खाद्य विकिरण | उत्तर प्रदेश | 03 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार वर्ष 2024 में 100,000 टन प्याज़ के बफर स्टॉक की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिये विकिरण प्रसंस्करण (खाद्य विकिरण) का उपयोग करने की योजना बना रही है, जिसका उद्देश्य प्याज़ की कमी और इसके मूल्य में वृद्धि को रोकना है।
- भारत, जो एक प्रमुख प्याज निर्यातक देश है, वर्ष 2023-24 मौसमीय अवधि (Season) में प्याज़ उत्पादन में 16% की गिरावट का सामना कर रहा है, जिससे उत्पादन अनुमानित 25.47 मिलियन टन तक कम होने की आशंका है।
मुख्य बिंदु:
- खाद्य विकिरण, भोजन और खाद्य उत्पादों को आयनकारी विकिरण जैसे गामा किरणों, इलेक्ट्रॉन किरणों या एक्स-रे के संपर्क में लाने की प्रक्रिया है।
- भारत में विकिरणित खाद्य पदार्थों को परमाणु ऊर्जा (खाद्य विकिरण नियंत्रण) नियम, 1996 के अनुसार, विनियमित किया जाता है।
- महत्त्व
- इसका उपयोग खाद्य प्रसंस्करण में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद के लिये किया जाता है।
- मौसमी अतिभंडारण (Seasonal overstocking) और परिवहन में लगने वाला लंबा समय खाद्यान्न की बर्बादी का कारण बनता है।
- भारत की गर्म आर्द्र जलवायु, फसल को नुकसान पहुँचाने वाले कीटों और सूक्ष्म जीवों के लिये प्रजनन स्थल है।
- समुद्री भोजन (Seafood), मांस और मुर्गी में हानिकारक बैक्टीरिया तथा परजीवी हो सकते हैं, जो लोगों को बीमार कर सकते हैं।
भारत में प्याज़ उत्पादन:
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा (चीन के बाद) प्याज़ उत्पादक देश है, जो वर्ष भर उपलब्ध तीखे प्याज़ के लिये प्रसिद्ध है।
- प्रमुख उत्पादक: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्याज़ उत्पादक है।
- महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु प्रमुख प्याज़ उत्पादक राज्य हैं।
- वर्ष 2021-22 (तीसरा अग्रिम अनुमान) में प्याज़ उत्पादन में महाराष्ट्र 42.53% हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है, उसके बाद मध्य प्रदेश 15.16% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है।
- निर्यात गंतव्य: भारतीय प्याज़ के प्रमुख निर्यात गंतव्यों में बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका और नेपाल शामिल हैं।
भारत छह वर्ष बाद गेहूँ का आयात करेगा | उत्तर प्रदेश | 03 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक देश भारत, लगातार तीन वर्षों से निराशाजनक फसल उत्पादन के कारण घटते भंडार की पूर्ति तथा बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने हेतु छह वर्ष के अंतराल के बाद गेहूँ का आयात शुरू करने की योजना बना रहा है।
मुख्य बिंदु:
- पिछले 3 वर्षों में प्रतिकूल मौसम स्थिति के कारण भारत के गेहूँ उत्पादन में गिरावट आई है
- सरकार का अनुमान है कि इस वर्ष गेहूँ की फसल पिछले वर्ष (2023) के रिकॉर्ड उत्पादन 112 मिलियन मीट्रिक टन से 6.25% कम होगी
- वर्ष 2024 में गेहूँ खरीद के लिये सरकार का लक्ष्य 30-32 मिलियन मीट्रिक टन था, लेकिन वह अब तक केवल 26.2 मिलियन टन ही खरीद पाई है
- घरेलू स्तर में गेहूँ की कीमतें सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,275 रुपए प्रति 100 किलोग्राम से ऊपर रही हैं जिसमें हाल ही में वृद्धि हो रही हैं।
- इसलिये सरकार ने गेहूँ पर 40% आयात शुल्क हटाने का निर्णय लिया है, ताकि निजी व्यापारियों और आटा मिलों को रूस से गेहूँ आयात करने की अनुमति मिल सके।
गेहूँ:
- यह भारत में चावल के बाद दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है तथा देश के उत्तरी एवं उत्तर-पश्चिमी भागों की प्रमुख खाद्यान्न फसल है।
- गेहूँ, रबी की फसल है जिसे परिपक्वता के समय ठंडे मौसम और तेज़ धूप की आवश्यकता होती है।
- हरित क्रांति की सफलता ने रबी फसलों, विशेषकर गेहूँ की वृद्धि में योगदान दिया।
- विश्व में शीर्ष 3 गेहूँ उत्पादक (2021): चीन, भारत और रूस
- भारत में शीर्ष 3 गेहूँ उत्पादक (2021-22 में): उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब
- भारत में गेहूँ उत्पादन और निर्यात की स्थिति:
- भारत, चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक देश है। लेकिन वैश्विक गेहूँ व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 1% से भी कम है। यह इसका एक बड़ा हिस्सा गरीबों को सब्सिडी युक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिये रखता है।
- इसके शीर्ष निर्यात बाज़ार बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका हैं।
- सरकार द्वारा की गई पहलें:
- मैक्रो मैनेजमेंट मोड ऑफ एग्रीकल्चर, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना गेहूँ की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु प्रमुख सरकारी पहलें हैं।