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स्टेट पी.सी.एस.

  • 02 Sep 2023
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राजस्थान Switch to English

हर वर्ष 31 अगस्त को मनाया जाएगा विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू जनजाति दिवस

चर्चा में क्यों?

31 अगस्त, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास पर विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू जनजातियों के 72वें मुक्ति दिवस राज्यस्तरीय समारोह को संबोधित करते हुए हर वर्ष 31 अगस्त को विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू जनजाति दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। 

प्रमुख बिंदु  

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू जनजाति समुदाय के उत्थान के लिये राज्य सरकार द्वारा निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू जनजातियों (डीएनटी) के विकास के लिये 50 करोड़ रुपए के कोष की स्थापना की गई है।  
  • डीएनटी समाज की पारंपरिक कलाओं एवं उद्यम हेतु 5 करोड़ रुपए की राशि से डीएनटी रिसर्च एवं प्रिजर्वेशन सेंटर बनाया जा रहा है। साथ ही, समाज के लोगों को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाने एवं कलाकारों को रोज़गार तथा आर्थिक प्रोत्साहन देने का कार्य भी किया जा रहा है।  
  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि समाज के विद्यार्थियों को आवास व शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिये योजना लाई गई है। विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू समुदाय के उत्थान के लिये शीघ्र ही डीएनटी पॉलिसी लाई जाएगी।  
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू जनजाति समुदाय (डीएनटी) ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इसी वजह से अंग्रेज़ों ने क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट-1871 जैसा अत्याचारी कानून बनाकर इस समुदाय को प्रताड़ित किया। आज़ादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने 1952 में इस दमनकारी कानून को निरस्त कर विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू जनजातियों पर हो रहे अन्याय को समाप्त किया।  
  • पंडित नेहरू ने ही 1955 में गाड़िया लोहार समुदाय को चित्तौड़गढ़ किले में प्रवेश दिलाया। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी द्वारा लिये गए निर्णयों से डीएनटी समाज सहित सभी वंचित वर्गों को पंचायतीराज संस्थाओं में राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिला। 
  • राज्य विमुक्त, घुमंतू, अर्द्धघुमंतू बोर्ड की अध्यक्ष उर्मिला योगी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा डीएनटी समुदाय के लिये गाँवों में 150 वर्गगज एवं शहरों में 50 वर्गगज तक के पट्टों का नि:शुल्क आवंटन किया गया है।    


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राज्य शासन ने लिया पेंशनरों के हित में बड़ा फैसला

चर्चा में क्यों?

31 अगस्त, 2023 को मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राज्य शासन ने पेंशनरों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए पेंशनरों/परिवार पेंशनरों को 1 जुलाई, 2023 से छठवें वेतनमान में मूल पेंशन/परिवार पेंशन पर 221% और सातवें वेतनमान में 42% की दर से महँगाई राहत स्वीकृत की है। बढ़ी हुई राशि अगस्त, 2023 से देय होगी। 

प्रमुख बिंदु  

  • जानकारी के अनुसार छठवें वेतनमान में महँगाई राहत की वृद्धि दर 9% और सातवें वेतनमान में महँगाई राहत की 4% दर से बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले उन्हें 1 जुलाई, 2023 से छठवें वेतनमान में मूल पेंशन/परिवार पेंशन पर 212% की दर से और सातवें वेतनमान में 38% की दर से महँगाई राहत मिल रही थी। 
  • आदेश के अनुसार 80 वर्ष या उससे अधिक की आयु के पेंशनरों को देय अतिरिक्त पेंशन पर भी महँगाई राहत देय होगी। महँगाई राहत अधिवार्षिकी, सेवानिवृत्त, असमर्थता तथा क्षतिपूर्ति पेंशन पर देय होगी।
  • सेवा से पदच्युत या सेवा से हटाए गए कर्मचारियों को स्वीकार किये गए अनुकंपा भत्ते पर भी महँगाई राहत की पात्रता होगी। परिवार पेंशन तथा असाधारण पेंशन प्राप्त करने वाले पेंशनरों को भी महँगाई राहत वित्त विभाग के प्रासंगिक आदेश अनुसार देय होगी। 
  • यदि किसी व्यक्ति को उसके पति/पत्नी की मृत्यु के कारण अनुकंपा के आधार पर सेवा में रखा गया है तो ऐसे मामलों में परिवार पेंशन पर महँगाई राहत की पात्रता नहीं होगी।  
  • यदि पति/पत्नी की मृत्यु के समय वह सेवा में हैं तो उसे पति/पत्नी की मृत्यु के कारण देय परिवार पेंशन पर महँगाई राहत की पात्रता होगी। ऐसे पेंशनरों, जिन्होंने अपनी पेंशन का एक भाग सारांशीकृत कराया है, उन्हें महँगाई राहत उनकी मूल पेंशन पर देय होगी। 
  • यह आदेश राज्य शासन के ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर भी लागू होंगे, जिन्होंने उपक्रमों/स्वशासी संस्थानों/मंडलों/निगमों आदि में संविलियन पर एकमुश्त राशि आहरित की है और जो पेंशन के एक-तिहाई हिस्से के प्रत्यावर्तन के पात्र हो गए हैं। 
  • महँगाई राहत के भुगतान पर होने वाले रुपए के अपूर्ण भाग को अगले रुपए में पूर्णांकित किया जाएगा। संचालक पेंशन को बैंक की शाखाओं में नमूना जाँच करने तथा विसंगति की स्थिति में उसका समायोजन आगामी माह के भुगतानों में करने के निर्देश दिये गए हैं। 
  • सभी पेंशन संवितरणकर्त्ता अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे मध्य प्रदेश कोषालय संहिता 2020 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए पेंशनरों को स्वीकृत महँगाई राहत का भुगतान सुनिश्चित करें।

हरियाणा Switch to English

हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप अनुसंधान पहल को दी मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

30 अगस्त, 2023 को हरियाणा के सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा निदेशालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत के लिये अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। 

प्रमुख बिंदु  

  • हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद ने हरियाणा में राज्य वित्त पोषित और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखकर प्रस्तावित दिशानिर्देशों का पालन करने के लिये कहा है। इस प्रस्ताव में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक विज्ञान, मानविकी और समस्या-समाधान अनुसंधान में सीएम फेलोशिप शामिल है। 
  • विभाग के प्रवक्ता ने इस संबंध में बताया कि इसका उद्देश्य व्यापक रूप से 4 स्पेक्ट्रम को कवर करना है। कृषि, उद्योग, सामाजिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी आदि सहित विभिन्न प्रणालियों के सामने आने वाली समसामयिक समस्याओं का समाधान खोज करना सबसे पहला है। 
  • दूसरा नीति-निर्माण और कार्यान्वयन के लिये प्रामाणिक डाटाबेस बनाना, इसके अतिरिक्त आजीविका के अधिक विकल्प बनाने हेतु विकास के क्षेत्रों का पता लगाना प्रमुख है। इसके तहत हरियाणा के युवा  विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों के उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान करेंगे। 
  • प्रवक्ता ने बताया कि सैंतालीस परामर्शी बैठकों से विशिष्ट शोध विषयों की पहचान के प्रयास हुए हैं। विशेषज्ञों की सिफारिशों के बाद प्रत्येक परियोजना के लिये 75,000 रुपए से लेकर 1,00,000, रुपए तक की धनराशि परियोजना के आकार और दायरे के आधार पर निर्धारित की गई है। इसके अतिरिक्त, प्रायोजक संस्थान कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) की पहल के माध्यम से 25 प्रतिशत योगदान की मांग कर सकेंगे। 
  • उन्होंने कहा कि परियोजना की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और अनुसंधान प्रस्तुत करने के प्रारूप  के विस्तृत दिशा-निर्देशों के लिये इच्छुक पार्टियाँ परिषद की वेबसाइट https://hshec.org/ से जानकारी ले सकती हैं।  
  • यह पहल देश की शैक्षिक दृष्टि के अनुरूप आत्मनिर्भरता, नवाचार और समग्र विकास को बढ़ावा देने की हरियाणा की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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