इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 02 Feb 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में आदिवासियों को UCC से छूट दी जाएगी

चर्चा में क्यों?

राज्य विधानसभा में पेश किया जाने वाला प्रस्तावित उत्तराखंड समान नागरिक संहिता राज्य की आदिवासी आबादी को इसके प्रावधानों से पूरी तरह छूट देने के लिये तैयार है।

मुख्य बिंदु:

  • उत्तराखंड की आबादी में लगभग 2.9% आदिवासी हैं, जिनमें जौनसारी, भोटिया, थारू, राजी और बुक्सा प्रमुख हैं।
    • पहाड़ी राज्य में कुछ जनजातियों के बीच बहुपत्नी और बहुविवाह भी प्रचलित प्रथा है।
  • उत्तराखंड UCC समिति ने भी इन आदिवासी समुदायों के साथ समान संहिता पर बातचीत की थी।
    • युवा जनजातीय आबादी ने यह भी प्रतिक्रिया दी थी कि हालाँकि पिछली पीढ़ियों में बहुपति/बहुविवाह एवं अन्य प्रथाएँ प्रचलन में थीं, लेकिन अब वे शायद ही प्रचलन में हैं और इसलिये सुधार किये जा रहे हैं।
    • हालाँकि सभी राज्यों, विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों में आदिवासी और जातीय समुदायों ने खुले तौर पर किसी भी नागरिक संहिता को लागू करने का विरोध व्यक्त किया है जो उनके रीति-रिवाज़ों तथा जीवन के सदियों पुराने तरीकों को प्रभावित कर सकता है।
  • मुसलमानों के लिये तलाक और पुनर्विवाह पर हलाला, इद्दत व खुला विकल्प नए कोड के तहत अवैध होंगे, जिसमें केवल न्यायालयों में कानूनी कार्यवाही के माध्यम से तलाक तथा पुनर्विवाह की आवश्यकता होगी।
    • राज्य का कोड ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ के पंजीकरण को अनिवार्य करेगा तथा पैदा हुए बच्चों के लिये पूर्ण उत्तराधिकार की मांग करेगा।


उत्तराखंड की जनजातियाँ

  • उत्तराखंड की जनजातियों में मुख्य रूप से पाँच प्रमुख समूह शामिल हैं जिनमें जौनसारी जनजाति, थारू जनजाति, राजी जनजाति, बुक्सा जनजाति और भूटिया शामिल हैं।
  • जनजातीय आबादी का मुख्य संकेंद्रण ग्रामीण क्षेत्रों में है।
    • रिकॉर्ड के अनुसार, कुल आदिवासी आबादी का लगभग 94.50% ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है और शेष प्रतिशत आदिवासी आबादी शहरी केंद्रों में रहती है।
  • जनसंख्या की दृष्टि से थारू जनजाति राज्य का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है।
  • उत्तराखंड के प्रत्‍येक ज़िले में जनजातीय आबादी का कम-से-कम प्रतिशत है
  • उत्तराखंड की इन जनजातियों को भारत के संविधान में अनुसूचित किया गया है।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में बर्फबारी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड में सीज़न की पहली बर्फबारी हुई।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)

  • इसकी स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान तथा संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
    • यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।

पश्चिमी विक्षोभ

  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ ऐसे तूफान हैं जो कैस्पियन या भूमध्य सागर में उत्पन्न होते हैं तथा उत्तर-पश्चिम भारत में गैर-मानसूनी वर्षा के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
  • भूमध्य सागर में उत्पन्न होने वाले इस निम्न दबाव के क्षेत्र को ‘बहिरूष्ण उष्णकटिबंधीय तूफान’ के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो उत्तर-पश्चिम भारत में अचानक वर्षा, बर्फबारी एवं कोहरे के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • WD का अर्थ इसके नाम में ही निहित है।
    • यह विक्षोभ ‘पश्चिम’ से ‘पूर्व’ दिशा की ओर आता है।
    • ये उच्च ऊँचाई वाली पश्चिमी जेट धाराओं द्वारा पूर्व की ओर प्रवाहित होते हैं, तेज़वायु के साथ पश्चिम से पूर्व की ओर गमन करते हैं।
  • विक्षोभ का तात्पर्य ‘विक्षुब्ध’ क्षेत्र या कम हवा वाले दबाव क्षेत्र से है।
  • किसी क्षेत्र की वायु अपने दाब को सामान्य करने का प्रयास करती है, जिसके कारण प्रकृति में संतुलन विद्यमान रहता है।
  • "‘बहिरूष्ण उष्णकटिबंधीय तूफान" में तूफान का तात्पर्य कम दबाव से है। "बहिरूष्ण उष्णकटिबंधीय" का अर्थ उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के बाहर से है। चूँकि WD उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के बाहर उत्पन्न होता है, इसलिये "‘बहिरूष्ण उष्णकटिबंधीय" शब्द उनके साथ जुड़ा हुआ है।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2