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राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत गिद्धों की चार प्रजातियों पर होगा अध्ययन
चर्चा में क्यों?
29 जुलाई, 2023 को उत्तराखंड वन विभाग के वाइल्ड लाइफ वार्डन चीफ डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि प्रदेश में पहली बार राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत गिद्धों की चार प्रजाति के दो-दो पक्षियों पर सैटेलाइट टैग लगाकर अध्ययन किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- वाइल्ड लाइफ वार्डन चीफ ने बताया कि शिकारी श्रेणी का यह पक्षी विलुप्त होने की कगार पर है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने इन्हें विलुप्तप्राय पक्षी की श्रेणी में रखा है।
- राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत किये जाने वाले अध्ययन के लिये पक्षियों पर टैग लगाने के लिये वन विभाग ने शासन से अनुमति मांगी है।
- विदित है कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गिद्धों की संख्या उत्तराखंड में कितनी है, इसका ठीक-ठीक आँकड़ा किसी के पास नहीं है।
- वन विभाग की सांख्यिकी बुक में गिद्धों की संख्या का वर्ष 2005 का डाटा दर्शाया गया है। इसके अनुसार संरक्षित क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या 1272 और संरक्षित क्षेत्रों के बाहर 3794 कुल 5066 है।
- इसके बाद से यह डाटा अपडेट नहीं किया गया है। अब वन विभाग ने एक बार फिर से गिद्धों की दुनिया में झाँकने का बीड़ा उठाया है। इसके लिये डब्ल्यूडब्लयूएफ इंडिया के सहयोग से गिद्धों की चार प्रजातियों के दो-दो पक्षियों पर सैटेलाइट टैग लगाकर अध्ययन किया जाएगा।
- यह अध्ययन गढ़वाल में राजाजी टाइगर रिज़र्व और कुमाऊँ में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत किया जाएगा। इस अध्ययन में गिद्धों के रहवास, प्रवास, उनके रास्ते, रहन-सहन आदि के बारे में जानकारियाँ जुटाई जाएंगी।
- गिद्ध की इन प्रजातियों पर होगा अध्ययन:
- लाल सिर गिद्ध (रेड हेडेड वल्चर)
- सफेद पूँछ वाला गिद्ध (ह्वाइट रम्प्ड वल्चर)
- सफेद गिद्ध (इजिप्सिन वल्चर)
- प्लास फिश
- राजाजी टाइगर रिज़र्व के निदेशक और इस प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि यह चारों शिकारी प्रजाति के पक्षी बेहद दुर्लभ श्रेणी के हैं, लेकिन समय-समय पर उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ के विभिन्न क्षेत्रों में इनकी उपस्थिति पाई गई है। इनके संरक्षण को लेकर वन विभाग संजीदा है। इसी के तहत इन पर वृहद अध्ययन किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट अगले तीन साल तक चलेगा।
- यह चारों शिकारी पक्षी शेड्यूल वन प्रजाति के हैं। वन्यजीव अधिनियम के तहत ऐसे मामलों में विशेष प्रयोजन के लिये अनुज्ञ पत्र का अनुदान की व्यवस्था है। ऐसे मामलों में शिक्षा, शोध, अनुसंधान इत्यादि के लिये राज्य सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है।
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ई-कचरा प्रबंधन करने में उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर
चर्चा में क्यों?
- 29 जुलाई, 2023 को राज्यसभा में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आँकड़ों के आधार पर दी गई जानकारी के अनुसार पर्यावरण और समाज के लिये भविष्य में बड़े खतरे के तौर पर सामने आ रहे इलेक्ट्रॉनिक कचरे के प्रबंधन, एकत्रीकरण और पुनर्चक्रण के मामले में उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य में 51541.12 मीट्रिक टन ई-कचरे को रिसाइकिल किया जा रहा है। यह आँकड़ा राज्य में ई-कचरे को रिसाइकिल करने की क्षमता से आधे से भी कम है। राज्य में 1.58 लाख मीट्रिक टन ई-कचरे के पुनर्चक्रण की क्षमता है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आँकड़ों के आधार पर उत्तराखंड ने महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु सरीखे बड़े राज्यों को पीछे छोड़ा है।
- हिमालयी राज्यों में हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर ई-कचरा एकत्र कर उसको रिसाइकिल करने के मामले में बहुत पीछे है।
- विदित है कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिये ई-कचरा के एकत्रीकरण, प्रबंधन और पुनर्चक्रण हेतु दिशा-निर्देश जारी किये हैं। ये दिशा-निर्देश विद्युत व इलेक्ट्रॉनिक कचरे के उत्पादक, निर्माता, उपयोगकर्त्ता और पुनर्चक्रण एवं इसके थोक उपभोक्ता पर लागू होते हैं।
- ई-कचरा : ऐसे विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद जो काम नहीं कर रहे हैं या उपयोग के अपने अंतिम समय में हैं, जैसे- कंप्यूटर, टेलीविज़न, फोटो कॉपियर, फैक्स मशीन, विद्युत उपकरण, फ्रिज सरीखे इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद आदि ई-कचरा की श्रेणी में आते हैं।
- हिमालयी राज्य उत्तराखंड पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। ई-कचरा राज्य के लिये भविष्य की बहुत बड़ी चुनौती है। इसके गैर वैज्ञानिक ढंग से एकत्रीकरण करने, जलाने व बेतरतीब ढंग से जहाँ-तहाँ फेंकने से हवा और पानी के प्रदूषित होने का खतरा रहता है।
- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख सचिव (वन) व अध्यक्ष आर.के. सुधांशु ने बताया कि केंद्र सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन के आधार पर ई-कचरा प्रबंधन को लागू कर रहे हैं। सरकार की कोशिश यह रहेगी कि ई-कचरा के एकत्रीकरण को बढ़ाया जाए।
- इसके प्रभावी प्रबंधन के लिये आईटीडीए ई-कचरा प्रबंधन नीति बना रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नीति के संबंध में सुझाव दे दिये गए हैं।
- ई-कचरा एकत्र करने वाले शीर्ष 10 राज्य:
- हरियाणा - 245015.82 (मीट्रिक टन)
- उत्तराखंड - 51541.12
- तेलंगाना - 42297.68
- कर्नाटक - 39150.63
- तमिलनाडु - 31143.77
- गुजरात - 30569.32
- पंजाब - 28375.27
- राजस्थान - 27998.77
- महाराष्ट्र - 18559.30
- केरल - 1249.61
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उत्तराखंड/25 ‘बोधिसत्व विचार श्रृंखला एक नई सोच एक नई पहल’ पुस्तक का विमोचन
चर्चा में क्यों?
- 29 जुलाई, 2023 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में उत्तराखंड/25 ‘बोधिसत्व विचार श्रृंखला एक नई सोच एक नई पहल’ पुस्तक का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड के समग्र विकास हेतु पिछले एक वर्ष में बोधिसत्व विचार श्रृंखला के तहत आयोजित विभिन्न विषयों पर आधारित 12 सत्रों में वैज्ञानिकों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त विचारों का संकलन इस पुस्तक में किया गया है।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधिसत्व विचार श्रृंखला के माध्यम से राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान की राह आसान बनाने का प्रयास रहा है। राज्य के विकास की दीर्घकालिक योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इसके लिये सभी विभागों का 10 साल का रोड मैप तैयार किया जा रहा है। अब तक 20 विभागों की समीक्षा की जा चुकी है।
- बोधिसत्व विचार श्रृंखला में प्राप्त सुझावों को इसमें शामिल किया जा रहा है। सरकार का प्रयास राज्य के विकास में
- सभी संस्थानों का सहयोग प्राप्त करने का रहा है। पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय को पशुपालन एवं कृषि विकास तथा
- तकनीकि विश्व विद्यालय को विज्ञान एवं तकनीकि का राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँच बनाने में सहयोगी बनाया जाएगा।
- विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से उत्तराखंड/25 की अवधारणा के अनुरूप एक सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध उत्तराखंड
- राज्य के निर्माण के लिये उन्होंने राज्य स्थित सभी प्रतिष्ठित संस्थानों की सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा भी की।
- डिजिटल उत्तराखंड का उद्देश्य राज्य में रोज़गार सृजन, स्वास्थ्य, शिक्षा और औद्योगिक विकास में नए आयाम हासिल करना है।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि इकोलॉजी, इकोनॉमी, टैक्नोलॉजी, एकाउंटिबिलिटी और सस्टेनबिलिटी के पाँच सशक्त स्तंभों पर व्यवस्थित मॉडल उत्तराखंड/25 के संकल्प के लिये आवश्यक है। हमारा संकल्प है कि उत्तराखंड राज्य अपने सृजन की रजत जयंती वर्ष 2025 तक एक श्रेष्ठ राज्य बनकर उभरे तथा 21वीं सदी के इस तीसरे दशक में समृद्ध और सशक्त रूप में स्थापित हो।
- यह बोधिसत्व विचार श्रृंखला ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों के संयोजन से आयोजित की गई।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधिसत्व का उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्रित एक ऐसे मंच की स्थापना है जहाँ देश के मूर्धन्य मनीषी, वैज्ञानिक, युवा उद्यमी एवं जनप्रतिनिधि एक साथ एकत्र होकर राज्य के विकास के सभी आयामों पर गहन विचारविमर्श कर उत्तराखंड/25 की एक ऐसी कार्ययोजना तैयार कर सकें, जो राज्य का भविष्य उत्तरोत्तर स्वर्णिम बनाने में सहायक सिद्ध हो सके।
- इन श्रृंखलाओं से प्राप्त सुझावों को इस पुस्तक में समाहित किया गया है।
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