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BPSC छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के विरुद्ध शिकायत
चर्चा में क्यों?
बिहार के एक अधिवक्ता ने कथित पेपर लीक के बाद 70वीं BPSC संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा (CCE) की पुनर्परीक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे BPSC छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज के संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में शिकायत दर्ज कराई है।
मुख्य बिंदु
- परीक्षा विवाद:
- 13 दिसंबर, 2024 को आयोजित BPSC परीक्षा में 912 केंद्रों पर 3.28 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए।
- एक परीक्षा केंद्र पर पेपर लीक होने के आरोपों के कारण प्रभावित अभ्यर्थियों के लिये 4 जनवरी, 2025 को पुनः परीक्षा आयोजित करने की घोषणा की गई।
- आयोग ने पेपर लीक की बात को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि अन्य केंद्रों पर परीक्षा सुचारू रूप से आयोजित की गई।
- 13 दिसंबर, 2024 को आयोजित BPSC परीक्षा में 912 केंद्रों पर 3.28 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए।
- विरोध प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई:
- 15 दिनों तक BPSC अभ्यर्थियों ने न्याय की मांग को लेकर पटना के गर्दनीबाग में विरोध प्रदर्शन किया।
- 28 दिसंबर, 2024 को पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिये लाठियों और पानी की बौछारों का उपयोग किया।
- लाठीचार्ज के बाद छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से मुलाकात कर अपनी मांगें रखीं।
- अत्यधिक बल प्रयोग के आरोप:
- आरोप है कि पुलिस ने छात्रों की हड्डियाँ तोड़ दीं और हाथ जोड़कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर भी अंधाधुँध बल प्रयोग किया।
- पुलिस ने ठिठुरती सर्दियों की रातों में प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें कीं तथा इस कार्रवाई को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन बताया।
- शिकायत में यह भी दावा किया गया कि पुरुष पुलिस अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में महिला प्रदर्शनकारियों की बेरहमी से पिटाई की।
- संवैधानिक एवं नैतिक उल्लंघन:
- अत्यधिक बल का प्रयोग संविधान के अनुच्छेद 19(1)(b) का उल्लंघन है, जो शांतिपूर्ण सभा के अधिकार की गारंटी देता है।
- आचार संहिता का उल्लंघन किया गया क्योंकि भारत की पुलिस आचार संहिता के सिद्धांत 4 में इस बात पर बल दिया गया था कि बल का प्रयोग न्यूनतम होना चाहिये तथा अनुनय, सलाह और चेतावनी के बाद ही अंतिम उपाय के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिये।
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