उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश पुरातत्त्व निदेशालय की ‘एडाप्ट ए हेरिटेज योजना’ के दूसरे चरण में दस धरोहरों का चयन
चर्चा में क्यों?
30 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश पुरातत्त्व निदेशालय की निदेशक रेनू द्विवेदी ने बताया कि राज्य में ‘एडाप्ट ए हेरिटेज योजना’के दूसरे चरण में 10 धरोहरों का चयन किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- रेनू द्विवेदी ने बताया कि ‘एडाप्ट ए हेरिटेज योजना’के दूसरे चरण में लखनऊ के आलमबाग भवन समेत पोतराकुंड (मथुरा), कल्पा देवी एवं आस्तिक बाबा मंदिर (सीतापुर), देवगढ़ की बौद्ध गुफाएँ (ललितपुर), राज मंदिर गुप्तार घाट (अयोध्या), लक्ष्मी मंदिर (झाँसी), टहरौली किला (झाँसी), बालाबेहट किला (ललितपुर), दिगारा गढ़ी (झाँसी) तथा शिव मंदिर (टिकैतराय बिठूर कानपुर) को शामिल किया गया है।
- उन्होंने बताया कि स्मारक मित्र के साथ पाँच साल का मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन किया जाएगा, जिसके तहत गोद लिये गए धरोहर पर काम कराना होगा। धरोहर को सहेजने के साथ ही वहाँ पर अस्थायी निर्माण व अन्य माध्यमों से स्मारक मित्र आमदनी भी कर सकेंगे।
- राज्य सहायक पुरातत्त्व अधिकारी डॉ. राजीव त्रिवेदी ने बताया कि स्मारक मित्र द्वारा स्मारकों पर कराए जाने वाले काम तय किये गए हैं। स्थल पर संकेतक, पेयजल, बिजली, सीवरेज, जन सुविधाएँ, वाई-फाई, बेंच, कूड़ादान, प्रकाश, पहुँच मार्ग एवं पाथवे, कैफेटेरिया, दिव्यांग के लिये रैंप एवं व्हीलचेयर की व्यवस्था आदि काम कराने होंगे।
- गोद लिये गए धरोहर पर स्मारक मित्रों द्वारा कराए जाने वाले कामों की निगरानी के लिये स्मारक समिति भी गठित की गई है, जो समय-समय पर निरीक्षण करेगी।
- स्मारक मित्र गोद लिये गए धरोहर पर अनुरक्षण एवं परिरक्षण नहीं कर सकेंगे। यह काम पुरातात्त्विक मानकों के अनुरूप विभाग द्वारा ही कराया जाएगा। स्मारक मित्र अस्थायी निर्माण तो करा सकेंगे पर स्मारक पर किसी तरह का कोई प्रवेश शुल्क नहीं लगा सकते।
- रेनू द्विवेदी ने बताया कि राज्य पुरातत्त्व निदेशालय, पर्यटन विभाग और अन्य स्टेकहोल्डरों के सहयोग से स्मारकों एवं पुरास्थलों पर उच्च स्तरीय पर्यटन सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये धरोहरों को गोद लेने की योजना शुरू की गई थी। योजना के पहले चरण में प्रदेश के 11 स्मारकों एवं पुरास्थलों को गोद लेने के लिये चुना गया था।
बिहार Switch to English
बिहार के 25 ज़िलों में लागू होगा ग्रेडेड एक्शन प्लान
चर्चा में क्यों?
28 नवंबर, 2022 को बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष प्रो. अशोक घोष ने पटना के परिवेश भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि परिषद ने एक ग्रेडेड एक्शन प्लान तैयार किया है, जो छह माह बाद राज्य के उन सभी 25 ज़िलों में लागू होगा, जहाँ एयर क्वालिटी नापने के लिये बीते दिनों नये मॉनिटरिंग स्टेशन बनाए गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- राज्य में ग्रेडेड एक्शन प्लान के अंतर्गत 100 से अधिक एक्यूआई वाले प्रदूषित शहरों में प्रदूषण फैलाने पर रोक होगी।
- यह रोक प्रदूषण स्तर (एक्यूआई) की गंभीरता के अनुसार अलग-अलग शहरों में अलग-अलग तरह की होगी। इसके क्रियान्वयन का जिम्मा संबंधित ज़िलों के डीएम और संबंधित विभागों पर होगा।
- विदित है कि पर्यावरण संबंधी पहले से बने कानून के अनुसार इस तरह के एक्शन प्लान को लागू करने के लिये एक वर्ष का आँकड़ा होना जरूरी है। इसलिये ग्रेडेड एक्शन प्लान तैयार होने के बावजूद इसे लागू नहीं किया गया है।
- राज्य के 22 ज़िलो में नवस्थापित 25 मॉनीटरिंग स्टेशनों की स्थापना के लगभग छह महीने हो चुके हैं और अगले छह महीने बाद इसके एक वर्ष पूरे हो जाने के बाद ग्रेडेड एक्शन प्लान को लागू कर दिया जाएगा।
- प्रो. अशोक घोष ने बताया कि राज्य में 450 से अधिक एक्यूआई होने पर बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा वायु प्रदूषण स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित किया जाएगा। राष्ट्रीय वायु शुद्धता कार्यक्रम के अंतर्गत डीएम के नेतृत्व में ज़िला स्तरीय क्रियान्वयन समिति का गठन किया जाएगा, जो स्कूलों को बंद करने समेत अन्य अतिरिक्त कदम उठाने पर निर्णय लेगा।
राजस्थान Switch to English
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने राज्य स्तरीय ट्रांसजेंडर उत्सव का किया शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
30 नवंबर, 2022 को राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने राज्य के अलवर ज़िले के प्रताप ऑडिटोरियम में राज्य स्तरीय ‘ट्रांसजेंडर उत्सव’का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- टीकाराम जूली ने बताया कि राज्य सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय की सामाजिक सुरक्षा के लिये ट्रांसजेंडर उत्थान कोष का गठन किया है जिसमें 10 करोड़ रुपए का प्रावधान कर ट्रांसजेंडर्स समुदाय को इससे बड़ी राहत प्रदान की जा रही है।
- देश में राजस्थान संभवतया पहला राज्य है जिसमें इस प्रकार की योजना लागू हुई है।
- उन्होंने बताया कि राज्य में ट्रांसजेंडर्स के लिये शिक्षा, छात्रवृत्ति के साथ-साथ स्वरोज़गार की योजना लागू की गई है। इसके अलावा ट्रांसजेंडर्स को निशुल्क चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाई जाएगी, ट्रांसजेंडर्स को लिंग परिवर्तन सर्जरी व अन्य चिकित्सा सुविधा के लिये चिरंजीवी योजना से जोड़ा गया है।
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने 13 ट्रांसजेंडर्स को प्रतिकात्मक रूप से ट्रांसजेंडर आईडी भेंट की। इसके अलावा समारोह में विभिन्न स्थानों से आए हुए ट्रांसजेंडर्स को सक्षम अलवर अभियान का मोमेंटो भेंट कर उनका स्वागत किया।
- उन्होंने ट्रांसजेंडर्स की मांग पर अगला ट्रांसजेंडर उत्सव कोटा में मनाने की घोषणा भी की।
राजस्थान Switch to English
चिरंजीवी योजना में नि:शुल्क कॉकलियर इंप्लांट
चर्चा में क्यों?
30 नवंबर, 2022 को राजस्थान के जयपुर के एसएमएस अस्पताल के ईएनटी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि राज्य में ‘मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ के तहत अब सरकारी अस्पताल में कॉकलियर इम्प्लांट पूरी तरह नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- प्रोफेसर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि जन्म से सुनने और बोलने की अक्षमता एक गंभीर समस्या है, जिसका असर आजीवन रह सकता है। भारत में पैदा होने वाले प्रति एक हजार बच्चों में से चार बच्चे ऐसी विकृति के साथ पैदा होते हैं। इसके उपचार में कॉकलियर इम्प्लांट तकनीक बेहद कारगर सिद्ध हुई है। विशेष रूप से राजस्थान इस तकनीक के ज़रिये उपचार उपलब्ध करवाने में देश में अग्रणी राज्य बनकर सामने आया है।
- उन्होंने बताया कि कॉकलियर इम्प्लांट करने के लिये रोगी के मस्तिष्क में इस कॉकलियर नर्व का होना आवश्यक होता है। लेकिन जिन मरीजों में यह नर्व नहीं होती, उनमें सर्जरी के ज़रिये कॉकलियर नस विकसित कर इम्प्लांट किया जाता है, जिसे ऑडिटर ब्रेन स्टेम कहते हैं। यह अत्याधुनिक तकनीक है, जो अभी केवल चेन्नई व दिल्ली के कुछ निजी अस्पतालों में ही इस्तेमाल की जाती है।
- राजस्थान देश का पहला राज्य है, जहाँ यह 18 से 20 लाख रुपए में होने वाला बेहद खर्चीला इम्प्लांट सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क किया जा रहा है।
- ज्ञातव्य है कि राजस्थान आंध्र प्रदेश और केरल के बाद देश का तीसरा ऐसा राज्य है, जहाँ कॉकलियर इम्प्लांट के ज़रिये पाँच वर्ष तक के करीब एक हज़ार 100 बच्चों की सुनने और बोलने की क्षमता लौटाई जा रही है।
- गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश और केरल में जहाँ यह तकनीक निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध है, वहीं राजस्थान में यह मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सरकारी अस्पताल में पूरी तरह नि:शुल्क उपलब्ध है।
- वर्तमान में प्रदेश के पाँच शहरों के राजकीय अस्पतालों में नि:शुल्क कॉकलियर इम्प्लांट की सुविधा उपलब्ध है। इनमें जयपुर, अजमेर, बीकानेर, उदयपुर और जोधपुर शहर शामिल हैं।
- जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अब तक 700, जयपुरिया अस्पताल में 95, सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज बीकानेर में 145, आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में 40, एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर में 60 तथा जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर में 20 इम्प्लांट किये जा चुके हैं।
- प्रोफेसर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि कॉकलियर इम्प्लांट के लिये बच्चों की जितनी कम आयु होती है, उतना ही अधिक लाभ मिलता है। स्वास्थ्य नीति के अनुसार इम्प्लांट के लिये नौ महीने की आयु अनुमोदित है, यानी कम से कम नौ महीने से बड़े बच्चों का ही ऑपरेशन हो सकता है।
- राजस्थान में 4 साल से कम उम्र के बच्चे निशुल्क इलाज प्राप्त कर सकते हैं। कॉकलियर इम्प्लांट का ऑपरेशन सामान्यत: बहुत महंगा है। प्रत्येक ऑपरेशन का खर्च कम से कम आठ से 10 लाख होता है।
- विदित है कि 1 अप्रैल, 2022 से कॉकलियर इम्प्लांट को ‘मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ में शामिल किया गया है।
मध्य प्रदेश Switch to English
राज्य सरकार का पेंशनरों के हित में बड़ा फैसला
चर्चा में क्यों?
30 नवंबर, 2022 को मध्य प्रदेश राज्य शासन ने पेंशनरों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए पेंशनरों और परिवार पेंशनरों को 6वें और 7वें वेतनमान पर एक अक्टूबर 2022 से पेशन पर महंगाई राहत की दर में वृद्धि कर दी है। बढ़ी हुई राशि नवंबर 2022 से देय होगी। वित्त विभाग ने इस आशय के आदेश जारी कर दिये हैं।
प्रमुख बिंदु
- छठवें वेतनमान में 12 प्रतिशत की वृद्धि के बाद महंगाई राहत की दर अब 201 प्रतिशत हो गई है। सातवें वेतनमान में 5 प्रतिशत की वृद्धि से महंगाई राहत दर 33 प्रतिशत हो गई है।
- आदेश जारी होने के पहले 6वें वेतनमान में मूल पेंशन एवं परिवार पेंशन पर 189 प्रतिशत की दर एवं 7वें वेतनमान में 28 प्रतिशत की दर से महंगाई राहत मिल रही थी। आदेश के अनुसार 80 वर्ष या उससे अधिक की आयु के पेंशनरों को देय अतिरित्त पेंशन पर भी महंगाई राहत देय होगी।
- महंगाई राहत अधिवार्षिकी, सेवानिवृत्त, असमर्थता तथा क्षतिपूर्ति पेंशन पर भी देय होगी। सेवा से पदच्युत या सेवा से हटाए गए कर्मचारियों को स्वीकार किये गए अनुकंपा भत्ता पर भी महंगाई राहत की पात्रता होगी तथा परिवार पेंशन तथा असाधारण पेंशन प्राप्त करने वाले पेंशनरों को भी महंगाई राहत वित्त विभाग के आदेश अनुसार देय होगी।
- यदि किसी व्यत्ति को उसके पति/पत्नी की मृत्यु के कारण अनुकंपा के आधार पर सेवा में रखा गया है, तो ऐसे मामलों में परिवार पेंशन पर महंगाई राहत की पात्रता नहीं होगी। यदि पति/पत्नी की मृत्यु के समय वह सेवा में हैं तो पति-पत्नी की मृत्यु के कारण देय परिवार पेंशन पर उसे महंगाई राहत की पात्रता होगी। ऐसे पेंशनरों, जिन्होंने अपनी पेंशन का एक भाग सारांशीकृत कराया है उन्हें महंगाई राहत उनकी मूल पेंशन पर देय होगी।
- यह आदेश राज्य शासन के ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर भी लागू होंगे, जिन्होंने उपक्रमों, स्वशासी संस्थान, मंडल, निगम आदि में संविलियन पर एकमुश्त राशि आहरित की है और जो पेंशन के एक तिहाई हिस्से के प्रत्यावर्तन के पात्र हो गए हैं।
- संचालक पेंशन को बैंक की शाखाओं में नमूना जाँच करने तथा विसंगति की स्थिति में उसका समायोजन आगामी माह के भुगतानों में करने के निर्देश दिये गए हैं। सभी पेंशन संवितरणकर्त्ता अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे मध्य प्रदेश कोषालय संहिता 2020 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए पेंशनरों को स्वीकृत महंगाई राहत का भुगतान सुनिश्चित करें।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा ने MBBS बांड नीति में किये कई अहम बदलाव
चर्चा में क्यों?
30 नवंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में छात्रों के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक के बाद बताया कि राज्य ने MBBS छात्रों की मांगों को ध्यान में रखते हुए MBBS बांड मामले में कई अहम बदलाव किये हैं।
प्रमुख बिंदु
- MBBS बांड नीति में नए बदलावों के बाद जहाँ एक ओर राज्य ने सात साल के बांड एग्रीमेंट की समय सीमा घटाकर 5 वर्ष कर दी है, वहीं इस पाँच वर्ष में PG की पढ़ाई को भी शामिल किया है यानी एक तरह से अब बांड की समय सीमा दो साल होगी।
- इसके अलावा बांड राशि को जो पहले 40 लाख थी उसे घटाकर 30 लाख कर दिया है। इसमें से यदि फीस घटा दी जाए तो यह राशि करीब 25 लाख होगी और लड़कियों के लिये इसमें दस फीसदी की छूट का निर्णय भी लिया गया है। इस राशि में संस्थान की फीस शामिल नहीं है।
- इस नीति में यह भी फैसला लिया गया है कि यदि MBBS की पढ़ाई कर रहे किसी छात्र के साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो उसका परिवार बांड राशि भरने के लिये बाध्य नहीं होगा।
- इस नीति में बताया गया है कि पढ़ाई के बाद एक साल के भीतर MBBS छात्र को सरकारी नौकरी (अनुबंधित) दी जाएगी। इसके अलावा यदि कोई छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राइवेट नौकरी करता है और उसका वेतन सरकार द्वारा मेडिकल ऑफिसर को दिये जा रहे वेतन से कम है तो उसे तब तक बांड की राशि नहीं देनी होगी जब तक उसका वेतन मेडिकल ऑफिसर के वेतन के बराबर या उससे ज़्यादा नहीं होता। ऐसी स्थिति में सरकार उसे अनुबंधित नौकरी ऑफर करेगी।
- गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने चिरायु, आयुष्मान भारत और निरोगी हरियाणा जैसी अनेक योजनाएँ चलाई हैं जो प्रदेश के लोगों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिये शुरू की गई हैं। इसके अलावा राज्य में सभी ज़िलों में मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं और सरकारी अस्पताल खोले जा रहे हैं जिसकी वजह से सरकार को आने वाले समय में काफी संख्या में डॉक्टरों की ज़रूरत पड़ेगी।
- मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज, होम्योपैथिक कॉलेज व नर्सिंग कॉलेज इत्यादि की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2014 में प्रदेश में 7 मेडिकल कॉलेज थे और एमबीबीएस सीटें केवल 700 थी। वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान 6 कॉलेज खोले गए और अब एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़कर 1735 हो गई है।
- उन्होंने बताया कि राज्य की हर ज़िले में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना है। कई ज़िलों में मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं तथा इन मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य पूरा होते ही एमबीबीएस के लिये 3000 छात्रों के दाखिले किये जाएंगे।
- राज्य में एमबीबीएस की सीटें बढ़ाई गई हैं और भविष्य में भी इन सीटों को बढ़ाया जाएगा ताकि डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जा सके।
- प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि 1000 की जनसंख्या के ऊपर एक डॉक्टर की तैनाती के लक्ष्य को पूरा किया जाए। यह मापदंड विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित किया गया है।
झारखंड Switch to English
रागी उत्पादन में गुमला पूरे झारखंड राज्य में अव्वल
चर्चा में क्यों?
30 नवंबर, 2022 को झारखंड के गुमला ज़िला प्रशासन द्वारा ज़िले में संचालित रागी मिशन तथा पोषण लड्डू योजना की समीक्षा बैठक में डीसी सुशांत गौरव ने बताया कि इस वर्ष गुमला ज़िले में 3500 हेक्टेयर जमीन में रागी की खेती की गई थी, जिसमें 4500 मिट्रिक टन रागी का उत्पादन करते हुए गुमला ने राज्य में अव्वल स्थान प्राप्त किया है।
प्रमुख बिंदु
- डीसी सुशांत गौरव ने बताया कि गुमला ज़िले ने 4500 मिट्रिक टन रागी का उत्पादन किया है, जिसमें 200 मिट्रिक टन उत्पादित रागी का क्लस्टर स्तर पर संकलन किया जा चुका है।
- उन्होंने राज्य में किसान मेला का भव्य रूप से आयोजन करने का निर्देश दिया ताकि दूरदराज से भी लोग आकर रागी तथा इससे बने चीजों को खरीद सकें। मेले में कोई संस्था, संगठन अथवा कंपनी रागी की खरीद करने या इसकी मार्केटिंग करने हेतु ज़िला प्रशासन के साथ जुड़ना चाहे तो उनका स्वागत किया जाएगा।
- उन्होंने ज़िले से एक टीम को रागी से बनने वाले खाद्य-पदार्थों, रागी से संबंधित वैज्ञानिक दृष्टिकोण आदि को समझने और सीखने के लिये अन्य राज्यों के यूनिवर्सिटी अथवा संस्थानों में जाने हेतु तैयारी करने का निर्देश दिया ताकि उनके द्वारा लिये गए प्रशिक्षण से गुमला ज़िले में और बेहतर कार्य किया जा सके।
- सुशांत गौरव ने ज़िला समाज कल्याण पदाधिकारी को ज़िले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ रहे बच्चों की सूची देने और केंद्रों के बच्चों के लिये रागी के आटे तैयार कर भेजे जाने का निर्देश दिया। रागी के आटे को नियमित रूप से बच्चों के भोजन में मिलाकर दिया जाएगा, जिससे बच्चे कुपोषण से बचेंगे।
- ज़िले में कुपोषण को खत्म करने का सबसे बेहतर उपाय रागी है और इसके साथ ही यह आर्थिक आमदनी का भी स्रोत है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ के चार और अस्पतालों को मिला एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन
चर्चा में क्यों?
30 नवंबर, 2022 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के चार और सरकारी अस्पतालों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण-पत्र (National Quality Assurance Standard Certificate) प्रदान किया है। इनमें धमतरी ज़िले के दो तथा दुर्ग व रायगढ़ के एक-एक अस्पताल शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने धमतरी ज़िले के गेदरा और गाड़ाडीह हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (HWC) उप स्वास्थ्य केंद्र, दुर्ग के अहेरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर उप स्वास्थ्य केंद्र तथा रायगढ़ के रामभाटा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को एनक्यूएएस प्रमाण-पत्र जारी किया है।
- भारत सरकार की टीम द्वारा अस्पताल के विभिन्न मानकों पर मूल्यांकन में गाड़ाडीह उप स्वास्थ्य केंद्र को 94 प्रतिशत, गेदरा उप स्वास्थ्य केंद्र और रामभाटा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को 90-90 प्रतिशत तथा अहेरी उप स्वास्थ्य केंद्र को 87 प्रतिशत अंक मिले हैं।
- अब तक प्रदेश के कुल 61 अस्पतालों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण-पत्र प्रदान किया जा चुका है। इनमें दस ज़िला अस्पताल, सात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 26 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 13 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और पाँच उप स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं।
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की टीम द्वारा राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक सर्टिफिकेशन के लिये अस्पतालों का 12 मानकों पर मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिये अस्पताल द्वारा सेवा प्रदायगी, मरीज संतुष्टि, क्लिनिकल सर्विसेस, इनपुट, संक्रमण नियंत्रण, सपोर्ट सर्विसेस, गुणवत्तापूर्ण प्रबंध, आउटपुट जैसे मानकों की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन में खरा उतरने वाले अस्पतालों को ही भारत सरकार द्वारा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
निजी क्षेत्र में स्थापित देश का पहला मछली अनुसंधान केंद्र
चर्चा में क्यों?
30 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बलौदाबाज़ार-भाटापारा ज़िले के ग्राम रामपुर में थाईलैंड के वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग से मछली अनुसंधान केंद्र स्थापना की गई है। निजी क्षेत्र में स्थापित होने वाला यह केंद्र छत्तीसगढ़ और देश में अपने तरह का पहला केंद्र है।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी डॉ. सी. सुवर्णा ने अपनी दो-दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान रामपुर में संचालित मछली पालन की एक्वा जेनेटिक केंद्र का अवलोकन किया। साथ ही डॉ. सुवर्णा ने बलौदाबाज़ार-भाटापारा ज़िले के सिमगा विकासखंड के ग्राम बाईकोनी में स्थित प्रतिदिन 100 टन उत्पादन की क्षमता वाले वृहद निजी मत्स्य आहार केंद्र का शुभारंभ भी किया।
- एक्वा जेनेटिक के इस केंद्र की स्थापना एम हेचरी रायपुर एवम् मनीत ग्रुप थाईलैंड के संयुत्त उपक्रम द्वारा की गई है। इस अनुसंधान केंद्र में थाईलैंड के वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ ही प्रशिक्षण भी देंगे।
- लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में फैले इस अनुसंधान केंद्र में मछली के जेनेटिक्स पर अनुसंधान के साथ-साथ तिलापिया मछली बीज का उत्पादन भी किया जा रहा है। इसके अलावा यहाँ मत्स्य कृषकों को मछली पालन के अत्याधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
- ग्राम रामपुर में स्थापित अनुसंधान केंद्र से छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के किसानों को उन्नत किस्म के मछली के बीज की आपूर्ति हो सकेगी। इससे छत्तीसगढ़ मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से प्रगति करेगा। इसके अलावा वृहद मत्स्य आहार केंद्र के प्रारंभ होने से प्रदेश के किसानों को स्थानीय स्तर पर कम दर पर मत्स्य आहार प्राप्त हो सकेगा।
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ मछली बीज उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। अब यहाँ मछली अनुसंधान के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की इकाईयाँ भी आगे आ रही हैं।
- डॉ. सुवर्णा ने सिमगा विकासखंड के ग्राम खेरवारी में बंद हो चुके खदानों में महिला स्व-सहायता समूह द्वारा केज कल्चर विधि से किये जा रहे मछली पालन का भी अवलोकन किया। समूह द्वारा यहाँ मछली पालन के लिये 12 केज तैयार किये गए हैं। इसके लिये प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 60 प्रतिशत और डी.एम.एफ से 40 प्रतिशत अनुदान दिया गया है।
- अपने प्रवास के दौरान डॉ. सुवर्णा ने रायपुर ज़िले के तिल्दा विकासखंड के ग्राम पीकरीडीह स्थित वृहद बायोफ्लोक यूनिट का भी अवलोकन किया। इस यूनिट की स्थापना के लिये कृषक अंजू मिश्रा को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 60 प्रतिशत राशि अनुदान में मिला है। इस इकाई में तिलापिया और सिंगी मछली का पालन किया जा रहा है।
उत्तराखंड Switch to English
अल्मोड़ा के लक्ष्यसेन को मिला अर्जुन अवॉर्ड
चर्चा में क्यों?
30 नवंबर, 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उत्तराखंड के अल्मोड़ा निवासी शटलर लक्ष्य सेन को अजुर्न अवॉर्ड से सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने समारोह में खेल और साहसिक पुरस्कार 2022 प्रदान किये। इन पुरस्कारों में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार-2022; द्रोणाचार्य पुरस्कार-2022; अर्जुन पुरस्कार-2022; ध्यानचंद पुरस्कार-2022; तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार-2021; राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार-2022 और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ट्रॉफी-2022 शामिल हैं।
- लक्ष्य सेन का जन्म 16 अगस्त, 2001 को अल्मोड़ा के तिलकपुर वार्ड में हुआ था। लक्ष्य सेन ने चार साल की छोटी सी उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था।
- लक्ष्य के पिता डीके सेन भारतीय खेल प्राधिकरण में बैडमिंटन कोच रहे हैं और वर्तमान में प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन एकेडमी बंगलुरु में प्रशिक्षण दे रहे हैं।
- लक्ष्य सेन अब तक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 26 पदक जीत चुके हैं। इनमें से 16 स्वर्ण पदक हैं। लक्ष्य सेन के बड़े भाई चिराग सेन भी अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। चिराग जूनियर राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप और जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में नंबर दो रह चुके हैं।
- लक्ष्य ने अर्जुन अवार्ड अपने दादा स्व. सीएल सेन को समर्पित किया। लक्ष्य के दादा स्व. सीएल सेन बैडमिंटन के बेहतरीन खिलाड़ी थे। अपने समय में उन्होंने वेटरन में राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताएँ जीतीं थीं। उन्होंने अल्मोड़ा में बैडमिंटन खेल को बढ़ावा दिया था। अल्मोड़ा में उन्हें बैडमिंटन का भीष्म पितामह के नाम से भी जाना जाता है।
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