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कोडरमा व चतरा में खुलेगा रिजनल ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर
चर्चा में क्यों?
2 जनवरी, 2023 को झारखंड के कोडरमा के डीसी आदित्य रंजन ने बताया कि राज्य के दो ज़िलों कोडरमा व चतरा में परिवहन विभाग द्वारा क्षेत्रीय ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा, जिसके क्रियान्वयन को लेकर डीपीआर तैयार करने की स्वीकृति दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- कोडरमा डीसी आदित्य रंजन ने बताया कि क्षेत्रीय ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिये कोडरमा में जयनगर व चंदवारा के करौंजिया में दो जगहों पर ज़मीन चिह्नित की गई है। इन दोनों में से बेहतर जगह पर करीब पाँच एकड़ ज़मीन पर केंद्र का निर्माण किये जाने का प्रस्ताव है, जिससे लोगों को आने वाले समय में सहूलियत प्राप्त होगी।
- उल्लेखनीय है कि वर्तमान में झारखंड के सिर्फ धनबाद ज़िले में हैवी व्हीकल मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर सरकारी तौर पर संचालित है।
- हैवी व्हीकल का लाइसेंस के लिये आवेदन करने वालों का धनबाद में ही ट्रायल लिया जाता है। इसके बाद लाइसेंस जारी किया जाता है। ऐसे में लंबे समय से अन्य ज़िलों में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोले जाने की ज़रूरत महसूस की जा रही थी। इस मांग को देखते हुए श्रम नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग के मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने वैपीक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड मोहराबादी, राँची के द्वारा तैयार पीपीआर के तहत योजना के क्रियान्वयन को लेकर अनुमोदन किया है।
- उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर में एडवांस टेक्नोलॉजी को अपनाते हुए कई व्यवस्थाएँ रहेंगी।
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झारखंड में बच्चे को गोद लेने के लिये सिविल सर्जन से लेनी होगी मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
1 जनवरी, 2023 को झारखंड बालगृह एवं दत्तक ग्रहण संस्था करुणा एनएमओ से मिली जानकारी के अनुसार राज्य दत्तक ग्रहण नियमावली-2022 के नियम-37 के अनुसार, ज़िला अस्पताल प्रबंधन की ओर से प्रमाण-पत्र निर्गत करना अनिवार्य किया गया है, जिसमे अब बच्चे को गोद लेने के लिये सामाजिक संस्था और लोगों को सिविल सर्जन से अनुमति लेनी होगी।
प्रमुख बिंदु
- नियम के अनुसार, अगर किसी परिचित, नर्सिंग होम, अस्पताल या किसी एनजीओ से बच्चे की सूचना मिलती है, तो उसके आधार पर आप बच्चे को गोद नहीं ले सकते हैं। इसके तहत सिविल सर्जन द्वारा बनाया गया मेडिकल बोर्ड पहले बच्चे को देख-समझकर उसका भौतिक सत्यापन (फिजिकल टेस्ट) करेगा कि बच्चा सामान्य कैटेगरी का है या फिर विशेष।
- गौरतलब है कि राज्य की बालगृह एवं दत्तक ग्रहण संस्था करुणा एनएमओ ने सिविल सर्जन कार्यालय को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश के अनुरूप प्रमाणपत्र निर्गत करने का आग्रह किया है। ऐसे में कोई भी परिवार अगर किसी बच्चे को गोद लेना चाहता है, तो उन्हें इस प्रक्रिया से गुजरना होगा। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) ने 11 अक्तूबर, 2022 को इस मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया था।
- यह संस्था मुख्य रूप से अनाथ, छोड़ दिये गए और आत्मसमर्पण करने वाले बच्चों को गोद दिलाने के लिये काम करती है।
- ज्ञातव्य है कि वर्तमान में देश में लगभग तीन करोड़ 10 लाख अनाथ बच्चे हैं, लेकिन जटिल कानूनी प्रक्रिया के कारण पिछले पाँच सालों में सिर्फ 16,353 बच्चों को ही गोद लिया जा सका है।
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