नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 03 Oct 2023
  • 0 min read
  • Switch Date:  
उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड के धारे-नौले और जलस्रोतों को सँवारेगी सारा

चर्चा में क्यों?

2 अक्तूबर, 2023 को उत्तराखंड शासन के अपर मुख्य सचिव, आनंद वर्द्धन ने बताया कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा में रचे-बसे नौले-धारों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने के लिये एकीकृत एजेंसी बनाने की तैयारी है। इसके लिये शासन स्तर पर स्प्रिंगशेड एंड रिवर रिजुवेनेशन एजेंसी (सारा) के गठन की कवायद की जा रही है। 

प्रमुख बिंदु  

  • अपर मुख्य सचिव, आनंद वर्द्धन ने बताया कि प्रदेश में नौले-धारों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने को लेकर कवायद शुरू की गई है। इसके लिये स्प्रिंगशंड एंड रिवर रिजुविनेशन एजेंसी (सारा) के गठन का प्रस्ताव तैयार किया गया है। शीघ्र ही मुख्य सचिव के स्तर पर इसका प्रस्तुतीकरण किया जाएगा। इसके बाद प्रस्ताव मंजूरी के लिये कैबिनेट में भेजा जाएगा। 
  • जलागम प्रबंधन को इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। एकीकृत एजेंसी बनने से नौले-धारों के उद्धार पर काम करने वाले विभिन्न विभाग एक अंब्रेला के नीचे एक साथ काम कर पाएंगे।  
  • सारा के गठन के बाद इसमें राज्य स्तर पर एक हाईपावर समिति, ज़िलों में जनपद स्तरीय एग्जीक्यूटिव समिति और गांव स्तर पर धारा-नौला संरक्षण समिति का गठन किया जाएगा। 
  • ये समितियाँ राज्यभर के सभी नौले-धारों के साथ वर्षा आधारित नदियों की मैपिंग करेंगी। फिर संवेदनशील जल स्रोतों का चिन्हीकरण, चेकडैम का निर्माण, वर्षा जल संरक्षण के लिये पौधों का रोपण, चाल-खाल का निर्माण जैसे कार्य होंगे। इसके लिये जनसमुदाय को भी इनके उपचार में सहभागी बनाया जाएगा। 
  • उत्तराखंड उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों को सिंचित करने वाली अपनी अनेक सदानीरा नदियों के लिये जाना जाता है। प्रदेश में ग्लेशियर से निकलने वाली और बरसाती को मिलाकर कुल 213 नदियों का विस्तृत जाल है।  
  • नौले-धारे और कई जलस्रोतों का पानी इन नदियों में मिलकर प्रवाह बढ़ाता है, लेकिन एक अनुमान के अनुसार, प्रदेश में करीब 12 हज़ार जल स्रोत सूख चुके हैं, जो भविष्य के लिये बड़ी चिंता का विषय है।
  • अभी तक प्रदेश में वन, नियोजन, वित्त, कृषि, ग्राम्य विकास, पेयजल, सिंचाई, लघु सिंचाई, राजस्व, पंचायती राज और शहरी विकास विभाग के साथ गैर-सरकारी संस्थाएँ नौले-धारों को बचाने की दिशा में अपने-अपने ढंग से काम कर रहे हैं, लेकिन इनके अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं।  
  • ज्ञातव्य है कि बीते दिनों मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु के स्तर पर इस मुद्दे पर चिंता जताई गई थी। फिर नौले-धारों व अन्य जलस्रोतों को संरक्षित, पुनर्जीवित करने को एकीकृत एजेंसी का विचार सामने आया। अब इसकी कवायद शुरू कर दी गई है। एजेंसी के बनने से जल संरक्षण की दिशा में बेहतर ढंग से काम हो सकेगा।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow