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बढ़ती शीतकालीन वनाग्नि
चर्चा में क्यों ?
उत्तराखंड में शीत ऋतु में वनाग्नि में वृद्धि देखी जा रही है, यह घटना आमतौर पर 1 नवंबर से शुरू होती है।
मुख्य बिंदु:
- भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI), जो केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की सर्वोच्च संस्था है, ने 1 नवंबर, 2023 से 1 जनवरी, 2024 तक उत्तराखंड को 1006 अग्नि चेतावनी भेजी हैं। यह संख्या वर्ष 2022 में इसी अवधि के दौरान प्राप्त 556 अग्नि चेतावनियों की तुलना में काफी अधिक है।
- उत्तरकाशी, नैनीताल, बागेश्वर, टिहरी, देहरादून, पिथौरागढ, पौडी और अल्मोडा ज़िलों में वनाग्नि की सूचना मिली है।
- वर्ष 2024 के पहले दिन नैनीताल में भीषण वनाग्नि की घटना देखी गई। ग्रामीणों ने इसका कारण पिछले तीन महीनों में वर्षा या बर्फबारी की अनुपस्थिति को बताया है, जिससे क्षेत्र शुष्क हो गया।
- इस अग्नि से मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ सकता है, क्योंकि पशु अग्नि से बचने के लिये शहरी परिदृश्य की ओर विचरण करते हैं।
- वन कर्मचारियों द्वारा नियंत्रित रूप से अपशिष्ट जलाना, किसानों द्वारा कृषि अवशेष जलाना, बंजर भूमि में ग्रामीणों द्वारा अपशिष्ट जलाना जैसे विभिन्न कारक वनाग्नि की घटनाओं का कारण बनते हैं।
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