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बिहार में 18 साल बाद सबसे बड़ा राजकोषीय घाट
चर्चा में क्यों?
30 जून, 2022 को बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन में प्रस्तुत CAG की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में वित्त वर्ष 2020-21 में 29 हजार 827 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा दर्ज किया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह रिपोर्ट 31 मार्च, 2021 को खत्म हुए वित्त वर्ष की है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार का राजकोषीय घाटा पिछले साल की तुलना में 15,103 करोड़ रुपए बढ़कर 29 हजार 827 करोड़ रुपए हो गया है। यही नहीं, राज्य को 2004-05 के बाद पहली बार 11,325 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व घाटा हुआ है।
- रिपोर्ट के अनुसार टैक्स में बढ़ोतरी के कारण वित्तीय वर्ष 2020-21 में पिछले साल की तुलना में राजस्व प्राप्तियों में 3,936 करोड़ (3.17 प्रतिशत) की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस वर्ष मुख्य रूप से प्रतिबद्ध व्यय में वृद्धि के कारण राजस्व खर्च में 13,476 करोड़ (10.69 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई है।
- रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2021 तक नीतीश सरकार ने 92 हजार 687 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी जमा नहीं किया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अधिक मात्रा में उपयोगिता प्रमाण-पत्र लंबित रहना राशि के दुरुपयोग और धोखाधड़ी के जोखिम को बढ़ाता है। अग्रिम राशि का समायोजन नहीं होना, धोखाधड़ी हो सकता है।
- रिपोर्ट के अनुसार बिहार सरकार ने न तो 12वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार गारंटी मोचन निधि बनाई है और न ही गारंटियों की सीमा निर्धारण के लिये कोई नियम बनाये
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