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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 03 Jan 2023
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उत्तर प्रदेश में अब ऐप से लगेगी मनरेगा श्रमिकों की शत-प्रतिशत हाजिरी

चर्चा में क्यों?

2 जनवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि राज्य में अब मनरेगा के कामों में पारदर्शिता के लिये नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम ऐप से शत-प्रतिशत हाजिरी लगाने की व्यवस्था की जा रही है।

प्रमुख बिंदु 

  • उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा दिये गए निर्देशों के क्रम में मनरेगा के कामों में पारदर्शिता लाने के लिये नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम ऐप (एनएमएमएस) के माध्यम से शत-प्रतिशत हाजिरी लगाने की व्यवस्था ग्राम्य विकास विभाग कर रहा है।
  • इसी साल से मनरेगा श्रमिकों की शत-प्रतिशत हाजिरी इस ऐप के माध्यम से लगने लगेगी। इसके लिये ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने सभी ज़िलाधिकारियों व ज़िला कार्यक्रम समन्वयक को दिशा-निर्देश दिये हैं।
  • आयुक्त ने ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार की गाइडलाइंस का हवाला देते हुए लिखा है कि श्रमिकों की उपस्थिति को ऐप के माध्यम से लिया जाना सुनिश्चित किया जाए और इसकी समीक्षा प्रत्येक सप्ताह विकास खंड स्तर पर की जानी चाहिये।
  • उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अभियान (मनरेगा) भारत में लागू एक रोज़गार गारंटी योजना है, जिसे प्रदेश में 7 सितंबर, 2005 को विधानसभा द्वारा अधिनियमित किया गया था।
  • इसका उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कम से कम 100 दिनों का अकुशल शारीरिक श्रम प्रदान करके ग्रामीण परिवारों के काम करने के अधिकार की कानूनी गारंटी प्रदान करना और उनकी आजीविका को बढ़ाना है। यह कार्यक्रम भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है और राज्य सरकारों और स्थानीय सरकारों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किया जाता है।

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शहरी क्षेत्रों में 3000 वर्ग मीटर भूमि होने पर ही खोल सकेंगे निजी स्कूल

चर्चा में क्यों?

2 जनवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने बताया कि राज्य बोर्ड ने शहरी क्षेत्र में निजी विद्यालय खोलने के लिये 3000 वर्ग मीटर ज़मीन होना जरूरी कर दिया गया है, जो कि पहले यह 650 वर्ग मीटर थी।

प्रमुख बिंदु 

  • माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने बताया कि निजी स्कूलों को मान्यता देने के लिये प्रस्तावित नए मानकों व शर्तों को शासन ने मंजूरी दे दी है। शासन ने यह मंजूरी बोर्ड द्वारा नए नियमों को लेकर आए सुझावों व आपत्तियों का औचित्य न होने की बात कहते हुए खारिज करने के बाद दी है।
  • नई शर्तों के तहत अब शहरी क्षेत्र में विद्यालय खोलने के लिये 3000 वर्ग मीटर ज़मीन होना जरूरी होगा, जो कि पहले 650 वर्ग मीटर ही थी। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में 6000 वर्ग मीटर ज़मीन की अनिवार्यता होगी, जो कि पहले 2000 वर्ग मीटर थी।
  • इसके अलावा धरोहर राशि में भी कई गुना बढ़ोतरी की गई है। साथ ही स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर क्लास व विभिन्न संसाधन होना भी जरूरी किया गया है।
  • दीपक कुमार की ओर से जारी आदेश के अनुसार ये बदलाव यानी न्यूनतम मानक राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत गुणवत्तापरक शिक्षा के लिये निर्धारित हो रहे हैं। इसीलिये वित्तविहीन विद्यालयों को मान्यता देने के लिये माध्यमिक शिक्षा परिषद के विनियमों में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है।
  • शासन ने माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के सभापति व सचिव को निर्देश दिये हैं इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम-1921 की धारा-16(2) में व्यवस्था के अनुसार मानकों, शर्तों की अधिसूचना गजट में प्रकाशित की जाए।
  • हाईस्कूल की नवीन मान्यता के लिये प्रमुख अनिवार्य शर्तें-
    • समिति/ट्रस्ट/कंपनी अधिनियम-2013 के अध्याय 8 के अंतर्गत पंजीकृत कंपनी (नॉट फॉर प्रॉफिट) का पंजीकृत व यथा स्थिति नवीनीकृत होना अनिवार्य होगा।
    • प्राभूत (जमानत) कोष के रूप में पाँच लाख रुपए केवल विद्यालय के नाम जमा व निरीक्षण अधिकारी के पदनाम में बंधक होंगे। पहले प्राभूत कोष के लिये 15 हज़ार रुपए राशि निर्धारित थी।
    • सुरक्षित कोष के रूप में डेढ़ लाख रुपए जमा होंगे, जबकि पहले मात्र 3000 रुपए जमा करना अनिवार्य था।
    • ऑडियो वीडियो प्रोजेक्टर, बड़ी स्क्रीन की एलईडी टीवी की व्यवस्था स्मार्ट क्लास व कंप्यूटर कक्ष में 25 कंप्यूटर की व्यवस्था करनी होगी।
    • शहरी क्षेत्र की कुल 3000 वर्म मीटर विद्यालय भूमि में 1000 वर्ग मीटर और ग्रामीण क्षेत्र की 6000 वर्ग मीटर भूमि में 2000 वर्ग मीटर भूमि का क्रीड़ास्थल होगा।
    • क्रीड़ा स्थल में एथलेटिक्स, कबड्डी, कुश्ती, खो-खो, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, बैडमिंटन, लॉन टेनिस, ओपेन जिम्नेजियम व अन्य आउटडोर गेम्स के साथ इनडोर गेम्स व शारीरिक सौष्ठव की पर्याप्त व्यवस्था होगी। पहले ऐसी मान्यता की शर्त नहीं थी।
    • छात्र संख्या के अनुरूप एक वर्ग मीटर की दर से प्रत्येक छात्र, छात्रा के लिये कुर्सी, मेज, डेस्क बेंच की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही प्रयोगशाला की भी व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। पहले की शर्त में जूनियर कक्षाओं के साथ 200 सेट सज्जा होना अनिवार्य था।
    • स्वच्छ पेयजल, शौचालय आदि की पर्याप्त व्यवस्था, छात्र, छात्राओं व दिव्यांगजन की सुविधा के अनुसार करने की विस्तृत शर्तें होंगी। पहले सिर्फ समुचित व्यवस्था की शर्त थी।
    • पुस्तकालय में वृहद पाठ्य सामग्री रखनी होगी। शिक्षण सामग्री की विस्तृत व्यवस्था करनी होगी।
    • संस्था में शिक्षकों, कर्मचारियों की उपस्थिति के लिये बायोमीट्रिक मशीन, वायस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरा, डीवीआर, हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन, वाई-फाई के साथ ही विद्यालय की वेबसाइट होना जरूरी होगा।
    • विद्यालय भवन सुरक्षा मानकों पर निर्मित हो और वहाँ विद्युत, सौर ऊर्जा के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग व जल-मल निकासी की व्यवस्था करनी होगी।
  • नए विद्यालय की मान्यता के लिये हाईस्कूल की अनिवार्य शर्तें पूरी करने के बाद इंटरमीडिएट के संचालन के लिये कुछ अन्य शर्तें भी पूरी करनी होंगी। इसके तहत दो लाख रुपए प्राभूत कोष व सुरक्षित कोष के लिये एक लाख रुपए अतिरिक्त जमा करने होंगे। 

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