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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 03 Mar 2022
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झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22

चर्चा में क्यों?

2 मार्च, 2022 को राज्य सरकार द्वारा झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 विधानसभा में पेश किया गया, जिसमें वित्त वर्ष 2021-22 में वर्ष 2020-21 के जीएसडीपी की तुलना में 8.8 प्रतिशत जीएसडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि राज्य की अर्थव्यवस्था की औसत वार्षिक वृद्धि दर 2011-12 और 2018-19 की अवधि के बीच 6.2 प्रतिशत थी।
  • वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2011-12 के दौरान झारखंड की अर्थव्यवस्था में 6.6 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 1999-2000 तथा 2004-05 के दौरान 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • वर्ष 2018-19 में झारखंड का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2011-12 की कीमतों पर 2,29,274 लाख करोड़ रुपए था। वर्ष 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय (प्रति व्यक्ति एनएसडीपी) मौजूदा कीमतों पर 79,873 रुपए और स्थिर कीमतों पर 57,863 रुपए होने का अनुमान है।
  • पिछले दो वर्षों (2019-20 और 2020-21) के दौरान विकास दर में गिरावट आई है। ये दो वर्ष सामान्य वर्ष नहीं थे, क्योंकि वर्ष 2019-20 में देश की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में थी, जिसने राज्य की अर्थव्यवस्था को भी अछूता नहीं छोड़ा। भारतीय अर्थव्यवस्था और राज्य की अर्थव्यवस्था, दोनों ने मात्र 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
  • वर्ष 2020-21 कोविड-19 महामारी से प्रभावित था। महामारी और आगामी लॉकडाउन ने सभी आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया तथा उपभोक्ता और उत्पादक, दोनों की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित किया। परिणामस्वरूप, वित्तीय वर्ष में राज्य के जीएसडीपी में 4.7 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है।
  • राज्य की अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्रों (प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक) में तृतीयक क्षेत्र 2011-12 और 2019-20 के बीच सबसे तेज़ दर से बढ़ा है। प्राथमिक क्षेत्र में 9.1 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर (सीएजीआर) और द्वितीयक क्षेत्र में 6.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई, इस अवधि में तृतीयक क्षेत्र 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा।
  • तृतीयक क्षेत्र न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था में प्रमुख क्षेत्र है, बल्कि जीएसवीए में इसका हिस्सा भी पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है। 2011-12 में, (एसएनए) के मौजूदा दौर की शुरुआत में, जीएसवीए में इसका योगदान 38.5 प्रतिशत था, जो 2019-20 तक लगभग 46 प्रतिशत तक बढ़ गया।
  • इस अवधि (2011-12 से 2019-20) के दौरान प्राथमिक क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 28 प्रतिशत से घटकर लगभग 20 प्रतिशत रह गई है।
  • द्वितीयक क्षेत्र का हिस्सा पिछले कुछ वर्षों में लगभग स्थिर रहा है। जीएसवीए में इसका योगदान 2011-12 और 2019-20 में 38.8 प्रतिशत था।
  • एक वर्ष से अधिक समय तक 6 प्रतिशत से ऊपर रहने के बाद, झारखंड में मुद्रास्फीति की दर दिसंबर, 2020 से घटने लगी। नवंबर, 2020 में 6.36 प्रतिशत से यह दिसंबर, 2020 में घटकर 5.94 प्रतिशत हो गई। तब से, यह 6 प्रतिशत (आरबीआई द्वारा अपने नए मौद्रिक नीति ढाँचे में निर्धारित चिह्न) से नीचे बनी हुई है।
  • नीति आयोग की हाल ही में जारी ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक आधार रेखा रिपोर्ट’ के अनुसार, राज्य में 46.16 प्रतिशत लोग गरीब हैं (हेड काउंट गरीबी)। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुआयामी गरीबों का प्रतिशत 50.93 प्रतिशत है और शहरी क्षेत्रों में यह 15.26 प्रतिशत है।

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