जयपुर में बनेगा प्रदेश का पहला स्वचालित रोप-वे | राजस्थान | 03 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
2 दिसंबर, 2022 को जयपुर कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने जयपुर शहर में स्थित खोले के हनुमान जी मंदिर परिसर में बनने वाले प्रदेश के पहले स्वचालित और जयपुर के सबसे बड़े पेसेंजर रोप-वे निमार्ण का निरीक्षण किया।
प्रमुख बिंदु
- जयपुर कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने बताया कि इस रोप-वे का नाम अन्नपूर्णा माता रोप-वे होगा जो कि प्रदेश का पाँचवाँ और जयपुर ज़िले के सामोद हनुमानजी रोप-वे के बाद दूसरा रोप-वे होगा।
- अन्नपूर्णा माता मंदिर से खोले के हनुमान मंदिर की पहाड़ी पर स्थित वैष्णोमाता मंदिर तक 436 मीटर लंबा रोप-वे बनाया जा रहा है।
- रोप-वे निर्माण के लिये फर्म और जयपुर ज़िला प्रशासन के बीच करार हुआ है जिसके बाद फर्म को रोप-वे अधिनियम के तहत लाइसेंस जारी किया जाएगा। कलेक्टर ने निर्माता फर्म को 2 साल में रोप-वे निर्माण के निर्देश दिये हैं।
- निरीक्षण के दौरान रोप-वे निर्माण की फर्म के पदाधिकारियों ने कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित को बताया कि पाँच टावरों पर संचालित किये जाने वाले रोप-वे की ऊँचाई 85 मीटर होगी। 24 ट्रॉली वाले इस रोप-वे की क्षमता 800 यात्री प्रति घंटा होगी।
- कलक्टर ने बताया कि निर्माण के दौरान और संचालन के शुरू होने के बाद भी ज़िला प्रशासन द्वारा रोप-वे के सुरक्षा मापदंडों की नियमित रूप से जाँच की जाएगी। रोप-वे के निर्माण में जयपुर की विरासत, शिल्पकला और वैभव की छटा देखने को मिलेगी।
- कलक्टर ने कहा कि रोप-वे निर्माण करने वाली फर्म को 0 से 5 आयुवर्ग वाले बच्चों और 70 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों के साथ-साथ दिव्यांगों को रोप-वे के ज़रिये नि:शुल्क सफर करवाने के लिये निर्देशित किया गया है।
- रोप-वे के एक तरफ का सफर करीब साढ़े 4 मिनट में पूरा होगा इस दौरान यात्रियों को जयपुर का विहंगम दृश्य दिखाने के लिये ट्रॉली को बीच सफर में दो बार रोका जाएगा।
झारखंड के फॉरेस्ट सॉयल हेल्थ कार्ड का विमोचन | झारखंड | 03 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
2 दिसंबर, 2022 को झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव ने राँची के ललगुटवा स्थित वन उत्पादकता संस्थान में फॉरेस्ट सॉयल हेल्थ कार्ड ऑफ झारखंड का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव ने कहा कि झारखंड देश का पहला राज्य है, जहाँ फॉरेस्ट सॉयल हेल्थ कार्ड (वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड) का विमोचन किया गया है।
- राँची के वन उत्पादकता संस्थान के निदेशक डॉ. नितिन कुलकर्णी ने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्वीकृति के बाद देहरादून की भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड का कार्य शुरू किया गया था।
- राँची के वन उत्पादकता संस्थान को झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के लिये वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार करने का कार्य सौंपा गया था। कोरोना के बावजूद तय समय सीमा में ये कार्य पूरा किया गया।
- देहरादून के वन अनुसंधान केंद्र के राष्ट्रीय परियोजना समन्वयक डॉ. विजेंदर पाल पवार ने कहा कि कई जगहों से मिट्टियों का सैंपल लेकर जाँच की गई है। इसके बाद उनका विश्लेषण किया गया है।
- वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड के निर्माण का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता संबंधी परेशानियों का निदान करना है। इसका लाभ वनों के किनारे रहने वाले ग्रामीणों को मिलेगा।
- इस अवसर पर वन उत्पादकता संस्थान के प्रधान अन्वेषक डॉ. शंभुनाथ मिश्रा ने कहा कि जीआईएस और रिमोट सेंसिंग की मदद से झारखंड के 31 प्रादेशिक वन प्रमंडलों के 1311 स्थानों से मिट्टी के नमूनों को एकत्र किया गया। इसके बाद संस्थान की प्रयोगशाला में 16670 मृदाओं का विश्लेषण किया गया।
मुख्यमंत्री ने किया बिलासपुर एवं अंबिकापुर में रीजनल सी-मार्ट का वर्चुअली उद्घाटन | छत्तीसगढ़ | 03 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
2 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा स्थित अपने कार्यालय से बिलासपुर एवं अंबिकापुर में रीजनल सी-मार्ट का वर्चुअली उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही शहीद महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत 863 संग्राहक परिवारों को 13 करोड़ 46 लाख 35 हज़ार रुपए की सहायता अनुदान राशि एवं छात्रवृत्ति योजनांतर्गत 7566 छात्र-छात्राओं को 8 करोड़ 4 लाख 65 हज़ार रुपए की छात्रवृत्ति राशि का अंतरण किया।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 28 ज़िलों में सी-मार्ट बन गए हैं। अब उत्पादों की बिक्री की समस्या नहीं है। सी-मार्ट से उपभोत्ताओं और स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को आसानी हो गई है। समूह की महिलाओं की आय भी बढ़ रही है।
- उन्होंने कहा कि उन वस्तुओं का उत्पादन ज्यादा करें, जिनकी मार्केट में ज्यादा मांग है। नया उत्पाद बनाने से पूर्व उसका बाज़ार में मांग कैसी होगी, इसका आकलन बेहतर तरीके से कर लें।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि आज स्व-सहायता समूह के द्वारा बनाए गए उत्पादों को सी-मार्ट के माध्यम से एक बाज़ार मिला है। इससे उनकी आमदनी में वृद्धि होने के साथ ही रोज़गार भी बढ़ा है।
- उन्होंने कहा कि एक सी-मार्ट दूसरे ज़िले के या संभाग के सी-मार्ट से ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हुए हैं, जिससे किस सी-मार्ट में कौन-कौन से उत्पाद हैं, इसकी जानकारी मिल जाती है।
- मुख्यमंत्री बघेल ने शहीद महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के हितग्राहियों से सहानुभूतिपूर्वक बात की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस योजना से कम समय में ही पीड़ित परिवार को सहायता राशि मिल रही है। इससे उनके परिवार को एक आर्थिक संबल मिला है।
- मुख्यमंत्री ने मेधावी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरण कार्यक्रम के दौरान कहा कि मेधावी छात्र-छात्राओं को मिलने वाली इस राशि से उनकी आगे की पढ़ाई में काफी सहायता मिलती है और भी अन्य छात्र-छात्राओं को पूरी मेहनत से पढ़ाई करने के लिये प्रोत्साहन मिलता है।
स्वास्थ्य और पोषण की डेल्टा रैंकिंग में आकांक्षी ज़िला सुकमा देश में प्रथम | छत्तीसगढ़ | 03 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
2 दिसंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार नीति आयोग द्वारा अक्टूबर माह की जारी आकांक्षी ज़िलों की डेल्टा रैंकिंग में सुकमा ज़िले ने देश में प्रथम स्थान हासिल किया है।
प्रमुख बिंदु
- आकांक्षी ज़िला सुकमा को अक्टूबर माह के लिये स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में देश में प्रथम रैंक मिला है।
- गौरतलब है कि प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे लगातार प्रयासों से ज़िले में स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी मापदंडों में स्थिति बेहतर हुई है। ज़िले में गर्भवती महिलाओं की एएनसी रजिस्ट्रेशन में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, वहीं संस्थागत प्रसव में ज़िले में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, वर्तमान स्थिति में 90 प्रतिशत संस्थागत प्रसव किये जा रहे हैं।
- उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत ज़िले के आंगनबाड़ियों में गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं को पूरक पोषण आहार प्रदान करने की दर 14 प्रतिशत है। इसी तरह ज़िले में टीबी के मरीजों की पहचान में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, वहीं टीबी मरीजों के सफल इलाज में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- ज़िला प्रशासन द्वारा ज़िले में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि, मूलभूत सुविधाओं के विकास, कौशल विकास, जल संसाधन के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप नीति आयोग द्वारा जारी आँकड़ों के आधार पर अक्टूबर माह के ओवरऑल रैंक में सुकमा ज़िला को तीसरा स्थान मिला है, जो कि ज़िले में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी किये जा रहे बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है।
छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोज़गारी | छत्तीसगढ़ | 03 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
2 दिसंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा बेरोज़गारी दर के संबंध में जारी रिपोर्ट के अनुसार नवंबर माह में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में 0.1 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है।
प्रमुख बिंदु
- सीएमआईई द्वारा 1 दिसंबर को जारी ताजा आँकड़ों के अनुसार नवंबर माह में छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर 1 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि नवंबर माह में देश में बेरोज़गारी दर का यह आँकड़ा 8.2 फीसदी रहा है।
- छत्तीसगढ़ 1 प्रतिशत बेरोज़गारी की दर के साथ लगातार देश का न्यूनतम बेरोज़गारी दर वाला राज्य बना हुआ है।
- गौरतलब है कि सीएमआईई के मई-अगस्त 2018 में जारी किये गए आँकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर 22 प्रतिशत थी। राज्य शासन की योजनाओं से इसमें उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। बेरेाज़गारी की दर छत्तीसगढ़ में माह दिसंबर 2022 में घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई है।
- सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी ताजा आँकड़ों से यह साबित हुआ है कि छत्तीसगढ़ राज्य के 90 फीसद लोग किसी न किसी रोज़गार से जुड़कर आजीविका हासिल कर रहे हैं।
- नवंबर माह में देश के शहरी क्षेत्रों में 0 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी का आँकड़ा 7.8 फीसद रहा है।
- न्यूनतम बेरोज़गारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य को मिली इस उपलब्धि के पीछे वजह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में रोज़गार के नए अवसरों के सृजन के लिये बनाई गई योजना और नीतियाँ रही हैं। छत्तीसगढ़ में बीते पौने चार साल के भीतर अनेक ऐसे नवाचार हुए हैं, जिनसे शहर से लेकर गाँव तक हर हाथ को काम मिला है।
- सीएमआईई द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2022 में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में 1 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है। वहीं इसी अवधि में 1.2 फीसदी के साथ उत्तराखंड दूसरे स्थान पर है। ओड़िसा 1.6 फीसदी बेरोज़गारी दर के साथ तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में यह आँकड़ा 6.2 प्रतिशत है और गुजरात में 2.5 प्रतिशत रहा है।
- दूसरी ओर नवंबर 2022 में सर्वाधिक बेरोज़गारी दर के मामले में हरियाणा शीर्ष पर है, जहाँ 6 फीसदी बेरोज़गारी दर दर्ज की गई है। जम्मू एवं कश्मीर में बेरोज़गारी दर 23.9 फीसदी दर्ज की गई।
- छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ काम करना शुरू किया। महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के साथ गाँवों की आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में नवाचार किये गए। इसमें ‘सुराजी गाँव योजना’के अंतर्गत ‘नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी’कार्यक्रम ने महती भूमिका निभाई तो दूसरी ओर ‘गोधन न्याय योजना’के साथ गौठानों को रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के तौर पर विकसित किया गया, जिससे गोबर बेचने से लेकर गोबर के उत्पाद बनाकर ग्रामीणों को रोज़गार मिला। रोज़गार के नए अवसर सृजित हुए।
- 7 से बढ़ाकर 65 प्रकार के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इन लघु वनोपजों का प्रसंस्करण व मूल्य-संवर्धन किया गया। इससे वनांचल में भी लोगों को रोज़गार मिला। इसी तरह स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिये सी-मार्ट प्रारंभ किये गए हैं।
- ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’से किसानों की आर्थिक समृद्धि की दिशा में प्रयास हुए तो वहीं इस योजना से उत्साहित किसानों की दिलचस्पी कृषि की ओर बढ़ी। राज्य में खेती का रकबा और उत्पादन बढ़ा।
- ‘राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मज़दूर योजना’के तहत ‘पौनी-पसारी’व्यवस्था से जुड़े लोगों को आर्थिक सहायता मिली। राज्य में नई उद्योग नीति लागू की गई, जिसमें अनेक वर्गों और विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी के प्रावधान किये गए। इससे उद्यमिता विकास को गति मिली।
राज्य वन्यजीव बोर्ड का पुनर्गठन | उत्तराखंड | 03 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
2 दिसंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड का पुनर्गठन कर दिया गया है। इनमें तीन गैर सरकारी संगठनों और सात गैर सरकारी सदस्यों को दो साल के लिये नामित किया गया है। इस संबंध में शासन की ओर से निर्देश जारी कर दिये गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- वन सचिव विजय यादव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत राज्य वन्यजीव बोर्ड का पुनर्गठन किया गया है। अधिनियम में दी गई व्यवस्था के तहत दो वर्ष के लिये सदस्यों को नामित किये जाने की राज्यपाल की ओर से स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।
- गौरतलब है कि राज्य वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं, जबकि उपाध्यक्ष वन मंत्री होते हैं। इसके अलावा राज्य के पुलिस महानिदेशक सहित कुल 15 पदेन सदस्य और 16 सदस्य राज्य सरकार की ओर से नामित किये जाते हैं। इसके अलावा तीन विधानमंडल दल के सदस्य, तीन गैर सरकारी संगठनों के सदस्य और सात सदस्य पारिस्थितिकी विज्ञानी, पर्यावरणविद एवं संरक्षण विज्ञानी नामित किये जाते हैं।
- राज्य वन्यजीव बोर्ड में नामित किये गए गैर सरकारी संस्थाएँ हैं-
- डब्ल्यूडब्लयूएफ इंडिया, विश्व प्रकृति निधि, भारत
- हिमालयन एनवायरनमेंट स्टडीज एंड कंजरवेशन आर्गेनाइजेशन (हेस्को), देहरादून
- हिमालय एक्सन रिसर्च सेंटर, देहरादून
- राज्य वन्यजीव बोर्ड में नामित किये गए गैर सरकारी सदस्य हैं-
- अनूप शाह, नैनीताल (जाने-माने फोटोग्राफर)
- अनिल कुमार दत्त (सेवानिवृत्त आईएफएस)
- बीएस बोनाल (सेवानिवृत्त अपर महानिदेशक, वन्यजीव)
- फैज आफताब, देहरादून
- मंयक तिवारी, नैनीताल
- संजय सोंधी, तितली ट्रस्ट, देहरादून
- ओम प्रकाश भट्ट, सर्वोदय केंद्र चमोली
- विदित है कि वन विभाग की ओर से अत्तूबर में नए सदस्यों का शामिल करने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा गया था।
उत्तराखंड में खुलेगा पहला सरकारी ड्रोन संस्थान व रिपेयरिंग सेंटर | उत्तराखंड | 03 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
2 दिसंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में ड्रोन की मदद से विभागों के काम आसान करने और युवाओं के लिये रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिये राज्य सरकार ड्रोन संस्थान खोलेगी। इससे ड्रोन के निर्माण, संचालन और मरम्मत की राह आसान हो जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- जानकारी के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) ने उत्तराखंड में ड्रोन के निर्माण से लेकर रिपेयरिंग, निवेशकों को आकर्षित करने के लिये ड्रोन पॉलिसी बनाकर शासन को भेजी है। पॉलिसी में तेलंगाना की ड्रोन पॉलिसी की तर्ज पर कई अहम बदलाव किये गए हैं। ड्रोन पॉलिसी पर सरकार जल्द कैबिनेट में निर्णय ले सकती है।
- इसके तहत ड्रोन कॉरिडोर के अलावा सरकारी ड्रोन संस्थान, रिपेयरिंग सेंटर खोलने का भी प्रावधान किया जा रहा है।
- जानकारी के अनुसार ऐसा ड्रोन इंस्टीट्यूट बनाया जाएगा जो युवाओं को ट्रेनिंग संग सरकारी विभागों में ड्रोन की जरूरतों को चिह्नित करेगा। इसकी मदद से विभाग ड्रोन से अपने काम आसान कर सकेंगे। वहीं, प्रदेश में ड्रोन रिपेयरिंग सेंटर भी खोले जा सकेंगे।
- ड्रोन पॉलिसी में यह प्रावधान किया गया है कि ड्रोन निर्माता और सेवा प्रदाता अपने उत्पाद का निशुल्क ट्रायल कर सकेंगे। इसके लिये फ्री फ्लाई ज़ोन तैयार किया जाएगा। ड्रोन के टेकऑफ और लैंडिंग के लिये एयरस्ट्रिप, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन, मेकेनिकल और इलेक्ट्रिकल लैब, हैंगर, ट्रेनिंग, हेलीपैड, सपोर्ट स्पेशलिस्ट, रिचार्जिंग स्टेशन आदि की सुविधा दी जाएगी।
- पॉलिसी में यह भी प्रावधान किया गया है कि सरकार एक फेसिलिटेशन सेल खोलेगी जिसमें ड्रोन के लाइसेंस और पंजीकरण की सुविधा मिलेगी। सरकार का मकसद है कि डीजीसीए के नियमों का अनुपालन सख्ती से हो और ड्रोन को बढ़ावा भी मिले। यह सेल ड्रोन निर्माण के परमिट में भी मदद करेगी।
- ड्रोन की सुरक्षित उड़ान को लेकर रिटायर्ड आर्मी अफसरों, जवानों और पुलिसकर्मियों की मदद से स्पेशल एडवाइजरी बोर्ड का गठन किया जाएगा। यह बोर्ड सेना के अपने अनुभवों के आधार पर ड्रोन की सुरक्षित उड़ान को लेकर जरूरी सलाह देगा।
- प्रदेश के सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक संस्थानों में भी आईटीडीए की मदद से युवाओं को ड्रोन संचालन और रखरखाव की ट्रेनिंग दी जाएगी। एरियल फोटोग्राफी, सर्विलांस, रिमोट सेंसिंग को लेकर विशेष प्रोग्राम संचालित किये जाएंगे। ड्रोन इंजीनियरिंग में काम कर रहे विश्वविद्यालय से भी समझौता किया जाएगा। ड्रोन के रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा।
- निर्माताओं को लाभ-
- एक निश्चित अवधि तक निर्माताओं को एसजीएसटी में 100 प्रतिशत छूट दी जा सकती है।
- वह अधिकतम पाँच करोड़ रुपए तक निवेश कर सकते हैं।
- उन्हें प्रोजेक्ट में 25 फीसदी की सब्सिडी दी जाएगी, जो अधिकतम तीन करोड़ तक होगी।
- 10 साल तक लीज़ या किराये पर 30 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी।
- ज़मीन खरीदने पर स्टांप शुल्क में 100 प्रतिशत छूट जैसे प्रावधान।
- सेवा प्रदाताओं को लाभ-
- 50 लाख तक के निवेश पर 25 प्रतिशत सब्सिडी,
- पाँच लाख तक के लीज़ या किराये पर 30 प्रतिशत सब्सिडी,
- कई प्रदर्शनियों में ड्रोन का स्टॉल लगाने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
- इंटरनेट शुल्क में 100 प्रतिशत तक छूट,
- राज्य सरकार की ओर से चिह्नित क्षेत्र में रिसर्च पर 10 लाख रुपए तक की ग्रांट मिलेगी।
‘पोल्ट्री वैली योजना’ की हुई शुरुआत | उत्तराखंड | 03 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
1 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने संयुक्त रूप से किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिये ‘पोल्ट्री वैली योजना’की शुरुआत की।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि सहकारिता और पशुपालन विभाग ने मिलकर किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिये ‘पोल्ट्री वैली योजना’ पहल की है। योजना से तीन साल में पाँच हज़ार युवकों और महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
- यूकेसीडीपी निदेशालय में आयोजित कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार पोल्ट्री किसानों की आय को दोगुना करेगी। अभी उत्तराखंड में मुर्गियाँ नजीबाबाद और बिजनौर से आ रही हैं। सरकार की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर पोल्ट्री किसानों को सहायता दी जाए ताकि उनकी आमदनी दोगुनी हो और पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रुक सके। अभी चकराता में पोल्ट्री का कार्य शुरू हुआ। इसके बाद अब यह काम पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
- पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि इस योजना के लागू होने पर युवाओं के लिये रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
- सहकारिता और पशुपालन विभाग के सचिव डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि इस योजना के तहत परियोजना अवधि वित्तीय वर्ष 2022 से 2025 के लिये 5000 लाभार्थियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। 182 करोड़ की इस योजना में लाभार्थियों को मुफ्त चूजे और ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा।