छत्तीसगढ़ Switch to English
कैबिनेट ने स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण दोगुना किया
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य भर में प्रतिनिधित्व बढ़ाने के उद्देश्य से OBC आरक्षण में वृद्धि की है।
- प्रमुख OBC आरक्षण में वृद्धि:
- सरकार ने पंचायत और शहरी निकायों में OBC आरक्षण को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है, जिसमें ज़िला पंचायत अध्यक्ष और नगर निगम महापौर जैसी भूमिकाएँ शामिल हैं, जबकि यह सुनिश्चित किया गया है कि आरक्षण जनसंख्या अनुपात के अनुरूप हो।
- बहिष्करण की शर्त:
- यह आरक्षण 50% या उससे अधिक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आरक्षण वाले निकायों पर लागू नहीं होता है।
भारत में आरक्षण को नियंत्रित करने वाले संवैधानिक प्रावधान
- भाग XVI केन्द्रीय एवं राज्य विधानमंडलों में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण से संबंधित है ।
- संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) राज्य और केंद्र सरकारों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिये सरकारी सेवाओं में सीटें आरक्षित करने का अधिकार देते हैं।
- संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम, 1995 द्वारा संविधान में संशोधन किया गया तथा अनुच्छेद 16 में एक नया खंड (4A) जोड़ा गया, ताकि सरकार पदोन्नति में आरक्षण प्रदान कर सके।
- बाद में, आरक्षण देकर पदोन्नत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को परिणामी वरिष्ठता प्रदान करने के लिये संविधान (85वें संशोधन) अधिनियम, 2001 द्वारा खंड (4A) को संशोधित किया गया।
- संविधान के 81वें संशोधन अधिनियम, 2000 द्वारा अनुच्छेद 16 (4B) को शामिल किया गया, जो राज्य को किसी वर्ष में अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित रिक्तियों को अगले वर्ष भरने का अधिकार देता है, जिससे उस वर्ष की कुल रिक्तियों पर पचास प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा समाप्त हो जाती है।
- अनुच्छेद 330 और 332 क्रमशः संसद और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों के आरक्षण के माध्यम से विशिष्ट प्रतिनिधित्व का प्रावधान करते हैं।
- अनुच्छेद 243D प्रत्येक पंचायत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 233T प्रत्येक नगर पालिका में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 335 में कहा गया है कि प्रशासन की प्रभावकारिता बनाए रखने के लिये अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावों पर विचार किया जाएग
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