मध्य प्रदेश Switch to English
देश में साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन में भोपाल को दूसरा स्थान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में साइबर अपराध की क्रिप्टो करेंसी संबंधी धोखाधडी की बेहतर और पुख्ता इन्वेस्टिगेशन के लिये भोपाल साइबर पुलिस को देश में दूसरा स्थान प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) नई दिल्ली में गत दिवस किये गए प्रेजेंटेशन में साइबर क्राइम भोपाल की इन्वेस्टिगेशन संबंधी केस-स्टडी को सर्वश्रेष्ठ 10 केस-स्टडी में चुना गया।
- साइबर पुलिस ने अपने प्रेजेंटेशन में दिखाया कि इन्वेस्टिगेशन के दौरान किस प्रकार से जापान के क्लाइंट के लिये इंदौर के पीयूष सिंह की कंपनी ने मुख्यत: तीन प्रोडक्ट्स बनाए। इन प्रोडक्ट्स का उपयोग कर कोई भी उपयोगकर्त्ता (EndUser) अपना डिजिटल वालेट (अकाउंट) बना सकता है।
- इस डिजिटल वालेट में वह क्रिप्टो संपत्ति स्टोर कर सकता है और उन्हें निवेश कर सकता है। क्रिप्टोएसेट्स को ट्रांसफर भी कर सकता है तथा उपयोगकर्त्ता को रिवॉर्ड और बोनस मिलता है, जो हर दिन कंपनी के डिजिटल अकाउंट में क्रेडिट होता है।
- इन्वेस्टिगेशन में पाया गया कि जापानी मूल का केशी कुबी, जो कि पीयूष सिंह की कंपनी में ही पूर्व से कार्य करता था, गोपनीय जानकारियों का गलत उपयोग कर पीयूष सिंह के जापानी क्लाइंट के प्रोडक्ट में फर्ज़ी यूज़र बना दिये और उनमें एपीआई के द्वारा क्रिप्टो का फर्ज़ी इन्वेस्टमेंट दिखाया। इससे आरोपी को भी प्रतिदिन रिवॉर्ड मिलने लगे।
- आरोपी anglieum wallet के एक फीचर ote (जिसमें कंपनी यूज़र से ANX लेकर उसी वैल्यू का BTC कंपनी वालेट से यूज़र को देती थी) का यूज़ कर क्रिप्टोकरेंसी ANX को BTC में कनवर्ट करता तथा BTC (BITCOIN) को अपने और अपने परिजनों के क्रिप्टो वालेट में ट्रांसफर कर धोखाधड़ी करने का कार्य करता रहा। साइबर पुलिस ने अपने इन्वेस्टिगेशन में फर्ज़ी पते को भी डिकोड कर अपराध का पर्दाफाश किया।
मध्य प्रदेश Switch to English
प्रदेश का पहला 500 एमवीए ट्रांसफॉर्मर भोपाल में ऊर्जीकृत
चर्चा में क्यों?
1 सितंबर, 2022 को मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के मुख्य अभियंता राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि हाल ही में मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 400 केवी सबस्टेशन भोपाल में प्रदेश के पहले 500 एमवीए के पावर ट्रांसफार्मर को सफलतापूर्वक ऊर्जीकृत किया।
प्रमुख बिंदु
- मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने नवाचार करते हुए प्रदेश के अपने ट्रांसमिशन नेटवर्क में लगभग 25 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से पहली बार 500 एमवीए क्षमता के पॉवर ट्रांसफॉर्मर को स्थापित किया है।
- मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 400 केवी सबस्टेशन भोपाल में 400/220/132 केवी के 315 एमवीए क्षमता के पावर ट्रांसफार्मर के लिये लगने वाले स्थान पर ही विशेष डिज़ाइन से तैयार हुए मेसर्स टी एंड आर द्वारा निर्मित इस 500 एमवीए क्षमता के पावर ट्रांसफॉर्मर को स्थापित किया है।
- मुख्य अभियंता राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक 400 केवी सबस्टेशनों में परंपरागत 315 एमवीए के पावर ट्रांसफार्मर लगाए जाते रहे हैं। इसके स्थान पर पहली बार 500 एमवीए क्षमता का यह पहला पावर ट्रांसफार्मर है, जिसे शासन की ज़्यादा-से-ज़्यादा नवाचार अपनाने की मंशा के तहत स्थापित किया गया है।
- इस नवाचार का फायदा यह है कि जितनी जगह 315 एमवीए क्षमता के पावर ट्रांसफार्मर की स्थापना को लगती है, उतने ही इन्फ्रास्ट्रक्चर में 500 एमवीए क्षमता का ट्रांसफॅार्मर स्थापित कर लिया जाता है। जिससे अतिरिक्त ट्रांसफॉर्मर लगाने की प्रक्रिया, धन और श्रम बच जाता है। साथ ही सबस्टेशनों में बढ़ने वाली अचानक लोड डिमांड को भी पूरा किया जा सकता है। इस ट्रांसफॉर्मर की स्थापना के उपरांत 400 केवी सबस्टेशन भोपाल की क्षमता 1445 एमवीए की हो गई है।
- इस ट्रांसफॉर्मर की स्थापना से भोपाल के शहरी और औद्योगिक क्षेत्र के अलावा बैरागढ़, विदिशा, मुगालिया छाप के अतिरिक्त आष्टा क्षेत्र को भी बेहद फायदा मिलेगा। इस ट्रांसफॉर्मर की स्थापना से इन क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण पर्याप्त विद्युत आपूर्ति उचित वोल्टेज में की जा सकेगी। साथ ही, आष्टा, उज्जैन क्षेत्र को भी भोपाल से सपोर्ट मिल सकेगा।
हरियाणा Switch to English
‘हरियाणा उद्यम प्रोत्साहन नियम, 2016’ में संशोधन को मंत्रिमंडल की स्वीकृति
चर्चा में क्यों?
1 सितंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ‘हरियाणा उद्यम प्रोत्साहन नियम, 2016’ में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार ने हरियाणा उद्यम संवर्धन अधिनियम, 2016 और संबंधित नियमों को अधिनियमित किया है, ताकि राज्य में एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र सृजित किया जा सके, जो कारोबार करने की सहूलियत से मेल खाता हो और साथ ही व्यवसाय करने में होने वाली देरी के साथ-साथ लागत को कम करने के लिये श्रेष्ठ वैश्विक मानकों से भी बेहतर हो।
- हरियाणा उद्यम संवर्धन बोर्ड (एचईपीबी) का गठन हरियाणा उद्यम संवर्धन अधिनियम, 2016 की धारा 3 के तहत किया गया है और उक्त अधिनियम की धारा 4 के तहत अधिकार प्राप्त कार्यकारी समिति (ईईसी) का गठन किया गया है।
- अधिकार प्राप्त कार्यकारी समिति (ईईसी) में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव समिति के अध्यक्ष हैं। उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रशासनिक सचिव समिति के सदस्य-सह-मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।
- नगर एवं ग्राम आयोजना, पर्यावरण, वन, लोक निर्माण (भवन एवं सड़कें), वित्त, जन-स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, बिजली, शहरी स्थानीय निकाय, श्रम, एचएसआईआईडीसी के महानिदेशक या उद्योग एवं वाणिज्य विभागों के प्रशासनिक सचिव समिति के निदेशक सदस्य हैं।
- ईईसी की प्रमुख भूमिका सरकार की विभिन्न योजनाओं/नीतियों के तहत प्रोत्साहन/विशेष पैकेज के मामलों की जाँच करना और हरियाणा उद्यम संवर्धन बोर्ड को इसकी सिफारिश करना है।
- ईईसी आगे जीएसटी की प्रतिपूर्ति सहित विशेष पैकेज के लिये मामलों का अनुमोदन एवं सिफारिश करती है। हालाँकि, आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रशासनिक सचिव इस समिति के सदस्य नहीं हैं। आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रशासनिक सचिव को अधिकार प्राप्त कार्यकारी समिति (ईईसी) के सदस्य के रूप में शामिल करने के लिये हरियाणा उद्यम संवर्धन नियम, 2016 के नियम 4 (1) में संशोधन की आवश्यकता थी।
- इसके अलावा मंत्रिमंडल ने हरियाणा लोक सेवा आयोग (कार्यों की सीमा) विनियम, 1973 में संशोधन के लिये एक्स-पोस्ट (घटनोत्तर) स्वीकृति प्रदान की। इस संशोधन के अनुसार हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की बजाय एचपीएससी को पोस्ट ग्रेजुएट टीचर ग्रुप-बी विभिन्न पदों के लिये भर्ती प्रक्रिया का संचालन करने हेतु अनिवार्य किया गया है। अन्य सभी ग्रुप-बी पदों के लिये भर्ती प्रक्रिया एचपीएससी द्वारा आयोजित की जा रही है।
हरियाणा Switch to English
गेहूँ की 22 नई प्रजातियाँ देश को समर्पित
चर्चा में क्यों?
1 सितंबर, 2022 को भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि आईआईडब्ल्यूबीआर के पर्यवेक्षण में देश को गेहूँ की 22 नई प्रजातियाँ किसानों को समर्पित की गई।
प्रमुख बिंदु
- यह पहला मौका है, जब 2022 में एक साथ इतनी अधिक प्रजातियाँ देश के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों की सहभागिता से अनुमोदित की गई हैं।
- इनमें पाँच प्रजातियाँ आईआईडब्ल्यूबीआर करनाल (हरियाणा) की हैं, इसके अलावा संस्थान की दो प्रजातियों का क्षेत्र विस्तार भी किया गया है। ये देश में गेहूँ उत्पादन में क्रांतिकारी कदम है, क्योंकि इससे देश के किसानों के सामने अधिक विकल्प मौजूद होंगे।
- भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) करनाल और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्व विद्यालय, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के संयुक्त तत्त्वावधान ग्वालियर में 29 व 30 अगस्त को आयोजित 61वीं संगोष्ठी में ये निर्णय लिये गए थे।
- डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि संगोष्ठी में प्रजाति पहचान समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें समिति ने 27 प्रस्तावों पर चर्चा की। इसमें से 22 गेहूँ की प्रजातियों का अनुमोदन कर किसानों के खेतों के लिये अनुमोदित कर दी गई हैं। शीघ्र ही इन्हें केंद्रीय प्रजाति अनुमोदन समिति द्वारा रिलीज किया जाएगा।
- गौरतलब है कि इन 22 प्रजातियों में पाँच प्रजातियाँ आईआईडब्ल्यूबीआर करनाल की हैं। जिसमें डीबीडब्ल्यू-370, डीबीडब्ल्यू-371, डीबीडब्ल्यू-372 और डीबीडब्ल्यू-316 के अलावा डीडीडब्ल्यू-55 शामिल हैं।
- जल्द बुवाई व अधिक उत्पादन वाली डीबीडब्ल्यू-370 का उत्पादन 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, 371 का 75.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, दो जोन के लिये अनुमोदित की गई 372 का उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (मध्य भारत के लिए 75.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) के लिये अनुमोदित किया गया है।
- 316 का उत्पादन (देर से बुवाई वाली प्रजाति) पूर्वोत्तर भारत के लिये 41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तो सीमित पानी में सेंट्रल जोन के लिए कठिया गेहूँ की प्रजाति डीडीडब्ल्यू-55 को अनुमोदित किया गया है, इसमें सिर्फ एक पानी लगाना होता है।
- आईआईडब्ल्यूबीआर के प्रमुख अन्वेषक (फसल सुधार) डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि इसके अलावा आईआईडब्ल्यूबीआर की दो प्रजातियाँ डीबीडब्ल्यू-187 व 303 मेगा प्रजातियों में शामिल हो गई हैं। 187 ऐसी प्रजाति हैं, जिसे 20 मिलियन हेक्टेयर के लिये अनुमोदित किया है, जो देश में पाँच मिलियन हेक्टेयर रकबे तक पहुँच गई है। हरियाणा में 50 प्रतिशत ये प्रजाति बोई जा रही है।
- इन दोनों प्रजातियों का क्षेत्र विस्तार करते हुए मध्य क्षेत्र में उच्च उर्वरता, अगेती बुवाई के लिये अनुमोदित किया गया है। इसके अतिरिक्त जो प्रजातियाँ अनुमोदित की गई हैं, उनमें पीबीडब्ल्यू 826 (दो जोन के लिये), पीबीडब्ल्यू 883, आईएआरआई नई दिल्ली की एचडी 3369, 3406, 3411 व 3467, आईआरआई इंदौर की एचआई 1653, 1654, 1650, 1655, 8826, एमएसीएस पुणे की 6768, 4100, सीजी बिलासपुर की 1036 आदि शामिल हैं। आईएआरआई नई दिल्ली की दस प्रजातियाँ शामिल हैं।
झारखंड Switch to English
झारखंड मंत्रिपरिषद की बैठक में लिये गए महत्त्वपूर्ण निर्णय
चर्चा में क्यों?
1 सितंबर, 2022 को झारखंड मंत्रालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में झारखंड राज्य अंगुलांग सेवा (नियुक्ति, प्रोन्नति एवं अन्य सेवा-शर्तों) नियमावली-2022 के गठन करने की स्वीकृति सहित कई अन्य महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।
प्रमुख बिंदु
- मंत्रिपरिषद की बैठक में झारखंड पंचायत सचिव (नियुक्ति, सेवा-शर्त एवं कर्त्तव्य) नियमावली (संशोधित), 2014 को शिथिल करते हुए ग्राम रक्षादल के दलपतियों को पंचायत सचिव पद पर नियुक्ति की स्वीकृति दी गई।
- झारखंड राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत लक्षित जन-वितरण प्रणाली के तहत राज्य के सभी 24 ज़िलों में फोर्टीफाइड चावल (Fortified Rice) वितरण करने हेतु ‘Rice Fortification Scheme’ लागू करने की स्वीकृति दी गई।
- झारखंड राज्य के गठन (बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000) के पश्चात् झारखंड राज्य के भौगोलिक सीमा में अवस्थित चांडिल लघु जलविद्युत परियोजना (ज़िला-सरायकेला-खरसावाँ) एवं तेनु बोकारो लघु जलविद्युत परियोजना (ज़िला-बोकारो) को As is where is के आधार पर ज्रेडा द्वारा पी.पी.पी. मोड पर संचालन करने की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई।
- ‘मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना’ के तहत प्रभावित सुपात्र व्यक्तियों की चिकित्सा हेतु विभागीय स्तर से चिकित्सा सहायता अनुदान की राशि 00 लाख रुपए को बढ़ाकर 10.00 लाख रुपए करने एवं पूर्व से स्वीकृत असाध्य रोगों की सूची में अन्य असाध्य रोगों को सूचीबद्ध करने की स्वीकृति दी गई।
- विश्व बैंक संपोषित ‘झारखंड पावर सिस्टम इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड एवं झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड के लिये स्वीकृत राशि को रिस्ट्रक्चर करने की स्वीकृति दी गई।
- मोटरयान (यान स्क्रेपिंग सुविधा का रजिस्ट्रेशन और कार्य) नियम, 2021 के क्रियान्वयन की स्वीकृति दी गई।
- केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय माल और सेवाकर अधिनियम, 2017 में किये गए संशोधनों के आलोक में झारखंड माल और सेवाकर अधिनियम, 2017 में प्रस्तावित संशोधनों से संबंधित झारखंड माल और सेवाकर (संशोधन) विधेयक, 2022 के झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में पुर:स्थापन पर मंत्रिपरिषद की घटनोत्तर स्वीकृति दी गई।
- भारत सरकार की योजना Revamped Distribution Sector Scheme (RDSS) हेतु पी.एफ.सी. से स्वीकृति के उपरांत29 करोड़ रुपए की संशोधित प्राक्कलित राशि की प्रशासनिक स्वीकृति तथा इस योजना के तहत पी.एफ.सी., राज्य सरकार एवं झारखंड बिजली वितरण निगम लि. के बीच त्रिपक्षीय करारनामा हस्ताक्षरित करने की स्वीकृति दी गई।
- स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अन्तर्गत पारामेडिकल कर्मियों (यथा-परिचारिका ग्रेड ‘ए’, ए.एन.एम., फार्मासिस्ट, प्रयोगशाला प्रावैधिक, एक्स-रे तकनीशियन) की नियुक्ति नियमावली, 2018 में संशोधन की स्वीकृति दी गई।
- पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की स्वीकृति एवं सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा अवधि विस्तार की स्वीकृति दी गई।
- रिम्स, रांची अंतर्गत चतुर्थ वर्गीय पदों पर बाह्यस्रोतीय माध्यम से सेवा प्राप्त करने की स्वीकृति दी गई।
छत्तीसगढ़ Switch to English
कृषि मंत्री ने किया ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ कार्यक्रम का प्रदेशव्यापी शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
1 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में किसानों को ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’की पॉलसी प्रदान कर प्रदेशव्यापी ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इस मौके पर 35 किसानों को पॉलिसी दस्तावेज़ का वितरण भी किया। ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’कार्यक्रम के तहत राज्य के सभी बीमित किसानों को सितंबर माह में पॉलिसी का वितरण किया जाएगा।
- गौरतलब है कि खरीफ सीज़न 2022 में राज्य के लगभग 13 लाख 95 हज़ार 369 किसानों ने अपनी फसलों का बीमा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत कराया है। इसमें कृषक अंश के 89 करोड़ रुपए, राज्यांश के 535.17 करोड़ रुपए एवं केंद्रांश के रूप में 535.17 करोड़ रुपए इस तरह से कुल 1232.23 करोड़ रुपए प्रीमियम की राशि है।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021-22 में खरीफ व रबी की फसलों के लिये छत्तीसगढ़ से कुल 16 लाख 9 हज़ार 646 किसानों ने योजना के अंतर्गत बीमा कराया था, जिसमें से 6 लाख 89 हज़ार 324 किसानों को बीमित राशि के रूप में 48 करोड़ रुपए का बीमा दावा भुगतान किया गया था।
- इसी तरह वर्ष 2020-21 में खरीफ व रबी फसलों के लिये 17 लाख 3 हज़ार 992 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत बीमा कराया था, जिसमें से 6 लाख 18 हज़ार 640 किसानों के दावों पर उन्हें 81 करोड़ रुपए का दावा भुगतान किया गया था।
- वहीं 2019-20 में खरीफ व रबी फसल के लिये छत्तीसगढ़ के 18 लाख 52 हज़ार 853 किसानों ने योजना के तहत बीमा कराया था, जिसमें से 6 लाख 57 हज़ार 907 किसानों को 1264.34 करोड़ रुपए का बीमा दावा भुगतान किया गया है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ कम बेरोज़गार वाले राज्यों में निरंतर बना सिरमौर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सीएमआईई द्वारा जारी किये गए नए आँकड़ों के अनुसार अगस्त 2022 में छत्तीसगढ़ की बेरोज़गारी दर 4 प्रतिशत है, जबकि देश में बेरोज़गारी दर 8.3 प्रतिशत है।
प्रमुख बिंदु
- छत्तीसगढ़ पिछले कई महीनों से सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में उच्च स्थान पर बना हुआ है। छत्तीसगढ़ में साढ़े तीन साल में शहरी-ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संतुलित करने तथा रोज़गार के नए अवसरों का सृजन करने वाली योजनाओं का असर है।
- जुलाई महीने में छत्तीसगढ़ की बेरोज़गारी दर 8 प्रतिशत रही। मई महीने में 0.7 प्रतिशत तथा मार्च-अप्रैल महीने में छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर सबसे कम 0.6 प्रतिशत रही।
- सीएमआईई द्वारा जारी किये गए नए आँकड़ों के अनुसार अगस्त में बेरोज़गारी दर बिहार में 8 प्रतिशत, गोवा में 13.7 प्रतिशत, गुजरात में 2.6 प्रतिशत, हरियाणा में 37.3 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 7.3 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 32.8 प्रतिशत, कर्नाटक में 3.5 प्रतिशत तथा मध्य प्रदेश में 2.6 प्रतिशत दर्ज की गई है।
- छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसी योजनाओं पर ज़ोर दिया गया तथा क्रियान्वयन किया गया, जिनसे रोज़गार के नए अवसर सृजित हों। सरकार बनने के साथ ही कर्ज़ माफी तथा समर्थन मूल्य में वृद्धि जैसी योजनाओं से शुरुआत की गई।
- छत्तीसगढ़ सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी कार्यक्रम, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन किसान न्याय योजना, नई औद्योगिक नीति का निर्माण, वन तथा कृषि उपजों के संग्रहण की बेहतर व्यवस्था, उपजों का स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण तथा वैल्यू एडीशन, ग्रामीण औद्योगिक पार्कों की स्थापना, लघु वनोपजों के संग्रहण दर में वृद्धि तथा 65 तरह के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीद, तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर में वृद्धि, मछली पालन तथा लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा, परंपरागत शिल्पियों, बुनकरों तथा उद्यमियों को प्रोत्साहन, हर ज़िले में सी-मार्ट की स्थापना जैसे अनेक कदम उठाए गए।
- गोधन न्याय योजना का विस्तार करते हुए गोमूत्र खरीदी की शुरुआत की गई है। खरीदे गए गोमूत्र से भी खाद तथा कीटनाशकों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे रोज़गार के नए अवसरों का सृजन हो रहा है।
- गाँव-गाँव में निर्मित गोठानों को भी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में उन्नत किया जा रहा है, जहाँ तेल मिल, दाल मिल, मिनी राइस मिल जैसी प्रोसेसिंग इकाईयाँ स्थापित की जा रही हैं। गोठानों में विभिन्न उत्पादों का भी निर्माण किया जा रहा है।
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