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सौंफ उत्पादन
चर्चा में क्यों?
तीन वर्ष के लंबे शोध के बाद यह बात सामने आई है कि राजस्थान के चार रेगिस्तानी ज़िले, जहाँ किसान सिंचाई के लिये लवणीय जल पर निर्भर हैं, सौंफ उत्पादन का केंद्र बन सकते हैं।
- यह शोध बीकानेर, नागौर, चूरू और बाड़मेर ज़िलों में किया गया।
मुख्य बिंदु:
- टैक्सोनॉमिक रूप से फोनीकुलम वल्गेर के रूप में वर्गीकृत, सौंफ एक कठोर, बारहमासी औषधीय पौधा है जिसमें पीले फूल और फर के समान पत्तियाँ होती हैं।
- भारत में सौंफ का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य राजस्थान और गुजरात हैं, जहाँ कुल उत्पादन का लगभग 96% उत्पादन किया जाता हैं।
- राजस्थान में, सौंफ की सबसे अधिक खेती नागौर ज़िले में की जाती है, जो 10,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इसकी खेती सिरोही, जोधपुर, जालौर, भरतपुर और सवाई माधोपुर ज़िलों में भी की जाती है।
- शोध में विभिन्न प्रकार की सौंफ की किस्मों की उपज का अध्ययन किया गया, जिसमे लवणीय जल की सहनशीलता का परीक्षण शामिल है तथा इसके उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त हुए हैं।
- सौंफ की किस्म, RF-290, लवणीय जल की सिंचाई के लिये उपयुक्त पाई गई।
- लवणीय जल के साथ ड्रिप सिंचाई से सौंफ उत्पादन में विस्तार किया जा सकता है तथा उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है और मसालों की कृषि करने वाले किसानों के लिये लाभकारी हो सकती है।
- किये गए शोध के अनुसार, प्रायोगिक सिंचाई से प्रति हेक्टेयर लगभग नौ क्विंटल सौंफ का उत्पादन किया जा सकता है तथा जिन क्षेत्रों में ट्यूबवेल के माध्यम से खेती की जाती है, वहाँ भी सौंफ का अधिक उत्पादन किया जा सकता है।
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