक्टेयर से बढ़कर एक लाख 46 हज़ार हेक्टेयर हो गया है, जो कि 10 गुना से भी अधिक है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य में बीते तीन-चार सालों में मक्के की खेती को लेकर किसानों का रुझान काफी तेज़ी से बढ़ा है। राज्य में समर्थन मूल्य पर 1870 रुपए प्रति क्विंटल की दर से मक्के की खरीदी और कोंडागांव में प्रसंस्करण केंद्र शुरू होने से किसानों को बेहतर दाम मिलने लगा है, जिसके चलते मक्के के रकबे में तेज़ी से वृद्धि हुई है।
- केंद्र से अनुमति मिलने के बाद कोंडागांव मक्का प्रसंस्करण केंद्र में मक्का से स्टार्च के स्थान पर अब एथेनाल के उत्पादन के लिये प्लांट लगाए जाने की तैयारी जारी है।
- बीते रबी सीजन 2020-21 में राज्य में 93 हज़ार 200 हेक्टेयर में किसानों ने मक्के की खेती की थी, जिसका रकबा चालू रबी सीजन में बढ़कर एक लाख 46 हज़ार 130 हेक्टेयर हो गया है। एक साल के दरम्यिान मक्के के रकबे के लक्ष्य में लगभग 53,000 हेक्टेयर की रिकॉर्ड वृद्धि हुई है।
- गौरतलब है कि राज्य में रबी सीजन 2017-18 में मात्र 13 हज़ार 440 हेक्टेयर तथा वर्ष 2016-17 में (रबी सीजन में) मात्र 12 हज़ार हेक्टेयर में किसानों ने मक्के की खेती की थी।
- राज्य में तीन-चार साल पहले दर्जनभर ज़िले ऐसे थे, जहाँ मक्के की खेती लगभग नहीं के बराबर थी। आज की स्थिति में कोरिया ज़िले को छोड़कर शेष सभी ज़िलों में मक्के की खेती की जा रही है, जिसके चलते मक्के की खेती का रकबा 10 गुना से अधिक बढ़ गया है।
- वर्ष 2017-18 की तुलना में राज्य के बिलासपुर संभाग में इस साल मक्के की खेती का रकबा 327 गुना बढ़ा है। संभाग में पहले मात्र 60 हेक्टेयर में मक्के की खेती होती थी, जिसका रकबा आज बढ़कर 19 हज़ार 662 हेक्टेयर हो गया है।
- राज्य के कोंडागांव ज़िले में सर्वाधिक 45 हज़ार 880 हेक्टेयर में मक्के की खेती की जा रही है। यहाँ पहले 4260 हेक्टेयर में मक्का बोया जाता था। इसी प्रकार तीन-चार सालों में कांकेर ज़िले में मक्के का रकबा 4,000 हेक्टेयर से बढ़कर 28 हज़ार हेक्टेयर के पार पहुँच गया है।
- रायपुर संभाग के ज़िलों में लगभग 1470 हेक्टेयर से बढ़कर मक्के का रकबा 21 हज़ार हेक्टेयर, दुर्ग संभाग में 1470 हेक्टेयर से बढ़कर 8780 हेक्टेयर, सरगुजा संभाग में 290 हेक्टेयर से बढ़कर 10690 हेक्टेयर तथा बस्तर संभाग में मक्के की खेती का रकबा 10,000 हेक्टेयर से बढ़कर 85,800 हेक्टेयर पहुँच गया है।
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