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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 01 Nov 2021
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‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’

चर्चा में क्यों

30 अक्टूबर, 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित तीन दिवसीय ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ के समापन समारोह में चार पुस्तकों ‘पाड़ामुंतोम बस्तर’, ‘ऐतिहासिक जीत को सलाम’, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव, 2019 पर ‘कॉफी-टेबल बुक’ और ‘हमर संस्कृति, हमर तिहार’ का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री द्वारा विमोचित इन पुस्तकों से एक कृति ‘पाड़ामुंतोम बस्तर’, बस्तर संभाग और वहाँ निवास कर रही जनजातियों के विकास पर केंद्रित है।
  • दूसरी कृति ‘ऐतिहासिक जीत को सलाम’ 1971 की जंग में भारत की ऐतिहासिक जीत, सैनिकों के शौर्य और पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी के नेतृत्व और व्यक्तित्व को सामने रखती है। 
  • जनसंपर्क विभाग द्वारा राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव, 2019 की यादों को एक ‘कॉफी-टेबल बुक’ के रूप में सजाया गया है। 
  • चौथी कृति ‘हमर संस्कृति, हमर तिहार’, छत्तीसगढ़ के लोकपर्वों के बारे में जानकारी प्रस्तुत करती है।

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‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ का समापन

चर्चा में क्यों?

30 अक्टूबर, 2021 को राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित तीन दिवसीय ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ का समापन हुआ, जिसमें झारखंड राज्य ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में 28 अक्टूबर, 2021 को ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ व ‘राज्योत्सव 2021’ का आगाज हुआ था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दीप प्रज्वलित कर इसका शुभारंभ किया था।
  • इस तीन दिवसीय नृत्य महोत्सव में सात देशों, देश के 27 राज्यों और छह केंद्रशासित प्रदेशों की टीमों ने फोक डांस की 60 से ज्यादा प्रस्तुति दी।
  • विवाह संस्कार व पारंपरिक त्योहार और फसल कटाई एवं एनी पारंपरिक विधाओं जैसी दो कैटेगरी में रखे गए डांस प्रतियोगिता में 47 टीमों ने अपनी प्रस्तुति दी।
  • विवाह संस्कार में पहले स्थान पर झारखंड का कलसा नृत्य, दूसरे स्थान पर ओडिशा का धप नृत्य और तीसरे स्थान पर असम का कारबी तिवा नृत्य रहा।
  • पारंपरिक एवं अन्य विधाओं में पहला झारखंड का छाऊ नृत्य, दूसरा ओडिशा का बजासल नृत्य और तीसरा छत्तीसगढ़ का गौर नृत्य रहा।
  • झारखंड को प्रथम पुरस्कार के रूप में 5 लाख रुपए, ओडिशा को द्वितीय पुरस्कार के रूप में 3 लाख रुपए तथा तृतीय पुरस्कार के रूप में असम को 2 लाख रुपए मिला।

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