मध्य प्रदेश Switch to English
कान्हा टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के मंडला ज़िले के कान्हा टाइगर रिज़र्व में एक बाघिन मृत पाई गई।
मुख्य बिंदु
- शव की खोज:
- वन अधिकारियों को कान्हा टाइगर रिज़र्व के परसनटोला बीट स्थित मुक्की वन परिक्षेत्र में दो वर्षीय बाघिन का शव मिला।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के दिशा-निर्देशों और मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव संरक्षक के निर्देशों के बाद अधिकारियों ने स्थल को सुरक्षित कर लिया और जाँच शुरू कर दी।
- शवपरीक्षा (पोस्ट-मार्टम):
- विशेषज्ञ वन्यजीव चिकित्सकों की एक टीम ने पोस्ट-मार्टम किया।
- अधिकारियों ने पुष्टि की कि शरीर के सभी अंग सुरक्षित हैं तथा उन्होंने शिकार को मृत्यु का कारण मानने से मना कर दिया।
- उन्हें संदेह है कि बाघिन की मौत किसी अन्य बाघ के साथ क्षेत्र संघर्ष में हुई।
- कान्हा टाइगर रिज़र्व:
- यह मध्य प्रदेश के दो ज़िलों- मंडला और बालाघाट- में 940 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
- वर्तमान कान्हा क्षेत्र को दो अभयारण्यों, हालोन और बंजार में विभाजित किया गया था। वर्ष 1955 में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया और 1973 में इसे कान्हा टाइगर रिज़र्व बना दिया गया।
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority- NTCA) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद की गई थी।
- इसका गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (जैसा कि 2006 में संशोधित किया गया) के प्रावधानों के तहत किया गया था, ताकि इसे निर्दिष्ट की गई शक्तियों और कार्यों के अनुसार बाघ संरक्षण को सशक्त किया जा सके।